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सैलानियों के लिए खुली विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, विभाग ने रखा इतना शुल्क

फूलों की घाटी में इस सीजन में तरह-तरह के प्राकृतिक फूल खिले रहते हैं. जहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचे हैं. साथ ही सैलानियों को यहां प्राकृतिक सौंदर्य का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है.  देवभूमि के हिमालयी क्षेत्र में फैली इस घाटी को फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है.

सैलानियों के लिए खुली विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी.
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Published : Jun 1, 2019, 9:32 AM IST

Updated : Jun 1, 2019, 2:58 PM IST

देहरादून: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुल गई है. जिसके दीदार के लिए सैलानी खासे लालायित रहते हैं. वहीं सैलानियों को फूलों की घाटी से रूबरू कराने के लिए वन महकमे ने भी कमर कस ली है. इस बार विदेशी पर्यटकों 600 रुपये तो आम सैलानियों को 150 रुपये शुल्क देना होगा.

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी.
गौर हो कि फूलों की घाटी में इस सीजन में तरह-तरह के प्राकृतिक फूल खिले रहते हैं. जहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचे हैं. साथ ही सैलानियों को यहां प्राकृतिक सौंदर्य का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है. देवभूमि के हिमालयी क्षेत्र में फैली इस घाटी को फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. करीब 87.50 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस उद्यान को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया. वहीं इस घाटी में अलग-अलग फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं.

फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अंतिम बस अड्डा गोविंदघाट 275 किमी दूर है. जहां से जोशीमठ से गोविंदघाट की दूरी 19 किमी है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहां से पर्यटक 3 किमी लंबी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं. नवम्बर माह से मार्च महीने तक फूलों की बर्फ रहती है. इस बार यात्रियों को गोविंद घाट से पुलना तक छोटे वाहन से जाना होगा. उससे आगे पूरा पैदल मार्ग है. जिसकी तैयारी वन विभाग ने पहले ही कर ली है.

देहरादून: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुल गई है. जिसके दीदार के लिए सैलानी खासे लालायित रहते हैं. वहीं सैलानियों को फूलों की घाटी से रूबरू कराने के लिए वन महकमे ने भी कमर कस ली है. इस बार विदेशी पर्यटकों 600 रुपये तो आम सैलानियों को 150 रुपये शुल्क देना होगा.

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी.
गौर हो कि फूलों की घाटी में इस सीजन में तरह-तरह के प्राकृतिक फूल खिले रहते हैं. जहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचे हैं. साथ ही सैलानियों को यहां प्राकृतिक सौंदर्य का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है. देवभूमि के हिमालयी क्षेत्र में फैली इस घाटी को फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. करीब 87.50 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस उद्यान को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया. वहीं इस घाटी में अलग-अलग फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं.

फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अंतिम बस अड्डा गोविंदघाट 275 किमी दूर है. जहां से जोशीमठ से गोविंदघाट की दूरी 19 किमी है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहां से पर्यटक 3 किमी लंबी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं. नवम्बर माह से मार्च महीने तक फूलों की बर्फ रहती है. इस बार यात्रियों को गोविंद घाट से पुलना तक छोटे वाहन से जाना होगा. उससे आगे पूरा पैदल मार्ग है. जिसकी तैयारी वन विभाग ने पहले ही कर ली है.

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सैलानियों के लिए आज से खुलेगी विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, विभाग ने रखा इतना शुल्क

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देहरादून:  विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुल जाएगी. जिसके दीदार के लिए सैलानी खासे लालायित रहते हैं. वहीं सैलानियों को फूलों की घाटी से रूबरू कराने के लिए वन महकमे ने भी कमर कस ली है. इस बार विदेशी पर्यटकों 600 रुपये तो आम सैलानियों को 150 रुपये शुल्क देना होगा. 

गौर हो कि फूलों की घाटी में इस सीजन में तरह-तरह के प्राकृतिक फूल खिले रहते हैं. जहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचे हैं. साथ ही सैलानियों को यहां प्राकृतिक सौंदर्य का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है.  देवभूमि के हिमालयी क्षेत्र में फैली इस घाटी को फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. करीब 87.50 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस उद्यान को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया. वहीं इस घाटी में अलग-अलग फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. 

फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अंतिम बस अड्डा गोविंदघाट 275 किमी दूर है. जहां से जोशीमठ से गोविंदघाट की दूरी 19 किमी है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहां से पर्यटक 3 किमी लंबी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं. नवम्बर माह से मार्च महीने तक फूलों की बर्फ रहती है. इस बार यात्रियों को गोविंद घाट से पुलना तक छोटे वाहन से जाना होगा. उससे आगे पूरा पैदल मार्ग है. जिसकी तैयारी वन विभाग ने पहले ही कर ली है. 


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Last Updated : Jun 1, 2019, 2:58 PM IST
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