देहरादून: साल 2022 आपके लिए कई अच्छी यादें छोड़ कर जा रहा है. साल 2022 उत्तराखंड के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण रहा. साल 2022 में उत्तराखंड में कई ऐसी घटनाएं घटीं जो चर्चा का विषय रहीं. राजनीति से लेकर अपराध और दूसरी बड़ी घटनाओं ने सभी का फोकस उत्तराखंड की तरफ किया. चलिए हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड में कौन सी वह बड़ी घटनाएं रहीं जो बनी सुर्खियां.
बीजेपी ने बनाया उत्तराखंड में इतिहास: सबसे पहले बात कर लेते हैं राजनीति की. साल 2022 उत्तराखंड में बीजेपी के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा. विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने साल 2022 को अपने लिए बेहद खास बना लिया. मार्च 2022 में आए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने उत्तराखंड को जश्न मनाने का मौका दिया. साल 2022 में ही ऐसा पहली बार हुआ जब उत्तराखंड की राजनीति में किसी राजनीतिक दल ने दूसरी बार सरकार बनाई हो. 70 विधानसभा सीटों में से 47 विधानसभा सीटों पर जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने इसी साल लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर इतिहास रचा था. राज्य की कमान दी गई खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को. लेकिन त्रिवेंद्र के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी अपनी विधानसभा सीट हार गए थे. जिसके बाद उन्हें दोबारा से चुनाव लड़ना पड़ा
धामी ने चम्पावत में बनाया रिकॉर्ड: अगर देखा जाए तो यह साल उत्तराखंड में अगर किसी नेता के लिए सबसे ज्यादा यादगार रहा तो वह रहा पुष्कर सिंह धामी के लिए. ऐसा बहुत कम होता है कि कोई नेता अपना चुनाव हार जाए, लेकिन पार्टी उसे फिर भी उसे सत्ता की बागडोर सौंप दे. पुष्कर सिंह धामी ना केवल इस साल चुनाव हारे, बल्कि इसी साल वह मुख्यमंत्री भी बने. अपना उपचुनाव भी भारी मतों से जीते. खटीमा से चुनाव हारने के बाद ऐसा लगने लगा था कि हो सकता है बीजेपी उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटा दे. लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास किया और एक सुरक्षित सीट चंपावत उनके लिए खाली करवाई गई. साल 2022 में ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत सीट से 93% वोट पाकर एक रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यहां पर 55,000 वोटों से जीते थे. इसी साल 31 मई को चंपावत में उपचुनाव हुए थे, जिसमें पुष्कर सिंह धामी को 58,258 वोट मिले थे. जबकि उनके सामने चुनाव लड़ रहे निर्मला गहतोड़ी को 3233 वोट मिले थे. यानी 93 प्रतिशत वोट अकेले पुष्कर सिंह धामी को चंपावत की जनता ने देकर इस सीट पर इतिहास भी रच दिया था.
बीजेपी ने जीता पहली बार पंचायत चुनाव: बीजेपी की जीत की बात हो रही है तो इसी साल बीजेपी ने एक और रिकॉर्ड हासिल किया. हरिद्वार पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करा कर उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ जब तीन स्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपना बोर्ड बनाया. इससे पहले कभी भी बीजेपी अपना बोर्ड बनाने में कामयाब नहीं हो पाई थी. हालांकि पंचायत चुनावों में 40 सीटों में से 14 सीटों पर अधिकृत रूप से भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी. लेकिन एक के बाद एक निर्दलीयों का भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना, बीजेपी को पूर्ण बहुमत दे गया. साल 2022 में रमेश पोखरियाल निशंक के संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करके अपना जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनाया
कांग्रेस बीजेपी ने बदले प्रदेश अध्यक्ष: उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस के अध्यक्ष पदों पर भी साल 2022 में बदलाव हुआ. बीजेपी ने जहां 30 जुलाई को उत्तराखंड के वरिष्ठ बीजेपी नेता और कई बार विधायक और मंत्री रहे मदन कौशिक को हटाकर महेंद्र भट्ट को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी. इस पद पर महेंद्र भट्ट को बैठाना इसलिए भी चौंकाने वाला रहा क्योंकि महेंद्र भट्ट भी अपनी चमोली सीट से चुनाव हार चुके थे. वहीं कांग्रेस ने भी इसी साल अप्रैल महीने में अपना अध्यक्ष बदला. कांग्रेस ने तत्कालीन अध्यक्ष गणेश गोदियाल को हटाकर कुमाऊं में कांग्रेस का बड़ा चेहरा करण माहरा को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. वहीं बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद पर रहे और बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी इसी साल दी गई.
