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बीएसएनएल KYC अपडेट के नाम पर करते थे ठगी, अंतरराज्यीय गैंग के 3 सदस्य दिल्ली से धरे गए

BSNL नेटवर्क KYC अपडेट करने के नाम पर साइबर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गैंग के तीन अभियुक्त दिल्ली से गिरफ्तार हुए हैं. STF इससे पहले गिरोह का पर्दाफाश कर 2 अभियुक्तों को राजस्थान से गिरफ्तार कर चुकी है.

उत्तराखंड STF को मिली बड़ी सफलता
उत्तराखंड STF को मिली बड़ी सफलता
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Published : Apr 17, 2021, 4:51 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 9:38 PM IST

देहरादून: देशभर में साइबर क्राइम का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. वहीं, साइबर क्रिमिनल अब हर दिन नए-नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इस क्रम में BSNL सिम के KYC अपडेट करने के नाम पर साइबर ठगी का मामला सामने आया है. इसमें उत्तराखंड एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है. एसटीएफ ने अंतरराज्यीय साइबर ठगी गैंग के तीन सदस्यों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.

इससे पहले एसटीएफ ने 8 अप्रैल को इसी गिरोह के दो मास्टरमाइंड को राजस्थान के बीकानेर से गिरफ्तार कर गैंग का पर्दाफाश किया था. एसटीएफ की कार्रवाई के बाद गिरोह के 3 सदस्य फरार चल रहे थे, जिन्हें STF व साइबर पुलिस टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर देर रात दिल्ली से धर दबोचा है. गिरफ्तार साइबर ठगों के कब्जे से कई मोबाइल नंबर, क्रेडिट कार्ड और अन्य चीजें बरामद हुई हैं.

साईबर ठगी गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार
साईबर ठगी गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार

केवाईसी के नाम पर ठगी

उत्तराखंड STF ने बताया कि बीएसएनल मोबाइल नेटवर्क का केवाईसी अपडेट करने के नाम साइबर ठगी करने वाले के खिलाफ देहरादून में भी एक व्यक्ति से 18 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. यह गिरोह केवाईसी अपडेट करने के नाम पर लोगों से उनके बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी प्राप्त कर रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड कराता था. उसके बाद लोगों के मोबाइल फोन और नेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम देते थे.

ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में 8 लाख रुपए की स्मैक के साथ दो भाई गिरफ्तार

कई राज्यों से जुड़े गिरोह के तार

देशभर में बीएसएनल मोबाइल नेटवर्क केवाईसी के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने वाले साइबर गिरोह के संबंध में एसटीएफ कई तरह की जानकारी जुटा रही है. एसटीएफ ने जांच में पाया कि गिरोह द्वारा प्रयोग किया गया मोबाइल सिम पश्चिम बंगाल के फर्जी पते पर लिया गया था. जिसके बाद उस सिम का इस्तेमाल बिहार के जामताड़ा और पश्चिम बंगाल से किया जा रहा था.

साइबर ठगी का जाल
साइबर ठगी का जाल

क्रेडिट कार्ड के जरिए धोखाधड़ी

इन साइबर ठगों का नेटवर्क दिल्ली, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, पंजाब और राजस्थान जैसे कई राज्यों में बैंक खातों में गोल्ड लोन स्थानांतरित करने का भी काम करता था. इतना ही नहीं गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि वे लोग अलग-अलग बैंकों के क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर लाखों रुपये की धोखाधड़ी करते थे. नेटवर्क के लोग क्रेडिट कार्ड से दिल्ली स्थित कई पंप से पेट्रोल डीजल भरवाकर लाखों की धोखाधड़ी भी कर चुके हैं. एसटीएफ की जांच में पता चला कि इस इंटरस्टेट साइबर गिरोह के तार राजस्थान, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और बिहार से जुड़े हैं. जिसको लेकर भी जांच पड़ताल की जा रही है.

लाखों की साइबर ठगी

एसटीएफ के मुताबिक देशभर में साइबर ठगी को अंजाम देने वाले गिरोह की जांच पड़ताल में पता चला कि इनके द्वारा अलग-अलग मोबाइल टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर आम जनता को पहले फोन किया जाता है. उसके बाद मोबाइल सिम की केवाईसी अपडेट समय से ना कराने पर नंबर बंद किए जाने की बात कही जाती है. ऐसे में जो लोग केवाईसी अपडेट कराने के लिए हामी भरते हैं, उनका नाम पता और उनके बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी लेकर ओटीपी प्राप्त कर लेते हैं.

