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उत्तराखंड: शासनादेश में संशोधन के बाद सरप्लस शिक्षकों का होगा समायोजन

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Published : Nov 22, 2020, 3:30 PM IST

शिक्षकों को समायोजन के लिए जारी शासनादेश में गलती की वजह से पिछले 2 महीने से शिक्षकों का समायोजन रुका हुआ है. अब इस आदेश को संशोधन के लिए शासन को भेजा गया है. लिहाजा, संशोधित आदेश की कॉपी आने के बाद ही शिक्षकों का समायोजन किया जा सकेगा.

देहरादून
सरप्लस शिक्षकों का होगा समायोजन

देहरादून: प्रदेश के स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों को अन्य स्कूलों में समायोजन किए जाने को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई समिति ने शिक्षकों के समायोजन की सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक इन शिक्षकों का समायोजन नहीं किया जा सका है. वहीं, इन शिक्षकों के समायोजन पर तलवार लटकती नजर आ रही है. जिसकी मुख्य वजह शासनादेश में की गई एक छोटी सी गलती है, जिसकी वजह से पिछले 2 महीने से यह मामला लटका हुआ है.

उत्तराखंड में तमाम स्कूलों में जरूरत से अधिक शिक्षक कार्य कर रहे हैं. जिन शिक्षकों को समायोजन के लिए समान श्रेणी के स्कूल में पद उपलब्ध ना होने के चलते दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम स्कूलों के खाली पदों पर समायोजन किया जाना है. हालांकि, इसके लिए कार्मिक विभाग के उप सचिव महावीर सिंह ने सितंबर 2020 को प्रदेश के बेसिक स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन इस समायोजन के शासनादेश में आवश्यकता अनुसार दूसरे स्कूलों में सिफारिश किए जाने के बजाय दूसरे विभागों में समायोजन किया जाना लिखा गया है.

ये भी पढ़ें: लक्सर में 23 हजार पशुओं का हुआ टीकाकरण, रोगों से रहेंगे दूर

जिसके चलते प्रदेश के करीब ढाई हजार सरप्लस शिक्षकों का अन्य स्कूलों में समायोजन नहीं किया जा सका है. क्योंकि सरप्लस शिक्षकों का समायोजन दूसरे विभागों में नहीं किया जा सकता है. ऐसे में अब आदेश के संशोधन के लिए आदेश को शासन को लौटा दिया गया है. आपको बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने ही सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के आदेश दिए थे.

वहीं, अपर निदेशक बीएस रावत ने बताया कि सितंबर 2020 को जो शासनादेश जारी किया गया है. उसमें स्कूलों की जगह अन्य विभागों में समायोजन लिखा गया है, जिसके चलते शिक्षकों का अन्य स्कूलों में समायोजन नहीं हो पाया है. ऐसे में अब इस आदेश में संशोधन के लिए शासन को भेजा गया है. लिहाजा, संशोधित आदेश की कॉपी आने के बाद ही शिक्षकों का समायोजन किया जा सकेगा.

देहरादून: प्रदेश के स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों को अन्य स्कूलों में समायोजन किए जाने को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई समिति ने शिक्षकों के समायोजन की सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक इन शिक्षकों का समायोजन नहीं किया जा सका है. वहीं, इन शिक्षकों के समायोजन पर तलवार लटकती नजर आ रही है. जिसकी मुख्य वजह शासनादेश में की गई एक छोटी सी गलती है, जिसकी वजह से पिछले 2 महीने से यह मामला लटका हुआ है.

उत्तराखंड में तमाम स्कूलों में जरूरत से अधिक शिक्षक कार्य कर रहे हैं. जिन शिक्षकों को समायोजन के लिए समान श्रेणी के स्कूल में पद उपलब्ध ना होने के चलते दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम स्कूलों के खाली पदों पर समायोजन किया जाना है. हालांकि, इसके लिए कार्मिक विभाग के उप सचिव महावीर सिंह ने सितंबर 2020 को प्रदेश के बेसिक स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन इस समायोजन के शासनादेश में आवश्यकता अनुसार दूसरे स्कूलों में सिफारिश किए जाने के बजाय दूसरे विभागों में समायोजन किया जाना लिखा गया है.

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जिसके चलते प्रदेश के करीब ढाई हजार सरप्लस शिक्षकों का अन्य स्कूलों में समायोजन नहीं किया जा सका है. क्योंकि सरप्लस शिक्षकों का समायोजन दूसरे विभागों में नहीं किया जा सकता है. ऐसे में अब आदेश के संशोधन के लिए आदेश को शासन को लौटा दिया गया है. आपको बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने ही सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के आदेश दिए थे.

वहीं, अपर निदेशक बीएस रावत ने बताया कि सितंबर 2020 को जो शासनादेश जारी किया गया है. उसमें स्कूलों की जगह अन्य विभागों में समायोजन लिखा गया है, जिसके चलते शिक्षकों का अन्य स्कूलों में समायोजन नहीं हो पाया है. ऐसे में अब इस आदेश में संशोधन के लिए शासन को भेजा गया है. लिहाजा, संशोधित आदेश की कॉपी आने के बाद ही शिक्षकों का समायोजन किया जा सकेगा.

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