देहरादूनः सैनिक बाहुल्य प्रदेश उत्तराखंड में अग्निपथ योजना को लेकर राजनीतिक दलों का एक तरफ विरोध प्रदर्शन जारी है तो दूसरी तरफ उत्तराखंड से एक अलग ही तस्वीर सामने आ रही है. उत्तराखंड में अग्निपथ योजना के अग्निवीर तैयार हो रहे हैं. सैनिक कल्याण बोर्ड इन अग्निवीरों को प्रशिक्षण देकर तैयार कर रहा है.
सैनिक बाहुल्य उत्तराखंड अपने शौर्य और पराक्रम के लिए हमेशा ही जाना जाता है. उत्तराखंड की गढ़वाल, कुमाऊं के पराक्रम के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. उत्तराखंड के हर एक परिवार में सैनिक जरूर होता है, इसलिए उत्तराखंड को सैनिक बाहुल्य प्रदेश कहा जाता है. यही कारण है कि उत्तराखंड में सैन्य धाम भी बनने जा रहा है. इसके अलावा उत्तराखंड में सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया है.
उत्तराखंड सैनिक कल्याण बोर्ड पिछले कई सालों से सैनिक भर्ती प्रशिक्षण शिविर चलाता आ रहा है. प्रशिक्षण शिविर में पूर्व सैनिकों के आश्रितों को सेना की भर्ती के लिए तैयार किया जाता है. सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल डीएस रावत ने बताया कि सेना भर्ती के लिए पूर्व सैनिकों के आश्रितों को प्रशिक्षण देना एक प्रकार का ट्यूशन है. इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की तैयारियां करवाई जाती है. कर्नल डीएस रावत के मुताबिक, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 2017 से अब तक 700 युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है. इसमें से 168 युवा की देश की सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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वहीं दूसरी तरफ सेना भर्ती की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें 4 साल की भर्ती से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उनका फोकस उन 25 प्रतिशत वाले सैनिकों पर है, जो सेना के आगे भी जवान रहेंगे. उनकी तैयारी उन्हीं 25 प्रतिशत वाले सैनिकों के लिए हो रही है. हम अपने आप को इतना तैयार कर रहे हैं कि सेना में 4 साल रहने के बाद साबित कर देंगे कि वह भारतीय सेना के लिए बेहद जरूरी हैं.