देहरादूनः उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पिछले लंबे समय से पेपर लीक मामले को लेकर विवादों में रहा है. आयोग में हुई परीक्षाओं के दौरान धांधलियों के कारण उत्तराखंड को भी देशभर में फजीहत झेलनी पड़ी है. कई भर्तियों में गड़बड़ी सामने आने के बाद भी आयोग को लेकर ईटीवी भारत कुछ ऐसे तथ्य सामने रख रहा है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान होगा. दरअसल प्रदेश भर में हजारों परीक्षार्थियों की ऑनलाइन परीक्षा कराने वाले आयोग के पास अब भी आईटी की कोई स्थाई टीम ही नहीं है. यही नहीं, कोर्ट में कई परीक्षा से जुड़े केस होने के बावजूद आयोग बिना लीगल टीम के ही काम कर रहा है.
प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली के लिए उत्तराखंड की चर्चा देशभर के विभिन्न राज्यों में भी सुनाई दी. सरकार ने जांच बैठाई तो पता चला कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में एक नहीं बल्कि कई परीक्षाओं में गड़बड़ी हुई थी. इसके बाद एसआईटी की जांच तक भी हुई, जिसमें करीब 60 परीक्षा माफियाओं की धरपकड़ की गई. जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि न केवल परीक्षा का पेपर बनाने वाली कंपनी का मालिक भी इसमें संलिप्त था, बल्कि आयोग के कुछ लोग भी इसमें गड़बड़ पाए गए. जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी भी हुई. इतना कुछ हुआ लेकिन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में सबसे जरूरी काम के लिए अब भी शासन की मंजूरी का इंतजार हो रहा है.
आउटसोर्स कर्मचारियों पर आश्रित आयोग: दरअसल जो आयोग युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं को ऑनलाइन प्रारूप में कर रहा है, उसी आयोग के पास अब तक अपने स्थाई आईटी के कर्मचारी ही नहीं हैं. इसके लिए आयोग को आउटसोर्स कर्मचारियों पर ही आश्रित होना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है, जब आयोग जानता है कि पेपर लीक जैसे मामले में पहले ही तमाम विवाद हो चुके हैं और अब आउटसोर्स कर्मचारी पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है. खुद आयोग के अध्यक्ष भी मानते हैं कि आउटसोर्स कर्मचारी की ना तो अकाउंटेबिलिटी है और ना ही उन पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है. यही नहीं, इसका आयोग को नुकसान भी हो सकता है. उधर जो अभ्यर्थी अपनी ऑनलाइन आवेदन के दौरान सूचना भेजते हैं. उनका डाटा भी आयोग के पास नहीं होता और कंपनी के पास ही यह सभी सूचनाओं होती हैं, जिसका वह मिसयूज भी कर सकते हैं.
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आयोग के पास लीगल टीम नहीं: आयोग में चौंकाने वाली बात सिर्फ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) से जुड़े कर्मचारियों के ना होने से जुड़ी ही नहीं है, बल्कि आयोग अभी बिना स्थाई लीगल टीम के काम कर रहा है. इस बात को इससे समझा जा सकता है कि करीब 500 केस कोर्ट में लड़ रहे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास अपनी कोई लीगल टीम ही नहीं है. आयोग आउटसोर्स पर लीगल टीम हायर कर बेहद महत्वपूर्ण मामलों की कोर्ट में पैरवी कर रहा है.
आयोग के पास कर्मचारियों का अभाव: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की मुसीबतें इतनी ही नहीं है. जब आयोग का गठन हुआ था, तब इसमें 62 कर्मचारियों का ढांचा तय किया गया था. जिसमें अलग-अलग पद रखें गए और कई पद प्रमोशन के भी थे. इसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी शामिल हैं. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया कहते हैं कि देखा जाए तो काम करने वाले केवल 20 से 22 कर्मचारी की आयोग के पास हैं. उसी से आयोग को काम चलाना पड़ रहा है. फिलहाल सरकार को ढांचे में संशोधन के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया गया है.
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