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उत्तराखंड की जनता पर पड़ सकती है महंगाई की मार, बिजली दर में हो सकती है बढ़ोत्तरी - देहरादून न्यूज

यूपीसीएल बिजली की दरों में वृद्धि करने का मन बना रहा है. विभाग भारी वित्तीय घाटे से गुजर रहा है.

यूपीसीएल
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Published : Aug 29, 2019, 3:12 PM IST

देहरादूनः प्रदेशवासियों को उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) झटका दे सकता है. हो सकता है कि अगले वित्तीय वर्ष में प्रदेशवासियों को बढ़ी हुई दरों पर बिजली मिले. दरअसल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) लगभग 695 करोड़ के भारी वित्तीय घाटे से गुजर रहा है. ऐसे में इस घाटे से उभरने के लिए ऊर्जा विभाग को विद्युत दरों में इजाफा करने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

गौरतलब है कि यूपीसीएल में विद्युत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसे लेकर आगामी 30 नवंबर तक यूईआरसी यानी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की जाएगी. बता दें कि प्रदेश की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन पिछले लंबे समय से काफी कम हो रहा है, जिसका एक बड़ा कारण नदियों में पानी कम होना है.

ऐसे में विद्युत उत्पादन गिरने की वजह से प्रदेश की विद्युत जरूरतों को पूरा करने के लिए यूपीसीएल को बाहर से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है, जोकि यूपीसीएल को हुए वित्तीय घाटे की एक प्रमुख वजह है.

वित्तीय घाटे की अन्य प्रमुख वजह

  • उत्तराखंड जल विद्युत निगम की परियोजनाओं में उत्पादन की कमी के कारण ऊर्जा विभाग को 46 करोड़ का नुकसान हुआ.
  • खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदने से 110 करोड़ का नुकसान
  • UERC द्वारा पावर ग्रिड के ट्रांसमिशन की दरों में की गई वृद्धि भी है घाटे का प्रमुख कारण है. इससे ऊर्जा विभाग को 75 करोड़ का घाटा हुआ.

देहरादूनः प्रदेशवासियों को उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) झटका दे सकता है. हो सकता है कि अगले वित्तीय वर्ष में प्रदेशवासियों को बढ़ी हुई दरों पर बिजली मिले. दरअसल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) लगभग 695 करोड़ के भारी वित्तीय घाटे से गुजर रहा है. ऐसे में इस घाटे से उभरने के लिए ऊर्जा विभाग को विद्युत दरों में इजाफा करने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

गौरतलब है कि यूपीसीएल में विद्युत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसे लेकर आगामी 30 नवंबर तक यूईआरसी यानी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की जाएगी. बता दें कि प्रदेश की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन पिछले लंबे समय से काफी कम हो रहा है, जिसका एक बड़ा कारण नदियों में पानी कम होना है.

ऐसे में विद्युत उत्पादन गिरने की वजह से प्रदेश की विद्युत जरूरतों को पूरा करने के लिए यूपीसीएल को बाहर से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है, जोकि यूपीसीएल को हुए वित्तीय घाटे की एक प्रमुख वजह है.

वित्तीय घाटे की अन्य प्रमुख वजह

  • उत्तराखंड जल विद्युत निगम की परियोजनाओं में उत्पादन की कमी के कारण ऊर्जा विभाग को 46 करोड़ का नुकसान हुआ.
  • खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदने से 110 करोड़ का नुकसान
  • UERC द्वारा पावर ग्रिड के ट्रांसमिशन की दरों में की गई वृद्धि भी है घाटे का प्रमुख कारण है. इससे ऊर्जा विभाग को 75 करोड़ का घाटा हुआ.
Intro:देहरादून- अगले वित्तीय वर्ष में हो सकता है कि प्रदेशवासियों को बड़े हुए विद्युत दरों का झटका लग जाए। दरअसल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) लगभग 695 करोड के भारी वित्तीय घाटे से गुजर रहा है । ऐसे में इस घाटे से उभरने के लिए ऊर्जा विभाग को विद्युत दरों में इजाफा करने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नज़र नही आ रहा है ।




Body:गौरतलब है कि यूपीसीएल में विद्युत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जिसे लेकर आगामी 30 नवंबर तक यूईआरसी यानी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की जाएगी।

बता दे कि प्रदेश की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन पिछले लंबे समय से काफी कम हो रहा है जिसका एक बड़ा कारण नदियों में पानी कम होना है। ऐसे में विद्युत उत्पादन गिरने की वजह से प्रदेश की विद्युत जरूरतों को पूरा करने के लिए यूपीसीएल को बाहर से महंगे दामो में बिजली खरीदनी पड़ रही है जो कि यूपीसीएल को हुए वित्तीय घाटे की एक प्रमुख वजह है।


Conclusion:ऊर्जा विभाग को हुए वित्तीय घाटे की अन्य प्रमुख वजह

- उत्तराखंड जल विद्युत निगम की परियोजनाओं में उत्पादन की कमी के कारण ऊर्जा विभाग को 46 करोड़ का नुकसान हुआ

- खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदने से 110 करोड़ का नुकसान

- UERC द्वारा पावर ग्रिड के ट्रांसमिशन की दरों की गई वृद्धि भी है घाटे का प्रमुख कारण। इससे ऊर्जा विभाग को 75 करोड़ का घाटा हुआ।
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