देहरादून: उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. उत्तराखंड में तमाम ऐसे प्राचीन मंदिर और गुफाएं हैं, जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. वहीं श्रद्धालुओं और सैलानियों के लिए गुफा को विकसित करने की कवायद में पर्यटन विभाग जुटा हुआ है. इसी क्रम में कुमाऊं क्षेत्र स्थित गुफाओें को विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने रोड मैप बनाना शुरू कर दिया है. ताकि केदारनाथ ध्यान गुफा के साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के प्राचीन गुफाएं भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकें.
वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि केदारनाथ के समीप जो ध्यान गुफा बनाई गई थी. वह ध्यान गुफा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुई है. यही वजह है कि पिछले साल जब ध्यान गुफा को आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. उस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुफा में रुकने की इच्छा जताई थी. इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद प्रदेश के भीतर कुछ अन्य जगह पर भी ध्यान गुफा को विकसित किया गया है.
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हालांकि, यह गुफा तिब्बत परंपरा के तहत बनाई गई है, जहां तिब्बती गुफा के अंदर जाकर ध्यान लगाते हैं. इस तरह की तमाम गुफाएं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्रों में विद्यमान है. जिसमें मुख्य रूप से पाताल भुवनेश्वर, लाखुउडियार आदि शामिल है. जिन्हें प्रचलन में लाने के लिए और प्रचार-प्रसार करने की पर्यटन विभाग रणनीति बना रहे हैं. साथ ही बताया कि करीब पांच हजार वर्ष पुराना लाखुउडियार है. जहां कई तरह के मानचित्र बने हुए हैं. इसी तरह पाताल भुवनेश्वर गुफा भी देश-विदेश में विख्यात है. जहां सारी सुविधाओं उपलब्ध होने के बाद भी इस पर सरकार ध्यान दे रही है. ऐसे में इन स्थानों को पर्यटकों के लिए सुलभ किए जाने की कवायद की जा रही है. ताकि आने वाले समय में पर्यटक इस ओर भी रुख करें.
मौजूदा समय में पाताल भुवनेश्वर के अंदर सफोकेशन की स्थिति बनती है. क्योंकि वहां धूप बत्ती जलती रहती हैं. ऐसे में कोशिश की जा रही है कि वहां कुछ इस तरह की व्यवस्था किया जाए, ताकि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को सफोकेशन ना हो. इसके साथ ही महाअवतार बाबा की भी गुफा कुमाऊं क्षेत्र में मौजूद हैं. जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. लिहाजा वहां की व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए पर्यटन विभाग ने कदम बढ़ाया है. ताकि यहां आकर श्रद्धालु गुफा में ध्यान लगाए और यहां के पॉजिटिव एनर्जी को महसूस कर सकें.