यूकेएसएससी पेपर लीक से सरकार आई बैकफुट पर: वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार विवादों से भी घिरी रही. साल 2022 में सबसे चर्चित मामलों में से एक यूकेएसएससी भर्ती घोटाले ने भी सरकार की खूब किरकिरी करवाई. विपक्षी आरोप लगाते रहे कि सरकार जानबूझकर युवाओं का भविष्य खराब कर रही है और इस भर्ती घोटाले में बीजेपी के नेता ही शामिल हैं. सरकार को विपक्ष घेरने में तब और ज्यादा कामयाब हुआ जब बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर हाकम सिंह के खिलाफ बयान बाजी की और यह स्वीकार किया कि हां वह बीजेपी का ही नेता है. उसके बाद तो संगठन के प्रवक्ताओं ने इस पूरे मुद्दे पर बोलना ही बंद कर दिया था. हालांकि धामी सरकार ने इस मामले की एसआईटी से जांच करवा कर 30 से अधिक लोगों को जेल की चारदिवारी में भी डालने का काम किया. लेकिन इस पूरे मामले पर विपक्ष और बेरोजगार युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर खूब उतरे.
विधानसभा बैकडोर नियुक्ति घोटाले ने किरकिरी कराई: यूकेएसएससी मामला शांत भी नहीं हुआ था कि 2022 में विधानसभा भर्ती घोटाला भी सामने आ गया. जिसके बाद कई बीजेपी नेताओं के परिजनों के नाम भी भर्ती घोटाले में सामने आए और यह साफ हो गया कि बीजेपी नेताओं ने प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में जो भर्तियां हुई हैं, उसमें अपने परिजनों को भी नियुक्तियां दिलवाई हैं. बाद में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की गंभीरता और विपक्ष के हमले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा. पत्र लिखने के बाद इस पर जांच कमेटी बिठाई गई. बाद में यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. फिलहाल बाहर निकाले गए 170 से अधिक कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन विपक्ष लगातार ये आरोप लगा रहा है कि सरकार अभी तक कैबिनेट मंत्री और पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल को बचा रही है.
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अंकिता भंडारी हत्याकांड देश भर में रहा चर्चित: अपराध की दुनिया में अगर साल 2022 में सबसे अधिक कोई चर्चा का विषय रहा तो अंकिता भंडारी हत्याकांड रहा. पौड़ी क्षेत्र में एक रिजॉर्ट में काम करने वाली अंकिता अपने गांव से शहर में काम करने के लिए आई थी. लेकिन उसकी 18 सितम्बर 2022 को हत्या कर दी जाती है. सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. तब जब यह मालूम होता है कि हत्या के आरोपी कोई और नहीं बल्कि पूर्व में मंत्री रहे विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उनके साथी थे. इस मामले में भी सरकार पर विपक्ष और उत्तराखंड की जनता ने खूब हमला बोला. सरकार ने आनन-फानन में जब इस मामले पर कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलाया तो भी सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़े हुए. हालांकि पुलिस प्रशासन ने इस मामले में जनाक्रोश को देखते हुए और सबूतों को देखते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. फिलहाल इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है. पुलिस ने अपनी तरफ से 500 पन्नों की चार्जशीट भी दायर कर दी है. साल 2022 में सबसे अधिक सुर्खियों में अपराध के मामले में अंकिता हत्याकांड ही रहा.