देहरादून: देश दुनिया में हाहाकार मचा रहा कोरोना वायरस का उद्योग जगत पर भी बड़ा असर पड़ता दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड की तमाम औद्योगिक इकाइयों के सामने भी अब एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से उद्यमियों को सहयोग करने की अपील की है. क्या कुछ कहा है एसोसिएशन ने और आखिर कितनी प्रभावित हो रही हैं उत्तराखंड की औद्योगिक इकाई? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद उत्तराखंड में आज लॉकडाउन का 20वां दिन है. इन 20 दिनों में प्रदेश के लगभग सभी उद्यमियों ने भी कई उतार-चढ़ाव का सामना किया. यही नहीं उत्तराखंड की इंडस्ट्री को हजारों करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. वर्तमान समय में प्रदेशभर में करीब 60 हजार छोटे-बड़े उद्योग हैं. जिसमें से एसेंशियल सेवाओं से जुड़े उद्योगों को छोड़कर बाकी सभी उद्योग पूरी तरह से बंद हैं.
इन तमाम औद्योगिक इकाइयों के लाखों कर्मचारियों के सामने भी आर्थिक संकट दिनों-दिन गहराता ही जा रहा है. यही नहीं उद्योगों के सभी आर्डर भी निरस्त हो चुके हैं, इसके साथ ही कच्चा माल भी अलग अलग स्थानों और रास्तों में पड़े पड़े खराब हो गया है. अब उद्यमियों की इस भयावह परेशानी के निदान के लिए उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने राज्य की त्रिवेंद्र सरकार के सामने अपने दर्द को बयां किया है और केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ ही प्रधानमंत्री से भी दूसरे देशों की तर्ज पर रियायत देने की गुहार लगाई है.
ETV Bharat से खास बातचीत में उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि उद्योगों को पुनर्जीवित करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बैंक किस्त, बिजली का बिल, उद्योग जगत से जुड़े कर्मचारियों का वेतन, टैक्स स्लैब में छूट जीएसटी दर में छूट के साथ ही अन्य तमाम सहयोग करने की सरकार को बहुत ही ज्यादा जरूरत है. इस सिलसिले में इंडस्ट्री एसोसिएशन, राज्य और केंद्र सरकार से लगातार गुहार लगा रही है. ताकि औद्योगिक इकाइयों को फिर से पुनर्जीवित किया जा सके.
प्रांतीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि सरकार को इपीएफ और ईएसआई के साथ ही रिमेंबर्स ऑफ वेजेस अन्य देशों की तरह करना चाहिए. क्योंकि रिमेंबर्स ऑफ वेजेस कई कंट्री की सरकार कर चुकी है. लिहाजा, भारत सरकार को भी इस पर तत्काल डिसीजन लेना चाहिए.
इसके साथ ही औद्योगिक इकाइयों में उपयोग की जाने वाली विद्युत के एक्चुअल यूज का ही बिल विभाग को उद्यमियों से वसूलना चाहिए. कम से कम एक क्वार्टर का बैंक की किस्तों का ब्याज उद्यमियों को फौरी तौर पर सरकार को माफ कर देना चाहिए. आरबीआई ने हाल ही में 7.5 प्रतिशत रेपो रेट कम करने को कहा था, लेकिन बैंक से अभी तक इसका लाभ पूरी तरह से उद्यमियों को नहीं मिल पाया हैं.
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गौरतलब है कि उत्तराखंड में लघु और सूक्ष्म उद्योगों की तादाद 60 हज़ार है, जबकि बड़े स्तर के उद्योग की संख्या महज तीन सौ ही है. इन सभी औद्योगिक इकाइयों में करीब 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. लिहाजा लॉकडाउन के चलते यह सभी मौजूदा समय में आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.
प्रोडक्शन बंद होने के बावजूद भी उद्यमियों ने अपने सभी कर्मचारियों को करीब-करीब मार्च के 15 दिनों का वेतन तो दे दिया है. लेकिन अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अप्रैल में औद्योगिक इकाइयों का प्रोडक्शन पूरी तरह बंद है और औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले वेतन भोगियों को अप्रैल माह का वेतन आखिर कैसे दिया जाएगा ?
अब देखना होगा कि उद्यमियों की मांग को आखिर केंद्र और राज्य सरकार कितना पूरा कर पाएगी. क्या वाकई उद्यमी अपनी-अपनी औद्योगिक इकाइयों को फिर से पुनर्जीवित कर पाएंगे या फिर आर्थिक संकट का सामना अभी आने वाले कुछ महीनों तक उत्तराखंड के उद्योगपतियों को करना पड़ेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर केंद्र की मोदी और प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के उद्योगपतियों को आखिर आर्थिक संकट से उबारने के लिए क्या महत्वपूर्ण निर्णय लेती है.