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मासूम बच्चियों से दुष्कर्म और हत्या का मामला, पुलिस HC के फैसले को SC में देगी चुनौती - parwan singh case

ऋषिकेश के दो मासूम बच्चियों की दुष्कर्म और हत्या मामले में देहरादून पुलिस एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रही है. मामले में ऋषिकेश गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह को आरोपी बनाया गया है. जबकि, देहरादून की पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी सेवादार को फांसी की सजा सुनाई थी. उधर, नैनीताल हाईकोर्ट ने आरोपी सेवादार को बरी किया था.

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सेवादार परवान सिंह
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Published : Oct 15, 2020, 5:59 PM IST

देहरादूनः साल में 2017 में ऋषिकेश श्यामपुर चौकी के पास दो मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात हुई थी. मामले में पुलिस ने सेवादार परवान सिंह को आरोपी ठहराया था. इतना ही नहीं मामला हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा था. जहां से आरोपित सेवादार परवान सिंह को हाईकोर्ट ने बरी किया था, लेकिन देहरादून पुलिस अब एक बार फिर से परवान सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका खारिज हो गई थी. वहीं, अब दून पुलिस सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कानूनी सलाह लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने प्रक्रिया में जुट गई है.

मामले की जानकारी देते डीआईजी अरुण मोहन जोशी.

बता दें कि बीते 17 जून 2017 को ऋषिकेश श्यामपुर चौकी के पास रहने वाली 2 नाबालिग मासूम बहनों के साथ बलात्कार के बाद उनकी गला दबाकर हत्या करने का मामला सामने आया था. इस जघन्य अपराध में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल की और ऋषिकेश गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह को आरोपी बनाया था. घटनास्थल से पर्याप्त सबूत और एफएसएल रिपोर्ट समेत तमाम मजबूत साक्ष्यों के आधार पर दून पुलिस ने पॉक्सो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. घटना के एक साल तक लगातार देहरादून की पॉक्सो अदालत में दुष्कर्म-हत्या मामले में 14 गवाहों के साथ साथ पर्याप्त सबूत पेश कर कार्रवाई पूरी की गई.

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देहरादून की पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी सेवादार को दी थी फांसी की सजा
बीते 23 अगस्त 2018 को देहरादून की पॉक्सो कोर्ट रमा पांडे की अदालत ने सभी पर्याप्त साक्ष्य-सबूत और गवाहों के बयान को सही पाया. जिसके बाद आरोपी परवान सिंह को नाबालिक बहनों के दुष्कर्म और हत्या मामले में 302 का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि, पॉक्सो कोर्ट के इस फैसले को दोषी परवान सिंह की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसके बाद हाईकोर्ट में कानूनी प्रक्रिया के तहत आरोपी परवान सिंह को इस मामले में बरी कर दिया था.

नैनीताल हाईकोर्ट ने आरोपी सेवादार को किया था बरी
नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से आरोपी सेवादार परवान सिंह को बरी करने के बाद लगातार सर्वोच्च अदालत में अपील करने की मांग उठ रही थी. ऐसे में उत्तराखंड शासन से अनुमति मिलने के बाद दून पुलिस ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में आरोपी सेवादार के खिलाफ याचिका दायर की थी. जानकारी के मुताबिक सर्वोच्च अदालत में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पुलिस की याचिका पहले चरण में खारिज कर दी है. ऐसे में पुलिस पक्ष की ओर से कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार पुनर्विचार याचिका ग्राउंड फिर तैयार किया जा रहा है.

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कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर आगे की कार्रवाई जारी: डीआईजी
वहीं, मामले में डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि सर्वोच्च अदालत की ओर से खारिज याचिका पर स्टडी कर कानूनी विशेषज्ञों की रायशुमारी ली जा रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दाखिल के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से विचार-विमर्श कर मुमकिन कानूनी प्रक्रिया पर चर्चा चल रही है. ऐसे में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि क्या कानूनी रूप से बेहतर हो सकता है, ताकि पुनर्विचार याचिका दायर की जा सके.

देहरादूनः साल में 2017 में ऋषिकेश श्यामपुर चौकी के पास दो मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात हुई थी. मामले में पुलिस ने सेवादार परवान सिंह को आरोपी ठहराया था. इतना ही नहीं मामला हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा था. जहां से आरोपित सेवादार परवान सिंह को हाईकोर्ट ने बरी किया था, लेकिन देहरादून पुलिस अब एक बार फिर से परवान सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका खारिज हो गई थी. वहीं, अब दून पुलिस सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कानूनी सलाह लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने प्रक्रिया में जुट गई है.

मामले की जानकारी देते डीआईजी अरुण मोहन जोशी.

बता दें कि बीते 17 जून 2017 को ऋषिकेश श्यामपुर चौकी के पास रहने वाली 2 नाबालिग मासूम बहनों के साथ बलात्कार के बाद उनकी गला दबाकर हत्या करने का मामला सामने आया था. इस जघन्य अपराध में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल की और ऋषिकेश गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह को आरोपी बनाया था. घटनास्थल से पर्याप्त सबूत और एफएसएल रिपोर्ट समेत तमाम मजबूत साक्ष्यों के आधार पर दून पुलिस ने पॉक्सो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. घटना के एक साल तक लगातार देहरादून की पॉक्सो अदालत में दुष्कर्म-हत्या मामले में 14 गवाहों के साथ साथ पर्याप्त सबूत पेश कर कार्रवाई पूरी की गई.

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देहरादून की पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी सेवादार को दी थी फांसी की सजा
बीते 23 अगस्त 2018 को देहरादून की पॉक्सो कोर्ट रमा पांडे की अदालत ने सभी पर्याप्त साक्ष्य-सबूत और गवाहों के बयान को सही पाया. जिसके बाद आरोपी परवान सिंह को नाबालिक बहनों के दुष्कर्म और हत्या मामले में 302 का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि, पॉक्सो कोर्ट के इस फैसले को दोषी परवान सिंह की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसके बाद हाईकोर्ट में कानूनी प्रक्रिया के तहत आरोपी परवान सिंह को इस मामले में बरी कर दिया था.

नैनीताल हाईकोर्ट ने आरोपी सेवादार को किया था बरी
नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से आरोपी सेवादार परवान सिंह को बरी करने के बाद लगातार सर्वोच्च अदालत में अपील करने की मांग उठ रही थी. ऐसे में उत्तराखंड शासन से अनुमति मिलने के बाद दून पुलिस ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में आरोपी सेवादार के खिलाफ याचिका दायर की थी. जानकारी के मुताबिक सर्वोच्च अदालत में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पुलिस की याचिका पहले चरण में खारिज कर दी है. ऐसे में पुलिस पक्ष की ओर से कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार पुनर्विचार याचिका ग्राउंड फिर तैयार किया जा रहा है.

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कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर आगे की कार्रवाई जारी: डीआईजी
वहीं, मामले में डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि सर्वोच्च अदालत की ओर से खारिज याचिका पर स्टडी कर कानूनी विशेषज्ञों की रायशुमारी ली जा रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दाखिल के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से विचार-विमर्श कर मुमकिन कानूनी प्रक्रिया पर चर्चा चल रही है. ऐसे में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि क्या कानूनी रूप से बेहतर हो सकता है, ताकि पुनर्विचार याचिका दायर की जा सके.

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