देहरादूनः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से देश को बचाने को लेकर लागू लॉकडाउन की वजह से न सिर्फ गरीबों-मजदूरों पर आर्थिक असर पड़ा है, बल्कि तमाम विभाग और निगम भी इसकी चपेट में है. हम यहां उत्तराखंड परिवहन निगम का जिक्र कर रहे हैं. वैसे तो परिवहन विभाग का घाटे में जाना कोई नई बात नहीं, लेकिन कोरोना काल में निगम की आर्थिकी को खासी चोट पहुंची है. इस बात की तस्दीक खुद सूबे के परिवहन मंत्री भी कर रहे हैं. परिवहन मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि सब कुछ खत्म होते दिख रहा है.
हालांकि अनलॉक 2.0 के दौरान प्रदेश के भीतर शुरू हुई सशर्त परिवहन सेवाएं डूबते निगम के लिए एक नौका जरूर हो सकती है. लेकिन ऐसे वक्त में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य का बयान 'सब कुछ खत्म होते दिख रहा है' अपने आप में बहुत कुछ कहता है.
गौर हो कि एक जुलाई से उत्तराखंड में परिवहन सेवाओं को सशर्त शुरू कर दिया गया है ताकि लोग एक जिले से दूसरे जिलों में आवाजाही कर सके. इसके पीछे एक बड़ा उद्देश्य परिवहन निगम को बचाना भी है ताकि कम से कम निगम अपने कर्मचारियों की सैलरी तो दे सके.
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इस मामले में बात करते हुए सूबे के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य कहते हैं कि परिवहन सेवाएं शुरू होने से उम्मीद थी कि चारधाम यात्रा शुरू होगी और पर्यटन सीजन के दौरान प्रदेश में यात्रियों के आने से परिवहन निगम को थोड़ा फायदा होगा. लेकिन पहले से घाटा झेल रहे निगम पर कोरोना की मार ने बेहद चोट की है. ऐसे मुश्किल वक्त में चालक और परिचालक और कर्मचारियों की सैलरी निकालना भी मुश्किल हो गया है. एक बड़ी चिंता ये भी है कि जब तक सही ढंग से आवाजाही शुरू नहीं होती, तब तक चिंता बरकरार रहेगी.