देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और साइबर क्राइम पुलिस ने देहरादून में अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह (International Cyber Crime Gang) का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का खुलासा भी किया है. ये गिरोह देहरादून में एक फर्जी कॉल सेंटर (International Fake Call Center) चला था, जिसके जरिए ये गिरोह अमेरिका में लोगों को बडे़ पैमाना पर ठगा रहा था. इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला है, जो अमेरिका में ही रहती थी.
उत्तराखंड एसटीएफ के डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि मामला अंतरराष्ट्रीय है, इसीलिए इसकी सूचना इंटरपोल (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन) को भी दी जा रही है. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस बारे में अवगत कराया जा रहा है. क्योंकि ये एक इंटरनेशनल लेवल रैकेट है. इसके विवेचना की जा रही है. ये एक बड़ा गैंग है.
उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने इस गिरोह के जिन दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है, उनके नाम वैभव गुप्ता और सूद खान है. इन दोनों के पास से उत्तराखंड एसटीएफ को कई डिजिटल सबूत साक्ष्य भी मिले हैं, जिनके आधार पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार किया है. दोनों को देहरादून के पटेल नगर कोतवाली क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है. वैभव गुप्ता देहरादून के पटेल नगर का ही रहने वाला है. जबकि, सूद खान मूलचंद एनक्लेव पटेल नगर का रहने वाला है
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जानकारी के मुताबिक, ये गिरोह मुख्य रूप से अमेरिका में लोगों को कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे सिस्टमों की सर्विस देने के नाम पर ठगी करते थे. इसके लिए इन्होंने फर्जी कॉल सेंटर (cyber crime) भी बना रखा था. अभी तक ये गिरोह इसी तरह लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है.
उत्तराखंड एसटीएफ की प्रारंभिक जांच में जो सच निकल कर सामने आया है, उसके मुताबिक इस गिरोह की सरगना एक महिला है, जो अमेरिका में ही रहती है. उसी का नेटवर्क भारत के अलग-अलग शहरों में फैला हुआ है. महिला गूगल सर्च के जरिये ग्राहकों के नंबर हैक कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम देती थी.
साइबर क्राइम पुलिस की गिरफ्त में आए वैभव गुप्ता ने कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट किया था. उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी हुई है.
एक प्लैट में चल रहा फर्जी कॉल सेंटर
उत्तराखंड एसटीएफ ने शुक्रवार देर रात को एक सूचना के आधार पर गुरु राम राय पीजी कॉलेज के पास स्थिति एक प्लैट में छापेमारी की थी. इस दौरान पुलिस को वहां से दो लोग मिले थे. हिरासत में लेकर जब उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि यह लोग डेस्कटॉप और लैपटॉप की सर्विस के नाम पर अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते थे.
आरोपियों ने बताया कि वे फर्जी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर अमेरिका के लोगों को पहले फोन करते थे, फिर सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने का झांसा देकर सर्विस के नाम पर उनके साइबर ठगी करते थे. जानकारी में यह भी पता चला कि इस गिरोह ने दो टोल फ्री नंबर खरीदे थे, जो उनके लैपटॉप और कंप्यूटर पर मौजूद सॉफ्टवेयर से कनेक्ट है.
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ऐसे करते थे ठगी
ऐसे में जब भी अमेरिका में बैठा कोई भी व्यक्ति वहां से सिस्टम डिवाइस के रिपेयर के लिए गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करता था, तो वो इस गिरोह के संपर्क में आ जाता था. ये उसी व्यक्ति के नंबर को हैक करके उसे फोन करते है और फर्जी कस्मटर केयर अधिकारी बनकर उससे बात करते थे. इसके बात ये एक रिमोट एक्सेस के जरिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर अमेरिका में बैठे नागरिक के सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने के एवज में 100 से लेकर 900 डॉलर तक की ठगी करते थे.
गिरोह की मास्टरमाइंड अमेरिका में बैठी
आरोपी वैभव गुप्ता ने उत्तराखंड एसटीएफ को बताया कि इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला है, जो अमेरिका में रहती है, वो अमेरिका में ही बैठकर अपने गिरोह के सदस्यों को डायरेक्शन देती है. उसी के जरिए उनका कमिशन मिलता है. महिला का नाम मलिसा (Melissa) है. महिला अपना कमिशन काटने के बाद दिल्ली से लेकर देहरादून तक गिरोह के सदस्यों के खातों में पैसा ट्रांसफर कर देती थी.
एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फ्रीज
इस गिरोह के बैंक खाते में करीब 1.25 करोड़ रुपए की ट्रांजेक्शन सामने आई है. गिरोह के खाते में जमा करीब एक करोड़ 10 लाख रुपयों को पुलिस ने फ्रीज करा दिया है. ये सभी रकम पीएनबी, एचडीएफसी और बैंक ऑफ बड़ौदा के खातों में जमा थी.