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माननीयों की आमद को तरसते पहाड़! कोई सुध लेने वाला नहीं

जिलों की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट के लिए सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में रात्रि प्रवास करने का निर्देश दिया है. लेकिन, प्रदेश के जनप्रतिनिधि पहाड़ चढ़ने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं.

Uttarakhand News
नेता को तरसते पहाड़!
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Published : Nov 18, 2020, 4:16 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 5:41 PM IST

देहरादून: अधिकारी, शिक्षक और डॉक्टरों के बाद अब जनप्रतिनिधि भी पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सरकार भी चुनावी मोड में आ गई है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभारी सचिवों को जिलों में जाकर धरातल पर विकास योजनाओं की स्थितियां देखने के निर्देश दिए हैं.

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में जिलों की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट के लिए त्रिवेंद्र सरकार की तरफ से निर्देशित किया गया है. इससे पहले प्रभारी मंत्रियों को भी इस तरह के निर्देश हो चुके हैं. सवाल यह है कि अब तक ऐसे आदेशों पर कितना अमल हो पाया है.

नेता को तरसते पहाड़!

चुनाव नजदीक आते ही क्षेत्रों में अधिकारियों को पहुंचाने और मंत्रियों की समीक्षा बैठकों को करवाने की कोशिशें की जा रही है लेकिन, हकीकत बिलकुल उलट हैं. प्रभारी मंत्री गाहे-बगाहे ही जिलों में रात्रि प्रवास करते हैं. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कहते हैं कि उन्होंने हाल ही में अपने प्रभारी जिले में रात्रि प्रवास किया था. उधर, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी सरकार के अधिकारियों-मंत्रियों को पहाड़ों पर भेजने की बात कह रहे हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: बीजेपी की आंधी में टिक पाएगा थर्ड फ्रंट?

एक तरफ सरकार मंत्रियों को पहाड़ों पर भेजने की कोशिश कर रही है और अधिकारियों को भी इसके लिए प्रेरित और निर्देशित किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस मुख्यमंत्री के आदेशों को बस चुनावी बता रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के मुताबिक प्रदेश के मुखिया कोरोना काल में अपने आवाज से बाहर ही नहीं निकले. ऐसे में उनके इन आदेशों को मंत्री कितनी गंभीरता से लेंगे, इसको समझा जा सकता है.

नेता को तरसते पहाड़!

जनता के समर्थन से चप्पल पहनकर गलियों की खाक छानने वाले नेता महंगी कारों में तो घूमने लगे. लेकिन, उत्तराखंड के पहाड़ विकास योजनाओं के लिएत तरसते रहते हैं. सड़कें खराब हैं, पीने को पानी नहीं..राज्य के ज्यादातर नेता चुनाव जीतने के बाद गांवों का रुख नहीं करते. लिहाजा लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं. ऐसे में सरकार और प्रभारी मंत्री राजधानी में बैठकर कैसे विकास योजनाओं की हकीकत से रूबरू होंगे.

देहरादून: अधिकारी, शिक्षक और डॉक्टरों के बाद अब जनप्रतिनिधि भी पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सरकार भी चुनावी मोड में आ गई है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभारी सचिवों को जिलों में जाकर धरातल पर विकास योजनाओं की स्थितियां देखने के निर्देश दिए हैं.

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में जिलों की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट के लिए त्रिवेंद्र सरकार की तरफ से निर्देशित किया गया है. इससे पहले प्रभारी मंत्रियों को भी इस तरह के निर्देश हो चुके हैं. सवाल यह है कि अब तक ऐसे आदेशों पर कितना अमल हो पाया है.

नेता को तरसते पहाड़!

चुनाव नजदीक आते ही क्षेत्रों में अधिकारियों को पहुंचाने और मंत्रियों की समीक्षा बैठकों को करवाने की कोशिशें की जा रही है लेकिन, हकीकत बिलकुल उलट हैं. प्रभारी मंत्री गाहे-बगाहे ही जिलों में रात्रि प्रवास करते हैं. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कहते हैं कि उन्होंने हाल ही में अपने प्रभारी जिले में रात्रि प्रवास किया था. उधर, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी सरकार के अधिकारियों-मंत्रियों को पहाड़ों पर भेजने की बात कह रहे हैं.

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एक तरफ सरकार मंत्रियों को पहाड़ों पर भेजने की कोशिश कर रही है और अधिकारियों को भी इसके लिए प्रेरित और निर्देशित किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस मुख्यमंत्री के आदेशों को बस चुनावी बता रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के मुताबिक प्रदेश के मुखिया कोरोना काल में अपने आवाज से बाहर ही नहीं निकले. ऐसे में उनके इन आदेशों को मंत्री कितनी गंभीरता से लेंगे, इसको समझा जा सकता है.

नेता को तरसते पहाड़!

जनता के समर्थन से चप्पल पहनकर गलियों की खाक छानने वाले नेता महंगी कारों में तो घूमने लगे. लेकिन, उत्तराखंड के पहाड़ विकास योजनाओं के लिएत तरसते रहते हैं. सड़कें खराब हैं, पीने को पानी नहीं..राज्य के ज्यादातर नेता चुनाव जीतने के बाद गांवों का रुख नहीं करते. लिहाजा लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं. ऐसे में सरकार और प्रभारी मंत्री राजधानी में बैठकर कैसे विकास योजनाओं की हकीकत से रूबरू होंगे.

Last Updated : Nov 18, 2020, 5:41 PM IST
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