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कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी आहुति, एक साथ आए 9 शवों से शोक में डूब गया था पहाड़ - कारगिल दिवस

उत्तराखंड में आज भी उस दिन को याद कर लोगों की आंखें भर आती हैं, जब कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद सेना के विमान द्वारा नौ शहीदों का शव एक साथ पहाड़ की भूमि पर लाया गया. इस दौरान पूरे राज्य पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया था. कारगिल युद्ध में भारत के 526 सैनिक शहीद हुए थे. जिसमें उत्तराखंड के 75 सैनिक थे.

कारगिल दिवस
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Published : Jul 15, 2019, 7:15 AM IST

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड को सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और शहादत के दम पर वीरभूमि भी कहा जाता है. देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए पहाड़ के चिरागों ने समय-समय पर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है. जिसका लोहा पूरा देश कारगिल युद्ध में मान चुका है. इस महासमर में 75 रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे की ताकत को पूरी दुनिया में कायम रखा.

कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी आहुति

आज से दो दशक पहले यानी 1999 में कारगिल सेक्टर में युद्ध लगभग तीन महीनों तक चला. जिसमें भारत के 526 सैनिक शहीद हो गए. पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए चलाया गया ऑपरेशन विजय 26 जुलाई को भारत की जीत के साथ खत्म हुआ. जमीन से लेकर आसमान और समंदर तक पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने वाली भारतीय सेना में उत्तराखंड के 75 जवानों से अपनी शहादत दी. ऑपरेशन विजय में वीरगति को प्राप्त हुए इन 75 जवानों पर उत्तराखंड आज भी गर्व महसूस करता है.

पढे़ं- जज्बाः हौसलों से मिली उम्मीदों को उड़ान और फतह कर लिया माउंट एवरेस्ट

हालांकि उत्तराखंड में आज भी उस दिन को याद कर लोगों की आंखें भर आती हैं, जब कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद सेना के विमान द्वारा नौ शहीदों का शव एक साथ पहाड़ की भूमि पर लाया गया. इस दौरान पूरे राज्य पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया था.

इन जगहों से कारगिल में शहीद हुए थे जवान

  • पौड़ी से 3 जवान
  • पिथौरागढ़ से 4 जवान
  • रुद्रप्रयाग से 3 जवान
  • टिहरी से 11 जवान
  • उधम सिंह नगर से 2 जवान
  • उत्तरकाशी से 1 जवान
  • देहरादून से 14 जवान
  • अल्मोड़ा से 3 जवान
  • बागेश्वर से 3 जवान
  • चमोली से 7 जवान
  • लैंसडाउन से 10 जवान
  • चंपावत से 9 जवान
  • नैनीताल से 5 जवान

कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल के 47 जवान शहीद हुए थे. जिनमें से 41 जांबाज उत्तराखंड के थे, वहीं कुमाऊं रेजीमेंट के 16 जवानों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी. देश के इतिहास में उत्तराखंड के बेटों का बलिदान स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.

कारगिल युद्ध के बाद उत्तराखंड के जवानों को 15 सेना मेडल, 2 महावीर चक्र, 9 वीर चक्र और मेंशन डिस्पैच में 11 पदक प्राप्त प्राप्त हुए हैं. बता दें कि आज भी देश की सीमा पर खड़े होने वाला हर पांचवे जवान का नाता उत्तराखंड से है. उत्तराखंड के हर तीसरे घर से एक बेटा सेना में देश की रक्षा कर रहा है.

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड को सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और शहादत के दम पर वीरभूमि भी कहा जाता है. देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए पहाड़ के चिरागों ने समय-समय पर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है. जिसका लोहा पूरा देश कारगिल युद्ध में मान चुका है. इस महासमर में 75 रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे की ताकत को पूरी दुनिया में कायम रखा.

कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी आहुति

आज से दो दशक पहले यानी 1999 में कारगिल सेक्टर में युद्ध लगभग तीन महीनों तक चला. जिसमें भारत के 526 सैनिक शहीद हो गए. पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए चलाया गया ऑपरेशन विजय 26 जुलाई को भारत की जीत के साथ खत्म हुआ. जमीन से लेकर आसमान और समंदर तक पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने वाली भारतीय सेना में उत्तराखंड के 75 जवानों से अपनी शहादत दी. ऑपरेशन विजय में वीरगति को प्राप्त हुए इन 75 जवानों पर उत्तराखंड आज भी गर्व महसूस करता है.

पढे़ं- जज्बाः हौसलों से मिली उम्मीदों को उड़ान और फतह कर लिया माउंट एवरेस्ट

हालांकि उत्तराखंड में आज भी उस दिन को याद कर लोगों की आंखें भर आती हैं, जब कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद सेना के विमान द्वारा नौ शहीदों का शव एक साथ पहाड़ की भूमि पर लाया गया. इस दौरान पूरे राज्य पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया था.

