देहरादून: उत्तराखंड में नशे के काले कारोबार की जड़ें इतनी तेजी से फैलती जा रही है, जिसे काबू पाना पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है. पंजाब की तरफ से उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, उधम सिंह नगर और नैनीताल सहित अब पहाड़ी जनपदों में भी नशे का धंधा तेजी से फलता फूलता जा रहा है. उत्तराखंड के जेलों से चल रहे संगठित ड्रग्स कारोबार पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कार्रवाई होगी. जनवरी 2022 से STF पीआईटी एनडीपीएस अधिनियम (PIT NDPS ACT ) के तहत युद्धस्तर पर ठोस विधिक कार्रवाई करेगी.
3 सालों में 6 हजार से अधिक अपराधियों पर कार्रवाई: हालांकि, लगातार उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) की अलग-अलग इकाइयां इस पर शिकंजा कसने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चला रही हैं, लेकिन राज्य में नशे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा. उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स STF की माने तो इसकी बड़ी वजह राज्य की जेलों से चलने वाला संगठित ड्रग्स का नेटवर्क है. पिछले 3 वर्षों में 6 हजार से अधिक नशा तस्कर गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.
जेलों में छापेमारी से गिरोह का पर्दाफाश: 2021 की बात करें तो वर्तमान तक 1,700 से अधिक नशा तस्कर जेल जा चुके हैं. ऐसे जेल पहुंचने पर छोटे-बड़े नशा तस्करों को जेल में बंद बड़े कुख्यात अपराधी, उन्हें तेजी से अपने नेटवर्क में शामिल कर बड़े पैमाने में नशे के कारोबार को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण सितंबर और नवंबर माह के बीच पहले हरिद्वार, फिर अल्मोड़ा और पौड़ी जेल से संचालित होने वाला ड्रग्स कोरोबार का पर्दाफाश होने पर सच सामने आया.
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2022 में एसटीएफ की रणनीति: जेलों में बंद कुख्यात अपराधी प्रतिदिन जेलों में आने वाले नए नशा तस्करों को अपने गिरोह में शामिल कर रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड एसडीएफ जनवरी 2022 से नशे के खिलाफ युद्ध स्तर पर नकेल कसने की रणनीति बना रहा है. नए साल में एसटीएफ एंटी ड्रग्स टास्क के साथ मिलकर उत्तराखंड में बढ़ते नशे के विरुद्ध चरणबद्ध तरीके से अभियान की तैयारी में है.
3 वर्षों में नशा तस्करी में जेल जाने वाले अभियुक्तों की संख्या: वर्ष 2019 में 1503 नशा तस्करों को गिरफ्तार पुलिस ने जेल भेजा. जबकि वर्ष 2020 में 1434 और वर्ष 2021 में वर्तमान तक 1721 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. एसटीएफ के मुताबिक, इनमें से अधिकांश आरोपी जेलों में बंद अपराधियों के गिरोह में शामिल होकर जेल से बाहर आकर उनके ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क बढ़ा रहे हैं. वहीं, इसके बदले जेल में बंद संगठित नेटवर्क चलाने वाले अपराधियों को ड्रग्स कारोबार से लाखों रुपए आ रहे हैं.
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PIT NDPS ACT 1988 के तहत होगी कार्रवाई: बता दें कि उत्तराखंड एसटीएफ देश में पहली बार ऐसी पुलिस टीम होगी, जो जेल और बाहर से चलने वाले संगठित ड्रग्स नेटवर्क पर NSA रासुका के तर्ज पर PIT NDPS ACT 1988 के तहत हिस्ट्री शीट तैयार कर नकेल कसने की तैयारी में हैं. वहीं, उत्तराखंड गठन के 21 साल बाद वर्ष 2021 में पहली बार STF ने राज्य की जेलों में छापेमारी की कार्रवाई की. जिससे जेलों से चलने वाले संगठित ड्रग्स कारोबार और अन्य गंभीर अपराधों के संचालन नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ. वहीं, मामले में कई आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.
अपराधियों पर होगी कड़ी कानूनी कार्रवाई: पेशेवर अपराधियों को हिस्ट्रीशीटर एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि नशे के संगठित सौदागर और नशे के साथ पकड़े जाने वाले अपराधियों के खिलाफ PIT NDPS ACT (Prevention of illicit traffic in Narcotics Drug's and Substances act 1988) के तहत अपराधियों पर हिस्ट्रीशीटर के रूप में कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में है.
हिस्ट्रीशीटरों को वांटेड घोषित किया जाएगा: STF के मुताबिक, ऐसे मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले को चिन्हित करके विधिक कार्रवाई की जाएगी. साथ ही बार-बार पकड़े जाने के बाद जमानत पर आने पर पुनः नशे के व्यापार में शामिल हो जाते हैं, उनपर भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, ऐसे अपराधियों भी जो संगठित नशे के सौदागर हैं और गैर प्रांतों से नशे की खेप उत्तराखंड भेजते हैं और पकड़ में नहीं आते. अब ऐसे लोगों पर जो जेल और बाहर से संगठित नशे का कारोबार करते हैं, उनपर PIT NDPS ACT के तहत उनकी हिस्ट्रीशीट तैयार कर देशभर में वांटेड घोषित कर शिकंजा कसने की तैयारी है.
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एसटीएफ ने किया नेटवर्क का खुलासा: उत्तराखंड STF एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, 2021 में अल्मोड़ा, पौड़ी और हरिद्वार के जेल में बंद अपराधियों द्वारा संगठित तरीके से नशा तस्करों के साथ मिलकर नेटवर्क चलाने वालों का पर्दाफाश किया था. एसटीएफ ने जहां अल्मोड़ा जेल से भारी मात्रा में लाखों की नकदी, मादक पदार्थ, मोबाइल बरामद किया तो, वहीं पौड़ी जेल से भी लाखों की नकदी, मादक पदार्थ, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद कर नेटवर्क का खुलासा किया था. वहीं, हरिद्वार जेल में भी मोबाइल और कई सिम बरामद हुआ, जिससे जेल से चलने वाले ड्रग्स और अपराधिक नेटवर्क का खुलासा हुआ.
NSA की तर्ज पर कानूनी शिकंजा: जेल से चलने वाले संगठित ड्रग्स और अपराध नेटवर्क की जांच में यह बात भी सामने आई कि जेल में बंद अपराधी मिलीभगत कर नशे के धंधे के अलावा बाहर अन्य अपराधों को भी अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में अब संगठित नशे के अपराध में लिप्त क्रिमिनलों के खिलाफ PIT NDPS ACT के तहत पहली बार उत्तराखंड एसटीएफ NSA (रासुका) की तर्ज पर प्रभावी कानूनी शिकंजा कसने जा रही है. एसटीएफ पहले उनकी हिस्ट्रीशीट तैयार करेगी और उसके आधार पर अपराधियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई के तहत कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी.