देहरादून: उत्तराखंड में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और साहित्यकार कॉमरेड बच्ची राम कंसवाल का 87 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने देहरादून में माजरी मोहकमपुर स्थित आवास में अंतिम सांस ली. वो काफी दिनों से अस्वस्थ थे. उनके सम्मान में सीपीएम कार्यालय में पार्टी का झंडा आधा झुकाया दिया गया है. उनकी अंत्येष्टि कल होगी.
बच्ची राम कंसवाल ने अभिभाजित उत्तर प्रदेश के समय में शिक्षक नेता के तौर राजनीति में एंट्री की थी. वे शिक्षा की बेहतरी और शिक्षकों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्षरत रहे. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के लिए शिक्षक पद छोड़ दिया था. उन्होंने एमएलसी का चुनाव भी लड़ा और कुछ ही मतों से पिछड़े थे.
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बच्ची राम कंसवाल 1980 के दशक में पूर्वी बिजनौर में वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोगों के संपर्क में आए थे. इसके बाद स्वर्गीय बच्ची राम वर्षों तक अपने गृह जनपद टिहरी जिले में सीपीएम के जिला सचिव रहे. वह उत्तर प्रदेश में सीपीएम राज्य कमेटी सदस्य भी रहे, साथ ही किसान सभा के राज्य अध्यक्ष भी बने. बच्ची राम कंसवाल लेखनी के भी धनी थे. लेखनी के माध्यम से उन्होंने समाज में जागरूकता का काम किया और उत्तर प्रदेश के समय चर्चित रहे पत्रकार उमेश डोभाल हत्याकांड के खिलाफ हुए संघर्ष में अपनी अग्रणी भूमिका भी निभाई थी.
टिहरी बांध विस्थापितों के हकों के लिए भी उनका संघर्ष हमेशा याद रखा जाएगा. वह एक कम्युनिस्ट के रूप में जीवन के अंतिम क्षणों तक जन मुद्दों के लिए संघर्षरत रहे और बीते दिसंबर को आयोजित हुए पार्टी के सातवें राज्य सम्मेलन में सीपीएम के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए उन्हें शॉल पहनाकर सम्मानित भी किया था.