देहरादून: देश के कई विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी के मामलें को लेकर उपजे विवाद की चिंगारी धीरे-धीरे राजनीतिक रूप लेने लगी है. दिल्ली के जेएनयू से शुरू हुए आंदोलन के बाद अब देवभूमि में अलग-अलग पार्टी और संगठनों फीस बढ़ोतरी को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है. जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के पक्ष में उतरते हुए कांग्रेस, कम्युनिस्ट-लेफ्ट और ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन जैसे संगठन केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला.
देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरना देकर गुरुवार को अलग-अलग संगठन पार्टियों ने जेएनयू छात्र-छात्राओं के समर्थन में कहा कि अगर आज जेएनयू में देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाले विचारधारा वाले लोग जमे हुए हैं तो केंद्र सरकार ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करती है. यह महज फीस बढ़ोतरी को लेकर जेएनयू के छात्र आंदोलन को दबाने की कोशिश है.
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी ने बताया कि वर्तमान समय मे JNU को आतंकवाद का अड्डा बताकर उसे बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. जेएनयू की जानकारी रखने वाले सोशल मीडिया और समाचारों में जेएनयू को लेकर तरह तरह के विवाद को हवा दे रहे हैं. सकलानी ने कहा कि साल 2016 से जेएनयू में अफजल गुरु जैसे-आतंकवादी विचारधारा को समर्थन देने वाले लोगों को सरकार कानून के शिकंजे में नहीं कर पाई, इसका क्या दोहरा मापदंड है. जिस अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती की सरकार में शहीद का दर्जा देने की बात हुई, उसी सरकार के साथ भाजपा अपना गठजोड़ क्यों बनाती है.
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वहीं, जेएनयू विश्वविद्यालय के पक्ष में ऑल इंडिया जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नासिर खुहामी ने बताया कि जब भी किसी मामलें पर जेएनयू की बात आती है तो सरकार उस विश्वविद्यालय को आतंकवादी समर्थकों का अड्डा बताती है. अगर ऐसा है तो सरकार अपनी सुरक्षा एजेंसी से प्रभावी कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.
कुछ जानकारों का कहना है कि जेएनयू को लेकर राजनीति करनी ठीक नहीं है. जेएनयू में जिस तरह से शिक्षा की आड़ में बांटने की राजनीति हो रही है. वो जरूर विश्वविद्यालय के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसी है. शिक्षा का मंदिर किसी भी देश की एकता और अखंडता, सांस्कृतिक संप्रभुता की पहचान होती है, न कि उस देश के विपरीत संस्कृति में चलने की.