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परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा, जानें वजह

उत्तराखंड परिवहन निगम गठन से लेकर अब तक घाटे में ही चल रहा है. बीते 18 सालों में निगम पर करीब ₹520 करोड़ से अधिक घाटे में चल गया है.

Uttarakhand Transport Corporation
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Published : Jul 16, 2021, 5:06 PM IST

Updated : Jul 16, 2021, 9:36 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम 2003 से अब तक घाटे में चल रहा है. आलम ये है कि 18 साल बाद भी निगम घाटे से उबर नहीं पाया है और वर्तमान में करीब ₹520 करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहा है. वर्तमान में परिवहन निगम का एक डिपो भी ऐसा नहीं है, जो राज्य सरकार के खजाने में मुनाफे का एक रुपया दे रहा हो.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य में ट्रांसपोर्टेशन का एकमात्र विकल्प बस ही है क्योंकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रेल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. पर्वतीय क्षेत्रों में हेली की सुविधा तो उपलब्ध है. लेकिन चार्ज ज्यादा होने की वजह से अधिकतर लोग सड़क परिवहन को ही प्राथमिकता देते हैं. प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए लगभग अधिकांश लोग बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. बावजूद इसके परिवहन निगम साल-दर-साल घाटे में ही डूबता जा रहा है. आलम यह है कि पिछले 18 सालों में करीब 520 करोड़ से अधिक के घाटे में परिवहन विभाग चल रहा है.

परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा.

उत्तराखंड परिवहन निगम के गठन के बाद अगर एक सालों को छोड़ दें, तो हर साल परिवहन निगम करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान में ही रहा है. जिसकी मुख्य वजह मानी जा रही है कि सही ढंग से परिवहन की क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा के अनुसार परिवहन निगम की जो क्षमताएं हैं, वो उसका सही ढंग से अधिकारी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि परिवहन निगम के पास बसों के जितने डिपो हैं और जितने कर्मचारी हैं, उन कर्मचारियों से उतना आउटपुट परिवहन निगम नहीं ले पा रहा है, जिसकी वजह से परिवहन निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है.

परिवहन निगम के मुखिया का बार-बार बदलना: भागीरथ शर्मा के अनुसार परिवहन निगम के एमडी कम समय के अंतराल में बदल दिए जाते हैं, जिसके वजह से भी परिवहन निगम पर एक बड़ा फर्क पड़ता है. जब किसी अधिकारी को परिवहन निगम की जिम्मेदारी दी जाती है, तो उसे थोड़ा समय भी दिया जाना चाहिए. ताकि वह परिवहन निगम की कार्यशैली को समझ सके और पूरी व्यवस्थाओं को जान सके. लेकिन जब तक वह परिवहन निगम के कार्यशैली को समझता है तब तक किसी और को जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. साल 2019 से अभी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो अभी तक परिवहन निगम को 4 एमडी बदले जा चुके हैं. 19 जून 2021 से आईएएस अधिकारी अभिषेक रुहेला परिवहन निगम के एमडी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- हरेला पर सीएम धामी की लोगों से अपील, 'मुझे बुके नहीं बल्कि पौधा करें भेंट'

गड़बड़ियों और घोटालों पर तय हो जवाब देही: परिवहन निगम के भीतर आए दिन गड़बड़ियों और घोटाले के मामले सामने आते रहे हैं. बीते दिन बेटिकट के भी कई मामले सामने आए, लेकिन अभी तक किसी की भी जवाबदेही तय नहीं हो पाई है. ऐसे में परिवहन निगम के आला अधिकारियों को चाहिए कि बसों के स्पेयर पार्ट समेत अन्य चीजों में होने वाले गड़बड़ियों और घोटालों पर नकेल कसे. क्योंकि निगम को घाटे में लाने का एक मुख्य वजह ये भी है. भागीरथ शर्मा के अनुसार अधिकारियों को इन मामलों पर गंभीरता दिखाने की जरूरत है, ताकि गड़बड़ियों और घोटालों से निजात मिल सके.

