देहरादून: भूकंप के लिहाज से समूचा उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ भूकंप के लिहाज से अंति संवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं. यही कारण है कि यहां अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं.
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2018 में 350 भूंकप के झटके महसूस किए गए
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल 350 से ज्यादा हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसमें से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 हल्के भूकंप के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे. इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिससे जान-माल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.
इस साल 3 से 4 बार बार डोली धरती
वहीं इस साल जनवरी माह से लेकर अबतक की बात करें तो प्रदेश में 3-4 बार हल्के भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. इस बारे में जब वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भूकंप के लिहाज से पूरा हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है. क्योंकि यहां भूगर्भ में टेक्टोनिक प्लेटों में लगातार तनाव की स्थिति रहती है. इस प्लेटों के टकराव से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी वजह से ही भूकंप के झटके महसूस होते हैं. यानि धरती के अंदर ऊर्जा जितनी अधिक मात्रा में संचित होगी भूकंप का अंदेशा उतना ही अधिक रहेगा.
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1991 में आया था भयकर भूकंप
पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो यहां सबसे भयानक भूकंप 19 अक्टूबर 1991 में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 6.8 मापा गया था. इस दौरान 768 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके अलावा 18000 से भी ज्यादा इमारतें जमींदोज हो गई थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस एक भूकंप ने उत्तरकाशी जनपद को पूरी तरह तबाह कर दिया था.
बीते 5 सालों के आंकड़े पर गौर करें तो साल 2017 के फरवरी माह में प्रदेश का सबसे बड़ा भूकंप 5.7 मेग्नीट्यूड का दर्ज किया गया था. हालांकि साल 2017 में कुल 17 भूकंप के झटके उत्तराखंड में महसूस किए गए थे. वहीं 2016 में 17, 2018 में 12 और 2015 में कुल 13 मूकंप के झटके महसूस किए गए थे.