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ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पक्ष को दिखाना चाहिए बड़ा दिल: उत्तराखंड वफ्फ बोर्ड

Gyanvapi Masjid case उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने ज्ञानवापी मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए और एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए. वहीं, रिपोर्ट आने के बाद पता चल जाएगा कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था या नहीं.

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड
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Published : Aug 3, 2023, 3:25 PM IST

Updated : Aug 3, 2023, 5:03 PM IST

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स

देहरादून: उत्तरप्रदेश के ज्ञानवापी का मामला देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी बीच उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे जारी रखने को हरी झंडी दे दी है. दरअसल, ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की थी. जिस पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे को रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने कहा कि ज्ञानवापी मसले पर मुस्लिम पक्ष को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. साथ ही इस मामले को हाईकोर्ट से बाहर हल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था या नहीं?. अगर मंदिर था तो उन्हें हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए और नमाज पढ़ने के लिए कहीं और मस्जिद बना लेना चाहिए, क्योंकि इस्लाम धर्म में इस बात को कहा गया है कि अगर किसी जमीन में विवाद है, तो वहां मस्जिद नहीं बनाई जा सकती हैं

अगर मस्जिद बन भी गई तो ऐसी मस्जिदों में नमाज़ नहीं होगी. ऐसे इस शरियत के अनुसार निर्णय लेना है. साथ ही अन्य समाजों को एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए. हालांकि, ज्ञानवापी में त्रिशूल के निशान अन्य कलाकृति की बात कही जा रही है. ऐसे में सर्वे के बात ये बातें साफ हो जाएगी कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत.
ये भी पढ़ें: ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट के फैसले का भाजपा नेताओं ने किया स्वागत, सपा सांसद ने कहा, 'सर्वे का फैसला मानेंगे'

बता दें कि 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट में एएसआई सर्वे के खिलाफ याचिका दायर की. ऐसे में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात को कहा है कि न्यायहित में एएसआई का सर्वे जरूरी हैं. कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की आवश्यकता है. जिसके बाद से ही देशभर में सियासत जारी है.
ये भी पढ़ें: ज्ञानवापी के ASI सर्वे के फैसले से पहले वाराणसी कोर्ट और हाईकोर्ट में केस दाखिल, ये मांग उठाई गई

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स

देहरादून: उत्तरप्रदेश के ज्ञानवापी का मामला देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी बीच उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे जारी रखने को हरी झंडी दे दी है. दरअसल, ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की थी. जिस पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे को रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने कहा कि ज्ञानवापी मसले पर मुस्लिम पक्ष को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. साथ ही इस मामले को हाईकोर्ट से बाहर हल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था या नहीं?. अगर मंदिर था तो उन्हें हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए और नमाज पढ़ने के लिए कहीं और मस्जिद बना लेना चाहिए, क्योंकि इस्लाम धर्म में इस बात को कहा गया है कि अगर किसी जमीन में विवाद है, तो वहां मस्जिद नहीं बनाई जा सकती हैं

अगर मस्जिद बन भी गई तो ऐसी मस्जिदों में नमाज़ नहीं होगी. ऐसे इस शरियत के अनुसार निर्णय लेना है. साथ ही अन्य समाजों को एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए. हालांकि, ज्ञानवापी में त्रिशूल के निशान अन्य कलाकृति की बात कही जा रही है. ऐसे में सर्वे के बात ये बातें साफ हो जाएगी कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत.
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बता दें कि 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट में एएसआई सर्वे के खिलाफ याचिका दायर की. ऐसे में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात को कहा है कि न्यायहित में एएसआई का सर्वे जरूरी हैं. कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की आवश्यकता है. जिसके बाद से ही देशभर में सियासत जारी है.
ये भी पढ़ें: ज्ञानवापी के ASI सर्वे के फैसले से पहले वाराणसी कोर्ट और हाईकोर्ट में केस दाखिल, ये मांग उठाई गई

Last Updated : Aug 3, 2023, 5:03 PM IST
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