बसों की संख्या बढ़ाने की है जरूरत: प्रदेश भर में परिवहन निगम के 20 डिपो हैं. इन सभी डिपो से 1353 बसें संचालित होती हैं. लेकिन अभी भी तमाम क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बसों के संचालन किए जाने की जरूरत है. लिहाजा, परिवहन निगम को प्रदेश की जनता को पर्याप्त पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन उपलब्ध कराने के लिए बसों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. अगर बसों के बेड़े में बसों की संख्या बढ़ाई जाती है. ऐसे में निगम के आय में भी बढ़ोतरी होगी. भागीदारी शर्मा के अनुसार इस समय में परिवहन निगम को बेड़े में 500 बसों को और शामिल करने की जरूरत है. ताकि निगम की आय बढ़ सके. वहीं, परिवहन निगम के एमडी अभिषेक रुहेला के अनुसार निगम के पास अभी इतना बजट उपलब्ध नहीं है कि वह बसों की संख्या को बढ़ा सकें. लेकिन भविष्य में इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों पर विचार किया जा रहा है.

उत्तराखंड सरकार समय-समय पर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और छात्राओं के लिए तमाम योजनाओं को संचालित करती है, जिसके तहत बसों में फ्री सफर कराया जाता है. जिससे परिवहन निगम पर एक और वित्तीय दबाव बढ़ जाता है. हालांकि, राज्य सरकार इन सभी खर्च को वहन करती है, लेकिन तय समय पर परिवहन निगम को इन योजनाओं से संबंधित बजट उपलब्ध नहीं हो पाता है. लिहाजा राज्य सरकारों को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है कि अगर कोई योजना शुरू की जाती है. उस योजना संबंधित प्रतिपूर्ति परिवहन विभाग को तय समय के भीतर कर दिया जाए, ताकि रोडवेज निगम के कर्मचारियों को तय समय पर वेतन दिए जा सके.

ये भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा मामले में पीएम मोदी और सीएम योगी आमने-सामने

एमडी अभिषेक रूहेला ने बताया कि कोविड की दस्तक के बाद से सभी डिपो घाटे में चल रहे हैं, जिसके चलते परिवहन निगम पर देनदारी काफी अधिक बढ़ गई है. सामान्य दिनों में कुछ डिपो प्रॉफिट में थे. डिपो को प्रॉफिट में लाने के लिए लगातार कोशिशें की जाती हैं. इसके लिए डिपो स्तर पर या फिर कर्मचारियों द्वारा जो सुझाव भेजे जाते हैं, उन सुझावों पर चर्चा भी की जाती है. लिहाजा, कोशिश की जा रही है कि आने वाले समय में परिवहन निगम की स्थितियों को बेहतर किया जा सके. साथ ही बताया कि कुछ अन्य प्रयास करने की भी रणनीति बनाई गई है, जिसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा. परिवहन निगम के एमडी अभिषेक रुहेला ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों से डीजल पेट्रोल के दाम में काफी बढ़े हैं, जिसकी वजह से भी परिवहन निगम पर इसका अधिक भार पड़ा है.

वित्तीय वर्ष 2020-21 में घाटा: देहरादून (पर्वतीय) डिपो को 12.586 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. देहरादून (ग्रामीण) डिपो को 11.836 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. हरिद्वार डिपो को 5.864 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. कोटद्वार डिपो को 7.34 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. तो वहीं, रुड़की डिपो को 6.026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

वहीं, ऋषिकेश डिपो को 8.55 करोड़ रुपये का नुकसान, श्रीनगर डिपो को 1.24 करोड़ रुपये का नुकसान, JNNURM हरिद्वार डिपो को 1.508 करोड़ रुपये का नुकसान, JNNURM देहरादून डिपो को 74.93 लाख रुपये का नुकसान, रानीखेत डिपो को 7.376 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

अल्मोड़ा डिपो को 7.81 करोड़ रुपये का नुकसान, भवाली डिपो को 7.85 करोड़ रुपये का नुकसान, काठगोदाम डिपो को 13.348 करोड़ रुपये का नुकसान, हल्द्वानी डिपो को 9.92 करोड़ रुपये का नुकसान, रुद्रपुर डिपो को 8.00 करोड़ रुपये का नुकसान हआ.