इन जगहों से कारगिल में शहीद हुए थे जवान

  • पौड़ी से 3 जवान
  • पिथौरागढ़ से 4 जवान
  • रुद्रप्रयाग से 3 जवान
  • टिहरी से 11 जवान
  • उधम सिंह नगर से 2 जवान
  • उत्तरकाशी से 1 जवान
  • देहरादून से 14 जवान
  • अल्मोड़ा से 3 जवान
  • बागेश्वर से 3 जवान
  • चमोली से 7 जवान
  • लैंसडाउन से 10 जवान
  • चंपावत से 9 जवान
  • नैनीताल से 5 जवान

कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल के 47 जवान शहीद हुए थे. जिनमें से 41 जांबाज उत्तराखंड के थे, वहीं कुमाऊं रेजीमेंट के 16 जवानों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी. देश के इतिहास में उत्तराखंड के बेटों का बलिदान स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.

कारगिल युद्ध के बाद उत्तराखंड के जवानों को 15 सेना मेडल, 2 महावीर चक्र, 9 वीर चक्र और मेंशन डिस्पैच में 11 पदक प्राप्त प्राप्त हुए हैं. बता दें कि आज भी देश की सीमा पर खड़े होने वाला हर पांचवे जवान का नाता उत्तराखंड से है. उत्तराखंड के हर तीसरे घर से एक बेटा सेना में देश की रक्षा कर रहा है.

Intro:summary- कारगिल युद्ध के दौरान उत्तराखंड से शाहिद हुए जवानों की जानकारी

Note- के कारगिल दिवस पर श्पेशल स्टोरी है।

एंकर- देव भूमि को वीर भूमि इसी लिए कहा जाता है क्यों कि जब जब देश पर बाहरी शक्तियों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है तो उत्तराखंड के वीर जवान सबसे आगे देश की सीमाओं पर खड़े थे और इसकी बानगी आप कारगिल में शहीद हुए देश के 526 जवानों में से अगर उत्तराखंड के जवाब को चुने तो साफ पता चल जाता है। जी हां कारगिल में शहीद हुए 526 वीर जवानों में 75 जवान केवल उत्तराखंड के थे। बलिदानों की भूमि उत्तराखंड में आज भी ऑपरेशन विजय में वीरगति को प्राप्त हुए इन 75 जवानों को एक हीरो के माफिक सम्मान दिया जाता है।





Body:वीओ- आज से दो दशक पहले यानी 1999 में जब पाकिस्तान ने भारत पर अचानक हमला कर दिया था तो हमारे जवानों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस युद्ध को कारगिल युद्ध का नाम दिया गया और इसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। जमीन से लेकर आसमान और सागर तक पाकिस्तान को घुटनों के बल आना पड़ा लेकिन इसी लड़ाई में उत्तराखंड को अपने 75 जवानो को भी बलिदान करना पड़ा।

उत्तराखंड में आज भी उस दिन को एक बुरे सपने के रूप में याद किया जाता है जब कारगिल युद्ध समाप्ती के बाद सेना के विमान से एक साथ 9 शहीद जवानों के पार्थिव शरीर पहाड़ पर लाये गए। उस दिन मानो पूरा पहाड़ आंसुओं के सैलाब में डूब गया हो कुछ ऐसा मंजर था। क्या देहरादून, क्या पिथौरागढ़ और क्या उधम सिंह नगर और क्या उत्तरकाशी हर जगह जैसा दुख और दर्द का पहाड़ टूट गया है।

इन जगहों से कारगिल में शहीद हुए थे जवान----

पौड़ी से 3 जवान
पिथौरागढ़ से 4 जवान
रुद्रप्रयाग से 3 जवान
टिहरी से 11 जवान
उधम सिंह नगर से 2 जवान
उत्तरकाशी से 1 जवान
देहरादून से 14 जवान
अल्मोड़ा से 3 जवान
बागेश्वर से 3 जवान
चमोली से 7 जवान
लैंसडौन से 10 जवान
नैनीताल से 5 जवान शहीद हुए थे....


कारगिल युद्ध में जीतने के बाद उत्तराखंड के शहीद हुए 75 जवानों में शायद ही कोई पदक बचा हो जो उत्तराखंड के जवानों को ना मिला हो। कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल के 47 जवान शहीद हुए थे जिनमें से 41 जांबाज उत्तराखंड के थे तो वही कुमाऊँ रेजीमेंट के भी 16 जवानों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

उत्तराखंड के जवानों को 15 सेना मेडल, 2 महावीर चक्र, 9 वीर चक्र और मेंशन डिस्पैच में 11 पद प्राप्त हुए।

आज भी अगर देश के इतिहार पर नजर दौड़ाई जाए तो देश की सीमा पर बलिदानों में सबसे आगे वीरभूमि उत्तराखंड ही नजर आएगी। आज भी देश की सीमा पर खड़े होने वाले हर पांचवे जवान का नाता उत्तराखंड से होता तो वहीं उत्तराखंड की ये संस्कृति है कि हर तीसरे घर मे एक सेना का सिपाही जन्म लेता है। देश भक्ति उत्तराखंड की लोकगीतों में ये यंहा की संस्कृति में और यंहा के रगों में हैं। बस जरूरत है तो बस इतनी की जो शाहिद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी... जय हिंद....




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