देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (उत्तराखंड एसटीएफ) ने सेना में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवाओं से ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. गिरोह का सरगना अंकुर कुमार उत्तराखंड एसटीएफ के हत्थे चढ़ा है. आरोपी खुद को सेना में लेफ्टिनेंट बताकर ठगी करता था. हालांकि इस गैंग के तीन सदस्य अभी फरार हैं, जिनकी उत्तराखंड एसटीएफ तलाश कर रही है. आरोपी को देहरादून के बल्लीवाला चौक से गिरफ्तार किया है. आरोपी मूल रूप से यूपी के बिजनौर जिले का रहने वाला है.
अंकुर ने अपने आप को लेफ्टिनेंट बताकर कई युवाओं को सेना में नौकरी दिलाने के झांसे में लिया और उनसे करीब 1.50 करोड़ रुपए की ठगी की. आरोपी ने जिन लोगों को अपना शिकार बनाया वो अधिकतर यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और दिल्ली के रहने वाले हैं. आजकल ये गिरोह देहरादून में सक्रिय था.
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एसटीएफ को आरोपी के कब्जे से आर्मी भर्ती से जुड़े दस्तावेज और कई फर्जी नियुक्ति पत्र भी मिले हैं. एसटीएफ ने बताया कि ये गिरोह ऐसे लोगों को ही टारगेट करता तो सेना में जाने की इच्छा रखते थे. इस गिरोह के कुछ सदस्य अपने आप को सेना में डॉक्टर भी बताते थे. इस गिरोह के जिन तीन सदस्यों की पुलिस को तलाश है कि उनके नाम अंकित निवासी धामपुर जिला बिजनौर यूपी, गावस्कर चौहान उर्फ आशु निवासी अमरोहा बिजनौर यूपी और भूपेंद्र चौहान उर्फ कंचन चौहान निवासी अमरोहा बिजनौर यूपी है.
ऐसे आया पकड़ में आया: उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि उन्हें कुछ दिनों पहले सूचना मिली थी कि कुछ लोग आर्मी में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगी कर रहे हैं और ये गिरोह इस समय देहरादून में सक्रिय है. उत्तराखंड एसटीएफ ने इस मामले का गंभीरता से लिया और आर्मी इंटेलिजेंस के साथ मिलकर गिरोह के बारे में सूचना एकत्र की. इसके बाद जैसे ही एसटीएफ को आरोपी के खिलाफ सबूत मिले टीम ने उसे धर लिया. आरोपी वर्तमान में चंद्रबनी में wild life institute के पास रह रहा था.
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आरोपी ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि वो अपने तीन साथियों के साथ मिलकर युवाओं को आर्मी में नौकरी दिलाने का झांसा देता था. इतना ही नहीं कई युवाओं को उन्होंने क्लर्क और जीडी के पदों के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र दिए हैं, प्राथमिक तौर पर जो जानकारी सामने आई है.