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JNU के समर्थन में उतरे विभिन्न संगठन, कहा- देश में विश्वविद्यालय को बदनाम करने का चल रहा षडयंत्र - जेएनयू में विरोध प्रदर्शन

जेएनयू मामले को लेकर प्रदेश के विभिन्न संगठनों ने गांधी पार्क में धरना प्रदर्शन किया. साथ ही कहा कि जेएनयू के अंदर अगर आतंकी गतिविधियां हो रही हैं तो उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करवा रही है. जेएनयू छात्रों की मांग जायज है और फीस बढ़ोतरी कतई नहीं होनी चाहिए.

JNU विवाद का मामले  की चिंगारी पहुंची उत्तराखंड
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Published : Nov 21, 2019, 5:14 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 7:47 PM IST

देहरादून: देश के कई विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी के मामलें को लेकर उपजे विवाद की चिंगारी धीरे-धीरे राजनीतिक रूप लेने लगी है. दिल्ली के जेएनयू से शुरू हुए आंदोलन के बाद अब देवभूमि में अलग-अलग पार्टी और संगठनों फीस बढ़ोतरी को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है. जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के पक्ष में उतरते हुए कांग्रेस, कम्युनिस्ट-लेफ्ट और ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन जैसे संगठन केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला.

JNU के समर्थन में उतरे विभिन्न संगठन.

देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरना देकर गुरुवार को अलग-अलग संगठन पार्टियों ने जेएनयू छात्र-छात्राओं के समर्थन में कहा कि अगर आज जेएनयू में देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाले विचारधारा वाले लोग जमे हुए हैं तो केंद्र सरकार ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करती है. यह महज फीस बढ़ोतरी को लेकर जेएनयू के छात्र आंदोलन को दबाने की कोशिश है.

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी ने बताया कि वर्तमान समय मे JNU को आतंकवाद का अड्डा बताकर उसे बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. जेएनयू की जानकारी रखने वाले सोशल मीडिया और समाचारों में जेएनयू को लेकर तरह तरह के विवाद को हवा दे रहे हैं. सकलानी ने कहा कि साल 2016 से जेएनयू में अफजल गुरु जैसे-आतंकवादी विचारधारा को समर्थन देने वाले लोगों को सरकार कानून के शिकंजे में नहीं कर पाई, इसका क्या दोहरा मापदंड है. जिस अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती की सरकार में शहीद का दर्जा देने की बात हुई, उसी सरकार के साथ भाजपा अपना गठजोड़ क्यों बनाती है.

ये भी पढ़ें: छह करोड़ की योजनाओं से आंचल दूध डेयरी का होगा कायाकल्प, सरकार को भेजा प्रस्ताव

वहीं, जेएनयू विश्वविद्यालय के पक्ष में ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नासिर खुहामी ने बताया कि जब भी किसी मामलें पर जेएनयू की बात आती है तो सरकार उस विश्वविद्यालय को आतंकवादी समर्थकों का अड्डा बताती है. अगर ऐसा है तो सरकार अपनी सुरक्षा एजेंसी से प्रभावी कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.

कुछ जानकारों का कहना है कि जेएनयू को लेकर राजनीति करनी ठीक नहीं है. जेएनयू में जिस तरह से शिक्षा की आड़ में बांटने की राजनीति हो रही है. वो जरूर विश्वविद्यालय के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसी है. शिक्षा का मंदिर किसी भी देश की एकता और अखंडता, सांस्कृतिक संप्रभुता की पहचान होती है, न कि उस देश के विपरीत संस्कृति में चलने की.

देहरादून: देश के कई विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी के मामलें को लेकर उपजे विवाद की चिंगारी धीरे-धीरे राजनीतिक रूप लेने लगी है. दिल्ली के जेएनयू से शुरू हुए आंदोलन के बाद अब देवभूमि में अलग-अलग पार्टी और संगठनों फीस बढ़ोतरी को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है. जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के पक्ष में उतरते हुए कांग्रेस, कम्युनिस्ट-लेफ्ट और ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन जैसे संगठन केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला.

JNU के समर्थन में उतरे विभिन्न संगठन.

देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरना देकर गुरुवार को अलग-अलग संगठन पार्टियों ने जेएनयू छात्र-छात्राओं के समर्थन में कहा कि अगर आज जेएनयू में देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाले विचारधारा वाले लोग जमे हुए हैं तो केंद्र सरकार ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करती है. यह महज फीस बढ़ोतरी को लेकर जेएनयू के छात्र आंदोलन को दबाने की कोशिश है.

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी ने बताया कि वर्तमान समय मे JNU को आतंकवाद का अड्डा बताकर उसे बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. जेएनयू की जानकारी रखने वाले सोशल मीडिया और समाचारों में जेएनयू को लेकर तरह तरह के विवाद को हवा दे रहे हैं. सकलानी ने कहा कि साल 2016 से जेएनयू में अफजल गुरु जैसे-आतंकवादी विचारधारा को समर्थन देने वाले लोगों को सरकार कानून के शिकंजे में नहीं कर पाई, इसका क्या दोहरा मापदंड है. जिस अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती की सरकार में शहीद का दर्जा देने की बात हुई, उसी सरकार के साथ भाजपा अपना गठजोड़ क्यों बनाती है.