Remote Access App के जरिए धोखाधड़ी

वहीं इसके बाद Remote Access App (Any desk, team viewer, quick support etc.) डाउनलोड करा कर लोगों के मोबाइल नंबर और नेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर, उनके खातों से रुपए विभिन्न बैंक वॉलेट में स्थानांतरित किया कर लेते हैं. इस धोखाधड़ी के बाद नेटवर्क के लोग आपस में रकम बांट लेते हैं.

देहरादून: देशभर में साइबर क्राइम का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. वहीं, साइबर क्रिमिनल अब हर दिन नए-नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इस क्रम में BSNL सिम के KYC अपडेट करने के नाम पर साइबर ठगी का मामला सामने आया है. इसमें उत्तराखंड एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है. एसटीएफ ने अंतरराज्यीय साइबर ठगी गैंग के तीन सदस्यों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.

इससे पहले एसटीएफ ने 8 अप्रैल को इसी गिरोह के दो मास्टरमाइंड को राजस्थान के बीकानेर से गिरफ्तार कर गैंग का पर्दाफाश किया था. एसटीएफ की कार्रवाई के बाद गिरोह के 3 सदस्य फरार चल रहे थे, जिन्हें STF व साइबर पुलिस टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर देर रात दिल्ली से धर दबोचा है. गिरफ्तार साइबर ठगों के कब्जे से कई मोबाइल नंबर, क्रेडिट कार्ड और अन्य चीजें बरामद हुई हैं.

साईबर ठगी गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार
साईबर ठगी गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार

केवाईसी के नाम पर ठगी

उत्तराखंड STF ने बताया कि बीएसएनल मोबाइल नेटवर्क का केवाईसी अपडेट करने के नाम साइबर ठगी करने वाले के खिलाफ देहरादून में भी एक व्यक्ति से 18 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. यह गिरोह केवाईसी अपडेट करने के नाम पर लोगों से उनके बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी प्राप्त कर रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड कराता था. उसके बाद लोगों के मोबाइल फोन और नेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम देते थे.

ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में 8 लाख रुपए की स्मैक के साथ दो भाई गिरफ्तार

कई राज्यों से जुड़े गिरोह के तार

देशभर में बीएसएनल मोबाइल नेटवर्क केवाईसी के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने वाले साइबर गिरोह के संबंध में एसटीएफ कई तरह की जानकारी जुटा रही है. एसटीएफ ने जांच में पाया कि गिरोह द्वारा प्रयोग किया गया मोबाइल सिम पश्चिम बंगाल के फर्जी पते पर लिया गया था. जिसके बाद उस सिम का इस्तेमाल बिहार के जामताड़ा और पश्चिम बंगाल से किया जा रहा था.

साइबर ठगी का जाल
साइबर ठगी का जाल

क्रेडिट कार्ड के जरिए धोखाधड़ी

इन साइबर ठगों का नेटवर्क दिल्ली, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, पंजाब और राजस्थान जैसे कई राज्यों में बैंक खातों में गोल्ड लोन स्थानांतरित करने का भी काम करता था. इतना ही नहीं गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि वे लोग अलग-अलग बैंकों के क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर लाखों रुपये की धोखाधड़ी करते थे. नेटवर्क के लोग क्रेडिट कार्ड से दिल्ली स्थित कई पंप से पेट्रोल डीजल भरवाकर लाखों की धोखाधड़ी भी कर चुके हैं. एसटीएफ की जांच में पता चला कि इस इंटरस्टेट साइबर गिरोह के तार राजस्थान, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और बिहार से जुड़े हैं. जिसको लेकर भी जांच पड़ताल की जा रही है.

लाखों की साइबर ठगी

एसटीएफ के मुताबिक देशभर में साइबर ठगी को अंजाम देने वाले गिरोह की जांच पड़ताल में पता चला कि इनके द्वारा अलग-अलग मोबाइल टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर आम जनता को पहले फोन किया जाता है. उसके बाद मोबाइल सिम की केवाईसी अपडेट समय से ना कराने पर नंबर बंद किए जाने की बात कही जाती है. ऐसे में जो लोग केवाईसी अपडेट कराने के लिए हामी भरते हैं, उनका नाम पता और उनके बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी लेकर ओटीपी प्राप्त कर लेते हैं.

Remote Access App के जरिए धोखाधड़ी

वहीं इसके बाद Remote Access App (Any desk, team viewer, quick support etc.) डाउनलोड करा कर लोगों के मोबाइल नंबर और नेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर, उनके खातों से रुपए विभिन्न बैंक वॉलेट में स्थानांतरित किया कर लेते हैं. इस धोखाधड़ी के बाद नेटवर्क के लोग आपस में रकम बांट लेते हैं.

Last Updated : Apr 17, 2021, 9:38 PM IST
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