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'इस गांव में आकर शर्मसार न करें', देहरादून के केशरवाला गांव के लोगों ने लगाया बैनर

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Published : Feb 2, 2022, 5:43 PM IST

Updated : Feb 2, 2022, 7:01 PM IST

केशरवाला गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां के ग्रामीण लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं, मगर आजतक इनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है. अब गांव वालों ने गांव के बाहर पोस्टर लगा दिये हैं.

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केशरवाला गांव के बाहर ग्रामीणों ने लगाया बैनर

देहरादून: इस गांव में आकर शर्मसार न करें, वोट मांग मांगने से पहले सभी राजनीतिक दलों को गांव की सड़क, पानी की समस्या और अन्य समस्याओं को देखकर शर्म आएगी. आजकल चुनाव समर में रायपुर विधानसभा और नगर निगम के वॉर्ड नंबर-1 के केशरवाला के ग्रामीणों को मजबूरन गांव के मुख्य मार्गों पर दो बैनर लगाकर चुनावी प्रत्याशियों को यह चुनौती दी है.

केशरवाला गांव के 80 वर्षीय प्रेमदत्त चमोली बताते हैं कि गांव के लिए सड़क की मांग करते-करते दशक बीत गए, लेकिन आजतक कहीं सुनवाई नहीं हुई है. चमोली बताते हैं कि गांव के समीप पड़ी भूमि पर सेना अपना कब्जा बताती है. जिसके कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि सूचना के अधिकार में मांगे गए राजस्व अभिलेखों में यह उत्तराखंड सरकार की सम्पत्ति है.

केशरवाला गांव के बाहर ग्रामीणों ने लगाया बैनर

पढ़ें- उत्तराखंड में BJP का मेगा प्रचार अभियान शुरू, आज पीएम मोदी का वर्चुअल संबोधन

करीब 1.5 किमी सड़क की मांग निर्माण के लिए सभी अभिलेखों के साक्ष्य के साथ पीएम,सीएम से लेकर विधायक और मंत्रियों तक अपनी समस्या रख दी गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इस कारण देहरादून मुख्यालय से महज 7 किमी दूरी बसे केशरवाला गांव से भी अब लोग पलायन कर रहे हैं. चमोली कहते हैं कि उनका जीवन गांव की मूलभूत सुविधाओं को बनाने के लिए जुटाने में ही निकल गया, लेकिन आज तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है.

पढ़ें- कांग्रेस मेनिफेस्टो कार्यक्रम में 'मदद' की जगह हो गई थी बड़ी 'चूक', गोदियाल ने बचा लिया!

केशरवाला गांव के ही बिशन सिंह राणा बताते हैं कि 2012 में सड़क के लिए क्षेत्रीय विधायक ने 50 लाख की स्वीकृति के साथ जेसीबी से काम शुरू करवाया, लेकिन वह यह कहकर बंद करवा दिया गया कि यह सेना की भूमि है. ग्रामीणों ने इस भूमि पर राजस्व अभिलेखों का साक्ष्य सबके सामने रखा. साथ ही राणा बताते हैं कि अभी भी गांव की आधी आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई है. साथ ही बिजली के खंभे नहीं लग पाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 2 वर्ष पूर्व गांव नगर निगम क्षेत्र में आया, तो उम्मीद जगी कि कुछ विकास होगा., लेकिन उसके बाद भी आज तक कोई देखने नहीं आया.

पढ़ें- कांग्रेस उपाध्यक्ष अकील अहमद बोले- हां मैंने की मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की मांग, गुस्से में BJP

ग्रामीणों की समस्या और पोस्टर लगाने के सम्बध में रायपुर विधानसभा के विधायक उमेश शर्मा काऊ से ईटीवी भारत ने फ़ोन पर जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने औए बैठक में होने का हवाला दिया.

देहरादून: इस गांव में आकर शर्मसार न करें, वोट मांग मांगने से पहले सभी राजनीतिक दलों को गांव की सड़क, पानी की समस्या और अन्य समस्याओं को देखकर शर्म आएगी. आजकल चुनाव समर में रायपुर विधानसभा और नगर निगम के वॉर्ड नंबर-1 के केशरवाला के ग्रामीणों को मजबूरन गांव के मुख्य मार्गों पर दो बैनर लगाकर चुनावी प्रत्याशियों को यह चुनौती दी है.

केशरवाला गांव के 80 वर्षीय प्रेमदत्त चमोली बताते हैं कि गांव के लिए सड़क की मांग करते-करते दशक बीत गए, लेकिन आजतक कहीं सुनवाई नहीं हुई है. चमोली बताते हैं कि गांव के समीप पड़ी भूमि पर सेना अपना कब्जा बताती है. जिसके कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि सूचना के अधिकार में मांगे गए राजस्व अभिलेखों में यह उत्तराखंड सरकार की सम्पत्ति है.

केशरवाला गांव के बाहर ग्रामीणों ने लगाया बैनर

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करीब 1.5 किमी सड़क की मांग निर्माण के लिए सभी अभिलेखों के साक्ष्य के साथ पीएम,सीएम से लेकर विधायक और मंत्रियों तक अपनी समस्या रख दी गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इस कारण देहरादून मुख्यालय से महज 7 किमी दूरी बसे केशरवाला गांव से भी अब लोग पलायन कर रहे हैं. चमोली कहते हैं कि उनका जीवन गांव की मूलभूत सुविधाओं को बनाने के लिए जुटाने में ही निकल गया, लेकिन आज तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है.

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केशरवाला गांव के ही बिशन सिंह राणा बताते हैं कि 2012 में सड़क के लिए क्षेत्रीय विधायक ने 50 लाख की स्वीकृति के साथ जेसीबी से काम शुरू करवाया, लेकिन वह यह कहकर बंद करवा दिया गया कि यह सेना की भूमि है. ग्रामीणों ने इस भूमि पर राजस्व अभिलेखों का साक्ष्य सबके सामने रखा. साथ ही राणा बताते हैं कि अभी भी गांव की आधी आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई है. साथ ही बिजली के खंभे नहीं लग पाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 2 वर्ष पूर्व गांव नगर निगम क्षेत्र में आया, तो उम्मीद जगी कि कुछ विकास होगा., लेकिन उसके बाद भी आज तक कोई देखने नहीं आया.

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ग्रामीणों की समस्या और पोस्टर लगाने के सम्बध में रायपुर विधानसभा के विधायक उमेश शर्मा काऊ से ईटीवी भारत ने फ़ोन पर जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने औए बैठक में होने का हवाला दिया.

Last Updated : Feb 2, 2022, 7:01 PM IST
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