देहरादून: एकदिवसीय मॉनसून सत्र के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. इस दौरान विपक्ष के हंगामे के बीच 19 विधेयक और 10 अध्यादेश पारित हो गए हैं. पढ़िए उत्तराखंड विस मॉनसून सत्र में क्या कुछ हुआ.
सदन की कार्यवाही
सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई. उस दौरान सदन के भीतर मात्र सत्तापक्ष के विधायक और मंत्री ही मौजूद रहे. दोपहर 12 बजे विपक्ष के विधायक सदन के भीतर पहुंचे. सदन के भीतर पहुंचते ही विपक्ष के नेताओं ने किसानों के मुद्दों को लेकर नारेबाजी की. इस दौरान विपक्ष ने उपाध्यक्ष से जनहित मुद्दों को लेकर कार्य स्थगन की मांग की. जिसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष ने उन मुद्दों को नियम 58 के तहत सुनने की बात कही. विधानसभा उपाध्यक्ष के आश्वासन के बाद भी विपक्ष के नेता नहीं रूके और सदन के वेल में आकर हंगामा करने लगे. जिसके कारण 12.30 बजे उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
इसके बाद जब दोपहर 1 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर से हंगामा करना शुरू कर दिया. इस दौरान सदन के भीतर जब संसदीय कार्य मंत्री ने उन्हें इस बात से अवगत कराया कि बीते दिन कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के दौरान 4 बिंदु पर चर्चा करने की सहमति बनी थी. बावजूद इसके वह अन्य मामले को सदन के भीतर क्यों उठा रहे हैं. जिसके बाद सदन में कांग्रेस दो धड़ में बंट गई और विपक्ष के नेता ही अपने ही नेताओं पर सवाल उठाने लगे.
3 घंटे 6 मिनट तक चला सदन
ऐतिहासिक एकदिवसीय मॉनसून सत्र की कार्यवाही कुल 3 घंटे 6 मिनट तक चली. जिसमें 2 घंटे 9 मिनट तक सदन की कार्यवाही बाधित होती रही. इस दौरान सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच 19 विधेयक और 10 अध्यादेश पारित हो हुए.
इसके साथ ही विधानसभा सदस्यों द्वारा लगाए गए 1048 प्रश्नों के उत्तर भी लिखित में दिए गए. सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले ही विपक्ष वेल में आ गया और जमकर हंगामा किया. इस बीच सरकार विधेयक पारित कराती रही और विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया.
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मॉनसून सत्र में 56 विधायक हुए शामिल
कोरोना महामारी के चलते उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र एकदिवसीय रहा. कोरोना वायरस के कारण बीते दिनों विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से अनुरोध किया था कि कुछ विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए भी कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं. क्योंकि सदन में मात्र 47 विधायकों के ही बैठने की क्षमता है. लिहाजा सत्र में सदन के भीतर 42 विधायक शामिल रहें. वहीं, वर्चुअल के माध्यम से 14 विधायक भी सदन का हिस्सा बनें.
सदन में दो धड़ में बंटा विपक्ष
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि जब 20 सितंबर को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई थी. उसमें यह तय किया गया था कि मॉनसून सत्र एक दिवसीय रहेगा और सत्र में मुख्य रूप से चार जनहित के मुद्दे को विपक्ष उठाएगा. इन मुद्दों को विपक्ष सदन के भीतर कार्य स्थगन के रूप में लाएगा. जिसमें कोरोना, कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को तय किया गया था. लेकिन सदन की कार्यवाही के दौरान जब विपक्ष के नेताओं को इस बारे में पता चला तो वह सदन के भीतर घुसते ही हंगामा करने लगे. यही नहीं, सदन में मौजूद विपक्ष के नेताओं ने इस बात को लेकर भी हंगामा करना शुरू कर दिया कि कार्य मंत्रणा समिति में जो भी तय किया गया. वह तय करने का हक उन्हें नहीं, बल्कि सदन में मौजूद लोगों का है.
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विपक्ष ने सदन के भीतर तोड़े शीशे
मॉनसून सत्र के दौरान सदन के भीतर विपक्ष ने न सिर्फ वेल में हंगामा किया. बल्कि, कोरोना से बचाव के लिए लगाए गए शीशों के भी तोड़ दिया. इसी चक्कर में विपक्ष के एक नेता के हाथ में चोट भी लग गई. इस दौरान भी विपक्ष लगातार अपने मुद्दे को लेकर कार्य स्थगन की मांग करता रहा. लेकिन उपाध्यक्ष द्वारा मुद्दों को नियम 58 के तहत सुनने की बात सुनकर विपक्ष और भड़क गया. इस दौरान विपक्ष के कुछ नेताओं ने शीशे तोड़ा और परिचय पत्र भी फाड़ दिया. विपक्ष के रवैए से नाराज विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने बताया कि अगर कोई पत्थर पर हाथ मारेगा तो उसके हाथ में भी चोट लगेगी. साथ ही उपाध्यक्ष ने बताया कि सदन की मर्यादा तार-तार करने पर नाराजगी भी जताई.
महत्वपूर्ण मुद्दों पर नहीं हुई चर्चा
संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जो चार मुद्दे तय किए गए थे. वह मुद्दे जनता से जुड़े हुए और बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे थे. लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते इन मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई. मदन कौशिक ने कहा कि विपक्ष के नेताओं में एक-दूसरे को लेकर निरादर की भावना देखी जा रही है. इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने इस बात को भी सदन में रखा कि उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति में चार मुद्दों को तय किया था. बावजूद इसके सदन में मौजूद विपक्ष के नेता हंगामा कर रहे हैं.
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सत्ता पक्ष के दो विधायकों ने सदन में उठाए सवाल
सदन के भीतर सत्ता पक्ष के दो विधायक भी काफी नाराज दिखें. विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ने सदन के भीतर नियम 58 के तहत जौलजीबी मोटर मार्ग मामले को लेकर कार्यस्थगन की मांग की. हालांकि पूरा मामला हाईकोर्ट में लंबित होने के चलते सदन ने इस मामले को स्वीकार नहीं किया. वहीं, सत्ता पक्ष के विधायक राजेश शुक्ला ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया. जिस पर सदन के भीतर चर्चा हुई और डिप्टी स्पीकर ने विधायक राजेश शुक्ला मामले की जांच कराकर रिपोर्ट सदन में पेश करने का निर्देश दिया है.
'सदन के भीतर सरकार का रवैया निंदनीय'
उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सदन के भीतर सरकार का रवैया बहुत ही निंदनीय रहा है. प्रीतम सिंह ने कहा कि ट्रैक्टर से विधानसभा आते समय सरकार के कहने पर प्रशासन ने उन्हें रोक दिया. जब उन्होंने सदन में अपने मुद्दों को लेकर कार्य स्थगन की मांग की तो उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया गया.
प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है. जिस कोरोना संकट के बीच एक दिवसीय सत्र का आयोजन किया गया और जब उस पर चर्चा करने के लिए कार्य स्थगन की मांग की गई तो उस पर भी चर्चा नहीं किया गया. क्योंकि सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं थी.