बात करें, काशीपुर डिपो की तो वित्तीय वर्ष 2020-21 काशीपुर डिपो को 4.957 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, रामनगर डिपो को 5.765 करोड़ रुपये का नुकसान, लोहाघाट डिपो को 6.24 करोड़ रुपये का नुकसान, पिथौरागढ़ डिपो को 11.165 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और टनकपुर डिपो को 16.477 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

ये भी पढ़ें- 500 रुपये की रिश्वत लेते पटवारी का वीडियो वायरल, DM ने कर दिया सस्पेंड

परिवहन निगम को हर साल लाखों नुकसान : वित्तीय वर्ष 2012-13 में परिवहन निगम की कुल आय 311 करोड़ 01 लाख 57 हज़ार रुपये थी. जबकि 336 करोड़ 36 लाख 40 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 25 करोड़ 34 लाख 83 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2013-14 में परिवहन निगम की कुल आय 364 करोड़ 64 लाख 05 हज़ार रुपये थी जबकि 402 करोड़ 63 लाख 25 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 37 करोड़ 99 लाख 20 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2014-15 में परिवहन निगम की कुल आय 404 करोड़ 80 लाख 26 हज़ार रुपये थी जबकि 439 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 34 करोड़ 93 लाख 64 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2015-16 में परिवहन निगम की कुल आय 431 करोड़ 46 लाख 23 हज़ार रुपये थी जबकि 442 करोड़ 03 लाख 80 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 10 करोड़ 57 लाख 57 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2016-17 में परिवहन निगम की कुल आय 462 करोड़ 50 लाख 17 हज़ार रुपये थी. जबकि 481 करोड़ 85 लाख 35 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 19 करोड़ 35 लाख 18 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2017-18 में परिवहन निगम की कुल आय 514 करोड़ 03 लाख 30 हज़ार रुपये थी. जबकि 537 करोड़ 04 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 23 करोड़ 01 लाख 68 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2018-19 में परिवहन निगम की कुल आय 515 करोड़ 66 लाख 71 हज़ार रुपये थी जबकि 560 करोड़ 23 लाख 50 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 44 करोड़ 56 लाख 79 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2019-20 में परिवहन निगम की कुल आय 487 करोड़ 93 लाख 09 हजार रुपये थी जबकि 535 करोड़ 48 लाख 43 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 47 करोड़ 55 लाख 34 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

तो वही, वित्तीय वर्ष 2020-21 में परिवहन निगम की कुल आय 261 करोड़ 90 लाख 42 हज़ार रुपये थी. जबकि 423 करोड़ 03 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 161 करोड़ 13 लाख 56 हजार रुपये का घाटा हुआ है.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम 2003 से अब तक घाटे में चल रहा है. आलम ये है कि 18 साल बाद भी निगम घाटे से उबर नहीं पाया है और वर्तमान में करीब ₹520 करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहा है. वर्तमान में परिवहन निगम का एक डिपो भी ऐसा नहीं है, जो राज्य सरकार के खजाने में मुनाफे का एक रुपया दे रहा हो.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य में ट्रांसपोर्टेशन का एकमात्र विकल्प बस ही है क्योंकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रेल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. पर्वतीय क्षेत्रों में हेली की सुविधा तो उपलब्ध है. लेकिन चार्ज ज्यादा होने की वजह से अधिकतर लोग सड़क परिवहन को ही प्राथमिकता देते हैं. प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए लगभग अधिकांश लोग बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. बावजूद इसके परिवहन निगम साल-दर-साल घाटे में ही डूबता जा रहा है. आलम यह है कि पिछले 18 सालों में करीब 520 करोड़ से अधिक के घाटे में परिवहन विभाग चल रहा है.

परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा.

उत्तराखंड परिवहन निगम के गठन के बाद अगर एक सालों को छोड़ दें, तो हर साल परिवहन निगम करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान में ही रहा है. जिसकी मुख्य वजह मानी जा रही है कि सही ढंग से परिवहन की क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा के अनुसार परिवहन निगम की जो क्षमताएं हैं, वो उसका सही ढंग से अधिकारी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि परिवहन निगम के पास बसों के जितने डिपो हैं और जितने कर्मचारी हैं, उन कर्मचारियों से उतना आउटपुट परिवहन निगम नहीं ले पा रहा है, जिसकी वजह से परिवहन निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है.

