देहरादून: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में खेती-किसानी के लिए कई अहम घोषणाएं की. जिसमें गंगा किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने का भी ऐलान किया गया. मगर केंद्र की इस घोषणा से उत्तराखंड को कुछ ज्यादा फायदा नहीं होगा. इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गंगा किनारे खेती उत्तराखंड में इतनी कारगर साबित नहीं है, क्योंकि उत्तराखंड में गंगा का जो हिस्सा आता है वह ज्यादातर पहाड़ी है. पहाड़ी इलाकों में गंगा किनारे खेती करना मुश्किल है.
गंगा किनारे होने वाली खेती की अगर बात की जाए तो यह हरिद्वार और लक्सर का कुछ एक हिस्सा ही गंगा के किनारे कृषि भूमि का आता है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि यूनियन बजट में कही गई ऑर्गेनिक खेती का लाभ उत्तराखंड की बजाय उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों को मिलेगा. सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार गंगा का केवल कुछ किलोमीटर का हिस्सा ही हरिद्वार, लक्सर में कृषि के काम आता है.
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यूनियन बजट में की गई ऑर्गेनिक खेती की बात करें तो कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी यह यूनियन बजट का एक विषय है. इस योजना में क्या कुछ प्रावधान होंगे यह कहना मुश्किल है. फिर भी उत्तराखंड के लिहाज से ये ज्यादा कारगर साबित नहीं होगी.
उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती का स्टेटस: कृषि विभाग के अनुसार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक तौर से ही ऑर्गेनिक खेती की जा रही है. यहां पर ऑर्गेनिक खेती को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी काम हुआ है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उत्तराखंड में तकरीबन 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर ऑर्गेनिक खेती इस वक्त की जा रही है. जिसमें अलग-अलग 3900 क्लस्टर पर ऑर्गेनिक खेती की जा रही है. प्रदेश में लगातार ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है.
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बता दें 2510 किलोमीटर लंबी गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मौजूद अपने उद्गम स्थल गोमुख से निकलकर हरिद्वार और लक्सर उत्तराखंड आखिरी सीमा तक गंगा 96 किलोमीटर का सफर तय करती है. उसके बाद का सफर उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल के रास्ते बंगाल की खाड़ी में समुद्र में समा जाती है. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड में तकरीबन 16 नदियां ऐसी हैं जो कि गंगा और यमुना की सहायक नदियां हैं. जिनकी लंबाई कुल मिलाकर 1,376 किलोमीटर की है.