देहरादून: प्रदेश भर में पुलिस महकमा तेजी से डिजिटल पुलिसिंग की तरफ कदम बढ़ा रहा है. साल 2013 में गृह मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में 9 नवंबर 2016 से लोगों के लिए सिटीजन पोर्टल सेवा के माध्यम से ऑनलाइन पुलिसिंग शुरू की गई थी. ऑनलाइन पुलिसिंग के तहत शिकायत पंजीकरण, एफआईआर दर्ज कराकर उसकी कापी प्राप्त करने जैसे तीन तरह के सर्च स्टेटस में डिजिटल सुविधा की शुरू की गई थी. लेकिन इन दिनों 16 तरह से सेवाओं का विस्तार कर मोबाइल एप के जरिए डिजिटल पुलिसिंग का संचालन किया जा रहा है.
राज्य के 159 थानों में संचालित हो रही 16 डिजिटल सेवाएं
उत्तराखंड सिटीजन पोर्टल में 16 मोबाइल ऐप के जरिये अलग-अलग विषयों पर ऑनलाइन सेवाएं प्रदेश भर के सभी 159 थानों में संचालित की जा रही हैं. हालांकि पुलिस मुख्यालय स्थित सीसीटीएनएस अनुभाग की माने तो मुख्यतः 12 तरह की पुलिस से जुड़ी मोबाइल एप पोर्टल पर लोग ज्यादा सेवाएं ले रहे. पुलिस से जुड़ी शिकायतों और समस्याओं के लिए 16 तरह के मोबाइल ऐप सीधे ही उत्तराखंड से जन पोर्टल से लिंक है, जो गूगल प्ले स्टोर पर देवभूमि नाम से उपलब्ध है और इन एप को फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है.
उत्तराखंड सिटीजन पोर्टल पर 16 सेवाएं डिजिटल
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सिटीजन पोर्टल एप के जरिए दर्ज केस
पुलिस मुख्यालय स्थित सीसीटीएनएस अनुभाग के मुताबिक 1 जनवरी से जुलाई 2020 तक भारत के मुख्य 10 राज्यों में उत्तराखंड पुलिस का डिजिटल सेवाओं में सातवां स्थान हैं. हालांकि देश के मुख्य 10 पहाड़ी राज्यों की सूची में उत्तराखंड का दूसरा स्थान हैं. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल की रैंकिंग 95.70% होने वह पहले स्थान पर जबकि उत्तराखंड रैंकिंग 95.20% होने वह दूसरा स्थान पर है.
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डिजिटल सेवा में देश के प्रमुख 10 राज्यों की रैंकिंग
डीआईजी अरुण मोहन जोशी का मानना है कि यह जनहित के मद्देनजर आधुनिक पुलिसिंग का बढ़ता कदम है. जो लोग किसी वजह से थाने आने-जाने बचना चाहते हैं, वह लोग आज की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अपने स्थान से ही इंटरनेट उपयोग कर ऑनलाइन पोर्टल ऐप में पुलिस से जुड़ी अलग-अलग तरह शिकायतें दर्ज कर रहें हैं. वही दूसरी तरफ डिजिटल रूप में आने वाली शिकायतों पर भी पुलिस की तरफ से संज्ञान लेते हुए तत्काल मुकदमा दर्ज करने के साथ ही आगे की कार्रवाई भी की जा रही है.
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डिजिटल सुविधा बढ़ने से जहां मैनुअल काम की जगह पेपरलेस रिकॉर्ड को रखने में आसानी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ जनता को भी पुलिस कार्यालय के चक्कर काटने की वजह ऑनलाइन लाभ मिल रहा है. डीआईजी का यह भी मानना है कि पुलिस के डिजिटल ऑनलाइन सुविधाओं से शिकायतकर्ता से जुड़े मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता जानने की भी लोगों को अब बेहतर सुविधा मिल रही है, वही मैनुअल कार्रवाई में कई बार शिकायत प्रार्थना पत्र के गुम होने या केस फाइल जैसे कई दस्तावेजों में रखरखाव की समस्या को भी डिजिटल सेवा बेहतर कर सुरक्षित करती हैं.
वहीं, दूसरी तरफ कानून के जानकारों का मानना है कि प्रदेश में डिजिटल पुलिसिंग सेवा को बढ़ाने की कवायद लगातार जारी है, लेकिन डिजिटल सेवाओं में केस दर्ज करने के लिए कई तरह की जरूरी शिकायतों का निस्तारण उस तरह से नही हो पा रहा है, जिस तरह के दावे लगातार पुलिस द्वारा किए जा रहे हैं.
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उत्तराखंड सिटीजन पोर्टल जैसे तमाम मोबाइल ऐप के बारे में लोगों में जागरूकता की भारी कमी है. ऐसे में पुलिस को अपने डिजिटल पोर्टल के संबंध में आम लोगों तक जानकारियां पहुंचाना प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए. ताकि न सिर्फ खास बल्कि आम लोग भी अपने ठिकानों से डिजिटल सेवा सुविधा के तहत पुलिस से जुड़ी समस्याओं का लाभ ले सके. बहरहाल, आधुनिक और डिजिटल पुलिसिंग के तहत उत्तराखंड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी जल्द ऑनलाइन प्रक्रिया में जोड़कर इस कार्रवाई में पारदर्शिता लाने का प्रयास पुलिस द्वारा की जा रही है.