परिवहन निगम के मुखिया का बार-बार बदलना: भागीरथ शर्मा के अनुसार परिवहन निगम के एमडी कम समय के अंतराल में बदल दिए जाते हैं, जिसके वजह से भी परिवहन निगम पर एक बड़ा फर्क पड़ता है. जब किसी अधिकारी को परिवहन निगम की जिम्मेदारी दी जाती है, तो उसे थोड़ा समय भी दिया जाना चाहिए. ताकि वह परिवहन निगम की कार्यशैली को समझ सके और पूरी व्यवस्थाओं को जान सके. लेकिन जब तक वह परिवहन निगम के कार्यशैली को समझता है तब तक किसी और को जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. साल 2019 से अभी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो अभी तक परिवहन निगम को 4 एमडी बदले जा चुके हैं. 19 जून 2021 से आईएएस अधिकारी अभिषेक रुहेला परिवहन निगम के एमडी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- हरेला पर सीएम धामी की लोगों से अपील, 'मुझे बुके नहीं बल्कि पौधा करें भेंट'

गड़बड़ियों और घोटालों पर तय हो जवाब देही: परिवहन निगम के भीतर आए दिन गड़बड़ियों और घोटाले के मामले सामने आते रहे हैं. बीते दिन बेटिकट के भी कई मामले सामने आए, लेकिन अभी तक किसी की भी जवाबदेही तय नहीं हो पाई है. ऐसे में परिवहन निगम के आला अधिकारियों को चाहिए कि बसों के स्पेयर पार्ट समेत अन्य चीजों में होने वाले गड़बड़ियों और घोटालों पर नकेल कसे. क्योंकि निगम को घाटे में लाने का एक मुख्य वजह ये भी है. भागीरथ शर्मा के अनुसार अधिकारियों को इन मामलों पर गंभीरता दिखाने की जरूरत है, ताकि गड़बड़ियों और घोटालों से निजात मिल सके.

बसों की संख्या बढ़ाने की है जरूरत: प्रदेश भर में परिवहन निगम के 20 डिपो हैं. इन सभी डिपो से 1353 बसें संचालित होती हैं. लेकिन अभी भी तमाम क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बसों के संचालन किए जाने की जरूरत है. लिहाजा, परिवहन निगम को प्रदेश की जनता को पर्याप्त पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन उपलब्ध कराने के लिए बसों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. अगर बसों के बेड़े में बसों की संख्या बढ़ाई जाती है. ऐसे में निगम के आय में भी बढ़ोतरी होगी. भागीदारी शर्मा के अनुसार इस समय में परिवहन निगम को बेड़े में 500 बसों को और शामिल करने की जरूरत है. ताकि निगम की आय बढ़ सके. वहीं, परिवहन निगम के एमडी अभिषेक रुहेला के अनुसार निगम के पास अभी इतना बजट उपलब्ध नहीं है कि वह बसों की संख्या को बढ़ा सकें. लेकिन भविष्य में इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों पर विचार किया जा रहा है.

उत्तराखंड सरकार समय-समय पर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और छात्राओं के लिए तमाम योजनाओं को संचालित करती है, जिसके तहत बसों में फ्री सफर कराया जाता है. जिससे परिवहन निगम पर एक और वित्तीय दबाव बढ़ जाता है. हालांकि, राज्य सरकार इन सभी खर्च को वहन करती है, लेकिन तय समय पर परिवहन निगम को इन योजनाओं से संबंधित बजट उपलब्ध नहीं हो पाता है. लिहाजा राज्य सरकारों को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है कि अगर कोई योजना शुरू की जाती है. उस योजना संबंधित प्रतिपूर्ति परिवहन विभाग को तय समय के भीतर कर दिया जाए, ताकि रोडवेज निगम के कर्मचारियों को तय समय पर वेतन दिए जा सके.

ये भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा मामले में पीएम मोदी और सीएम योगी आमने-सामने

एमडी अभिषेक रूहेला ने बताया कि कोविड की दस्तक के बाद से सभी डिपो घाटे में चल रहे हैं, जिसके चलते परिवहन निगम पर देनदारी काफी अधिक बढ़ गई है. सामान्य दिनों में कुछ डिपो प्रॉफिट में थे. डिपो को प्रॉफिट में लाने के लिए लगातार कोशिशें की जाती हैं. इसके लिए डिपो स्तर पर या फिर कर्मचारियों द्वारा जो सुझाव भेजे जाते हैं, उन सुझावों पर चर्चा भी की जाती है. लिहाजा, कोशिश की जा रही है कि आने वाले समय में परिवहन निगम की स्थितियों को बेहतर किया जा सके. साथ ही बताया कि कुछ अन्य प्रयास करने की भी रणनीति बनाई गई है, जिसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा. परिवहन निगम के एमडी अभिषेक रुहेला ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों से डीजल पेट्रोल के दाम में काफी बढ़े हैं, जिसकी वजह से भी परिवहन निगम पर इसका अधिक भार पड़ा है.

