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उत्तराखंड पुलिस का 'ऑपरेशन मुक्ति' रोकेगा बच्चों की भिक्षावृत्ति, बनाया ये प्लान - जागरूकता और प्रवर्तन अवधि

उत्तराखंड पुलिस बच्चों की भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए ऑपरेशन मुक्ति चला रही है. इसके तहत पुलिस प्रदेश के सभी जनपदों में लोगों को भिक्षा नहीं, शिक्षा दो के आधार पर जागरूक करेगी. यह अभियान दो महीने में तीन चरणों में चलाया जाएगा.

Dehradun Operation Mukti
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Published : Feb 27, 2021, 10:40 PM IST

देहरादून: भिक्षावृत्ति की रोकथाम और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के लिए डीजीपी अशोक कुमार की ओर से 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी जनपदों में व कुंभ मेला क्षेत्र में एक मार्च से 30 अप्रैल तक 'भिक्षा नहीं, शिक्षा दो' और 'Educate a child' की टैग लाइन के साथ दोबारा चलाया जाएगा.

अभियान के तहत देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद में एक एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट सहित चार टीम (01 उपनिरीक्षक, 04 कॉन्स्टेबल) नियुक्त की जाएगी. बाकी जनपदों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा अभियान चलाया जाएगा. रेलवे में भी एक टीम का गठन किया जाएगा. प्रत्येक टीम में एक महिला कर्मी भी नियुक्त होगी. यह अभियान तीन चरणों में चलाया जायेगा.

पहला चरण- ऑब्जर्वेशन अवधि

(एक मार्च से 15 मार्च तक)

इस चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों और उनके परिजनों का विवरण तैयार कर संबंधित विभागों से समन्वय कर बच्चों का स्कूल और डे-केयर में दाखिला किये जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

दूसरा चरण-जागरूकता और प्रवर्तन अवधि

(16 मार्च से 31 मार्च तक)

इस चरण में सभी स्कूल, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों, पूरे कुंभ क्षेत्र सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. इस संबंध में सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाएगा. साथ ही भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के परिजनों को भिक्षावृत्ति न करने व कौशल विकास के संबंध में जागरूक किया जाएगा.

पढ़ें- कुंभ मेले की रिहर्सल सफल, माघ पूर्णिमा पर 7.64 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

तीसरा चरण- प्रवर्तन और पुनर्वास अवधि

(एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक)

तीसरे और अंतिम चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनकी और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाएगी. साथ ही बच्चों के दोबारा भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की कार्रवाई और किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डीएनए टेस्ट की कार्रवाई की जाएगी.

इस संबंध में डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि अभियान का उद्देश्य विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ एकीकृत ड्राइव चलाकर प्रवर्तन के जरिये से बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की रोकथाम करना, जनता को भिक्षा न दिये जाने के संबंध में जागरूक करना है. भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास के लिए नियम के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

देहरादून: भिक्षावृत्ति की रोकथाम और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के लिए डीजीपी अशोक कुमार की ओर से 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी जनपदों में व कुंभ मेला क्षेत्र में एक मार्च से 30 अप्रैल तक 'भिक्षा नहीं, शिक्षा दो' और 'Educate a child' की टैग लाइन के साथ दोबारा चलाया जाएगा.

अभियान के तहत देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद में एक एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट सहित चार टीम (01 उपनिरीक्षक, 04 कॉन्स्टेबल) नियुक्त की जाएगी. बाकी जनपदों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा अभियान चलाया जाएगा. रेलवे में भी एक टीम का गठन किया जाएगा. प्रत्येक टीम में एक महिला कर्मी भी नियुक्त होगी. यह अभियान तीन चरणों में चलाया जायेगा.

पहला चरण- ऑब्जर्वेशन अवधि

(एक मार्च से 15 मार्च तक)

इस चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों और उनके परिजनों का विवरण तैयार कर संबंधित विभागों से समन्वय कर बच्चों का स्कूल और डे-केयर में दाखिला किये जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

दूसरा चरण-जागरूकता और प्रवर्तन अवधि

(16 मार्च से 31 मार्च तक)

इस चरण में सभी स्कूल, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों, पूरे कुंभ क्षेत्र सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. इस संबंध में सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाएगा. साथ ही भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के परिजनों को भिक्षावृत्ति न करने व कौशल विकास के संबंध में जागरूक किया जाएगा.

पढ़ें- कुंभ मेले की रिहर्सल सफल, माघ पूर्णिमा पर 7.64 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

तीसरा चरण- प्रवर्तन और पुनर्वास अवधि

(एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक)

तीसरे और अंतिम चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनकी और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाएगी. साथ ही बच्चों के दोबारा भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की कार्रवाई और किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डीएनए टेस्ट की कार्रवाई की जाएगी.

इस संबंध में डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि अभियान का उद्देश्य विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ एकीकृत ड्राइव चलाकर प्रवर्तन के जरिये से बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की रोकथाम करना, जनता को भिक्षा न दिये जाने के संबंध में जागरूक करना है. भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास के लिए नियम के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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