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उत्तराखंड पर हमेशा मंडराता रहता है भूकंप का खतरा, 2018 में 350 बार डोली धरती - वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान

पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो यहां सबसे भयानक भूकंप 19 अक्टूबर 1991 में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 6.8 मापा गया था. इस दौरान 768 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

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Published : May 2, 2019, 7:24 PM IST

देहरादून: भूकंप के लिहाज से समूचा उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ भूकंप के लिहाज से अंति संवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं. यही कारण है कि यहां अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं.

भूकंप का खतरा

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2018 में 350 भूंकप के झटके महसूस किए गए
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल 350 से ज्यादा हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसमें से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 हल्के भूकंप के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे. इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिससे जान-माल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.

इस साल 3 से 4 बार बार डोली धरती
वहीं इस साल जनवरी माह से लेकर अबतक की बात करें तो प्रदेश में 3-4 बार हल्के भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. इस बारे में जब वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भूकंप के लिहाज से पूरा हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है. क्योंकि यहां भूगर्भ में टेक्टोनिक प्लेटों में लगातार तनाव की स्थिति रहती है. इस प्लेटों के टकराव से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी वजह से ही भूकंप के झटके महसूस होते हैं. यानि धरती के अंदर ऊर्जा जितनी अधिक मात्रा में संचित होगी भूकंप का अंदेशा उतना ही अधिक रहेगा.

पढ़ें- बाइक सवार लुटेरों ने व्यापारी से लूटे 4 लाख, CCTV कैमरे खंगाल रही पुलिस

1991 में आया था भयकर भूकंप
पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो यहां सबसे भयानक भूकंप 19 अक्टूबर 1991 में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 6.8 मापा गया था. इस दौरान 768 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके अलावा 18000 से भी ज्यादा इमारतें जमींदोज हो गई थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस एक भूकंप ने उत्तरकाशी जनपद को पूरी तरह तबाह कर दिया था.

बीते 5 सालों के आंकड़े पर गौर करें तो साल 2017 के फरवरी माह में प्रदेश का सबसे बड़ा भूकंप 5.7 मेग्नीट्यूड का दर्ज किया गया था. हालांकि साल 2017 में कुल 17 भूकंप के झटके उत्तराखंड में महसूस किए गए थे. वहीं 2016 में 17, 2018 में 12 और 2015 में कुल 13 मूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

देहरादून: भूकंप के लिहाज से समूचा उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ भूकंप के लिहाज से अंति संवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं. यही कारण है कि यहां अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं.

भूकंप का खतरा

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2018 में 350 भूंकप के झटके महसूस किए गए
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल 350 से ज्यादा हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसमें से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 हल्के भूकंप के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे. इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिससे जान-माल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.

इस साल 3 से 4 बार बार डोली धरती
वहीं इस साल जनवरी माह से लेकर अबतक की बात करें तो प्रदेश में 3-4 बार हल्के भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. इस बारे में जब वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भूकंप के लिहाज से पूरा हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है. क्योंकि यहां भूगर्भ में टेक्टोनिक प्लेटों में लगातार तनाव की स्थिति रहती है. इस प्लेटों के टकराव से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी वजह से ही भूकंप के झटके महसूस होते हैं. यानि धरती के अंदर ऊर्जा जितनी अधिक मात्रा में संचित होगी भूकंप का अंदेशा उतना ही अधिक रहेगा.

पढ़ें- बाइक सवार लुटेरों ने व्यापारी से लूटे 4 लाख, CCTV कैमरे खंगाल रही पुलिस

1991 में आया था भयकर भूकंप
पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो यहां सबसे भयानक भूकंप 19 अक्टूबर 1991 में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 6.8 मापा गया था. इस दौरान 768 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके अलावा 18000 से भी ज्यादा इमारतें जमींदोज हो गई थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस एक भूकंप ने उत्तरकाशी जनपद को पूरी तरह तबाह कर दिया था.

बीते 5 सालों के आंकड़े पर गौर करें तो साल 2017 के फरवरी माह में प्रदेश का सबसे बड़ा भूकंप 5.7 मेग्नीट्यूड का दर्ज किया गया था. हालांकि साल 2017 में कुल 17 भूकंप के झटके उत्तराखंड में महसूस किए गए थे. वहीं 2016 में 17, 2018 में 12 और 2015 में कुल 13 मूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

Intro:please Note Desk- This is special story on Earthquake... Kindly check

देहरादून- हिमालयी राज्य होने के चलते उत्तराखंड राज्य भूकंप की दृष्टि से बेहद ही संवेदनशील है। प्रदेश के 13 जनपदों में से उत्तरकाशी, चमोली टिहरी और पिथौरागढ़ जनपद प्रदेश के ऐसे जनपद हैं जिन्हें भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता हैं। यही कारण है कि आज भी जब कभी भी प्रदेश की धरती में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जाते हैं तो लोग सहम उठते हैं ।

पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड के भूकंप के झटकों के इतिहास पर गौर करें तो प्रदेश में सबसे भयानक भूकंप 19 अक्टूबर 1991 को आया था । इस दौरान रिक्टर स्केल में इस भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई थी । ये भूकंप कितना भयानक था इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस भूकंप में जहां 768 लोग मारे गए थे । तो वहीं 5,000 से भी ज्यादा लोग भूकंप के झटकों के चलते चोटिल हो गए थे । इसके अलावा 18000 से भी ज्यादा इमारतें जमींदोज हो चुकी थी । कुल मिलाकर देखा जाए तो इस एक भूकंप ने उत्तरकाशी जनपद को पूरी तरह तबाह कर दिया था।


Body:वहीं इस साल भी जनवरी माह से लेकर अब तक प्रदेश में 3-4 बार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा चुके हैं । ऐसे में भूकंप के इन झटकों को लेकर जब हमने देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट के भूगर्भशास्त्र के वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि भूकंप के लिहाज से पूरा हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है । क्योंकि यहां भूगर्भ में टेक्टोनिक प्लेटों में लगातार तनाव की स्थिति रहती है। ऐसे में इस दौरान जो ऊर्जा निकलती है। उसकी वजह से ही हमे भूकंप के झटके महसूस होते हैं । यानी धरती के अंदर उर्जा जितनी अधिक मात्रा में संचित होगी भूकंप का अंदेशा उतना ही अधिक रहेगा।

पिछले 1 साल में महसूस किए गए भूकंप के झटकों के विषय में जानकारी देते हुए वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार ने बताया की उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल 350 से ज्यादा हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसमें से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 हल्के भूकंप के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए । इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किए गए । जिससे जान-माल को किसी तरह का कोई नुकसान नही पहुचा ।

बाइट- डॉ सुशील कुमार वैज्ञानिक भूगर्भशास्त्र


Conclusion:गौरतलब है कि बीते 4 सालों में प्रदेश में आए भूकंप के झटकों पर गौर करें तो साल 2017 के फरवरी माह में प्रदेश में सबसे तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे । रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.7 मेग्नीट्यूड रिकॉर्ड की गई थी ।

बीते 4 सालों के प्रदेश में आए भूकंप के झटकों के आंकड़ो पर गौर करें तो साल 2015 में 13, साल 2016 में 17 , साल 2017 में 18 और साल 2018 में 12 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
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