वित्तीय वर्ष 2020-21 में घाटा: देहरादून (पर्वतीय) डिपो को 12.586 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. देहरादून (ग्रामीण) डिपो को 11.836 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. हरिद्वार डिपो को 5.864 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. कोटद्वार डिपो को 7.34 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. तो वहीं, रुड़की डिपो को 6.026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

वहीं, ऋषिकेश डिपो को 8.55 करोड़ रुपये का नुकसान, श्रीनगर डिपो को 1.24 करोड़ रुपये का नुकसान, JNNURM हरिद्वार डिपो को 1.508 करोड़ रुपये का नुकसान, JNNURM देहरादून डिपो को 74.93 लाख रुपये का नुकसान, रानीखेत डिपो को 7.376 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

अल्मोड़ा डिपो को 7.81 करोड़ रुपये का नुकसान, भवाली डिपो को 7.85 करोड़ रुपये का नुकसान, काठगोदाम डिपो को 13.348 करोड़ रुपये का नुकसान, हल्द्वानी डिपो को 9.92 करोड़ रुपये का नुकसान, रुद्रपुर डिपो को 8.00 करोड़ रुपये का नुकसान हआ.

बात करें, काशीपुर डिपो की तो वित्तीय वर्ष 2020-21 काशीपुर डिपो को 4.957 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, रामनगर डिपो को 5.765 करोड़ रुपये का नुकसान, लोहाघाट डिपो को 6.24 करोड़ रुपये का नुकसान, पिथौरागढ़ डिपो को 11.165 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और टनकपुर डिपो को 16.477 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

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परिवहन निगम को हर साल लाखों नुकसान : वित्तीय वर्ष 2012-13 में परिवहन निगम की कुल आय 311 करोड़ 01 लाख 57 हज़ार रुपये थी. जबकि 336 करोड़ 36 लाख 40 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 25 करोड़ 34 लाख 83 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2013-14 में परिवहन निगम की कुल आय 364 करोड़ 64 लाख 05 हज़ार रुपये थी जबकि 402 करोड़ 63 लाख 25 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 37 करोड़ 99 लाख 20 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2014-15 में परिवहन निगम की कुल आय 404 करोड़ 80 लाख 26 हज़ार रुपये थी जबकि 439 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 34 करोड़ 93 लाख 64 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2015-16 में परिवहन निगम की कुल आय 431 करोड़ 46 लाख 23 हज़ार रुपये थी जबकि 442 करोड़ 03 लाख 80 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 10 करोड़ 57 लाख 57 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2016-17 में परिवहन निगम की कुल आय 462 करोड़ 50 लाख 17 हज़ार रुपये थी. जबकि 481 करोड़ 85 लाख 35 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 19 करोड़ 35 लाख 18 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2017-18 में परिवहन निगम की कुल आय 514 करोड़ 03 लाख 30 हज़ार रुपये थी. जबकि 537 करोड़ 04 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 23 करोड़ 01 लाख 68 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2018-19 में परिवहन निगम की कुल आय 515 करोड़ 66 लाख 71 हज़ार रुपये थी जबकि 560 करोड़ 23 लाख 50 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 44 करोड़ 56 लाख 79 हजार रुपये का घाटा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2019-20 में परिवहन निगम की कुल आय 487 करोड़ 93 लाख 09 हजार रुपये थी जबकि 535 करोड़ 48 लाख 43 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 47 करोड़ 55 लाख 34 हजार रुपये का घाटा हुआ था.

तो वही, वित्तीय वर्ष 2020-21 में परिवहन निगम की कुल आय 261 करोड़ 90 लाख 42 हज़ार रुपये थी. जबकि 423 करोड़ 03 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 161 करोड़ 13 लाख 56 हजार रुपये का घाटा हुआ है.

Last Updated : Jul 16, 2021, 9:36 PM IST
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