देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मुद्रा लोन दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को सहसपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है.
उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक, तीनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उनका नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है, वे जरुरतमंद लोगों को कम ब्याज पर मुद्रा लोन दिलाने का लालच देकर अपने जाल में फंसाते थे. इसके बाद वे ग्राहकों से प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्क के नाम पर लाखों रुपए ऑनलाइन ठग लिया करते थे, यानी अपने बैंक खातों में उनसे पैसा ट्रांसफर करा लिया करते थे. इसके अलावा बैंक के फर्जी कस्टमर अधिकारी बनाकर भी ये आम लोगों से ऑनलाइन ठगी किया करते थे.
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उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है. इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है. एसटीएफ की गिरफ्त में आए तीन आरोपियों का नाम विशाल कश्यम निवासी संगम विहार कॉलोनी देहरादून, जितेन्द्र वर्मा निवासी बसंत विहार देहरादून और राजीव शर्मा निवासी जीएमएस रोड काली मंदिर एन्क्लेव देहरादून है.
ऐसे हुआ मामला का खुलासा: देहरादून साइबर क्राइम थाने के मुताबिक, पिछले दिनों सहसपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले राम प्रसाद से मुद्रा लोन के नाम धोखाधड़ी हुई थी, जिसकी शिकायत उन्होंने थाने में दर्ज कराई थी. राम प्रसाद ने अपनी शिकायत में बताया था कि विशाल कश्यप समेत कई अज्ञात लोगों ने फोन पर उन्हें ऑनलाइन मुद्रा योजना के तहत कम ब्याज पर लोन दिलाने का वादा किया था. राम प्रसाद आरोपियों के जाल में फंस गए. मुद्रा लोन के लिए राम प्रसाद ने आरोपियों को कुछ दस्तावेज दिए और इसके अलावा प्रोसेसिंग फीस व ईएमआई शुल्क के नाम कुछ रकम आरोपियों के बताए गए बैंक खातों में जमा कर दी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने लोन नहीं मिला. आखिर में उन्हें ठगी एहसास हुआ और उन्होंने पुलिस से पूरे मामले की शिकायत की.
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ऐसे करते थे ठगी: देहरादून साइबर क्राइम थाना पुलिस के मुताबिक कुछ बैंक और फाइनेंस कंपनियां अपना हेल्प लाइन नंबर गूगल पर जारी करती हैं, ये गिरोह उसी का फायदा उठाता था. ये गिरोह उसी तरह कुछ कस्टम केयर के फर्जी नंबर यानी अपना मोबाइल नंबर गूगल पर शेयर करते थे. इसके बाद कोई व्यक्ति कस्टम केयर पर बात करने के लिए उन नंबरों पर कॉल करता तो वो कॉल सीधे आरोपियों को पास जाती थी. इसके बाद शुरू होता था इनका खेल.
ग्राहक के नंबर पर भेजते थे लिंक: जो व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर आरोपियों को कॉल करता था, उसके नंबर पर आरोपी एक लिंक भेजते थे और बोलते थे इस लिंक के जरिए एप डाउनलोड कीजिए. ग्राहक जैसे ही लिंक के जरिए एप डाउनलोड करता तो उसकी बैंक और एटीएम से संबंधित सारी डिटेल ठगों के पास पहुंच जाती थी. इसी तरह आरोपी ऑनलाइन ठगी किया करते थे. वहीं, कुछ लोगों को सस्ती दरों पर लोन दिलाने के नाम पर प्रोसेसिंग शुल्क व बैंक फीस के झांसा देकर उनसे ठगी किया करते थे.
पुलिस के मुताबिक, गिरोह के पहले व्यक्ति का काम जरूरतमंद लोगों फंसना होता था, वो जरुरतमंद लोगों को कॉल करता था. दूसरा व्यक्ति व्हाट्सएप मैसेज भेजता था और तीसरे व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाते थे. जिसे बाद ये तीनों मिलकर रकम को बांट लेते थे.