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वहीं, जेएनयू विश्वविद्यालय के पक्ष में ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नासिर खुहामी ने बताया कि जब भी किसी मामलें पर जेएनयू की बात आती है तो सरकार उस विश्वविद्यालय को आतंकवादी समर्थकों का अड्डा बताती है. अगर ऐसा है तो सरकार अपनी सुरक्षा एजेंसी से प्रभावी कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.

कुछ जानकारों का कहना है कि जेएनयू को लेकर राजनीति करनी ठीक नहीं है. जेएनयू में जिस तरह से शिक्षा की आड़ में बांटने की राजनीति हो रही है. वो जरूर विश्वविद्यालय के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसी है. शिक्षा का मंदिर किसी भी देश की एकता और अखंडता, सांस्कृतिक संप्रभुता की पहचान होती है, न कि उस देश के विपरीत संस्कृति में चलने की.

Intro:summary-JNU विवाद पर उत्तराखंड में भी राजनीतिक शुरू


देहरादून : विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी के मामलें को लेकर उपजे विवाद की चिंगारी जिस तरह से JNU से लेकर देश के कई हिस्सों प्रान्तों में फेल रही हैं, उसी मुद्दे की आड़ में दिल्ली के बाद अब देवभूमि उत्तराखंड में अब अलग-अलग पार्टी व संगठनों द्वारा अलग से राजनीति शुरू हो गई हैं। जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के पक्ष में उतरते हुए कांग्रेस,कमनियुस्ट- लेफ़्ट और ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन जैसे संगठन केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर लगातार मुखर होते जा रहे है. फीस बढ़ोतरी विवाद की आड़ में अब जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे और आतंकवाद समर्थक जैसे मामलों को लेकर अलग अलग तरह से संगत राजनीति कर केंद्र सरकार को इस मामलें में दौहरी राजनीति का आरोप लगाते हुए JNU का अस्तित्व खतरे में पड़ने की बात कह रहे हैं।

देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरना देकर गुरुवार अलग-अलग संगठन पार्टियों ने जेएनयू छात्र-छात्राओं के समर्थन आते हुए कहा कि, अगर आज जेएनयू में आतंकवाद देश को टुकड़े -टुकड़े करने वाले विचारधारा लोगों जमे हुए है तो, केंद्र सरकार ऐसे सांप्रदायिक अराजकता वाले देश विरोधी तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की कदम क्यों नहीं उठाती।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी ने कहा कि,वर्तमान समय मे JNU को आतंकवाद का अड्डा बताकर उसे बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है, जेएनयू की जानकारी का भाव रखने वाले आज सोशल मीडिया और समाचारों में जेएनयू को लेकर तरह तरह के विवाद को हवा दे रहे। सकलानी ने कहा कि, वर्ष 2016 से जेएनयू में अफजल गुरु जैसे आतंकवादी विचारधारा को समर्थन देने वाले लोगों को सरकार कानून के शिकंजे में नहीं कर पाए, इसका क्या दोहरा मापदंड है। जिस अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती कि सरकार शहीद का दर्जा देने की बात करती है उसी सरकार के साथ भाजपा अपना गठजोड़ क्यों बनाती हैं।

बाईट-जयदीप सकलानी, राज्य आंदोलन कारी


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वही जेएनयू विश्वविद्यालय के पक्ष में उतरते हुए ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नासिर खुहामी ने कहा कि, जब भी किसी मामलें पर जेनयू की बात आती है तो, सरकार उस विश्वविद्यालय को आतंकवादी समर्थकों का अड्डा बताती है, अगर ऐसा है तो सरकार जिसके अधीन सभी बड़ी सुरक्षा एजेंसी है वह अब प्रभावी कानूनी कार्रवाई अब तक क्यों नहीं कर सकी। ऐसे लगता हैं सरकार इस मामलें पर दौहरी किस्म की राजनीति करने में जुटी हैं।

बाईट-नासिर खुहामी,ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन ,राष्ट्रीय प्रवक्ता


वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि JNU को लेकर राजनीति करनी ठीक नहीं हैं। JNU को कोई खत्म नहीं कराना चाहता हैं। हांलाकि JNU में जिस तरह से शिक्षा की आड़ में बाटने कि राजनीति हो रही हैं, वह जरूर विश्वविद्यालय के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसी है। शिक्षा के मंदिर किसी भी देश की एकता और अखंडता सांस्कृतिक संप्रभुता की पहचान होती है ना की उस देश के विपरीत संस्कृति में चलने की।

बाईट-कुलदीप राणा, वरिष्ठ पत्रकार


Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 7:47 PM IST
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