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देश के सबसे महंगे पांच राज्यों में शामिल हुआ उत्तराखंड, ये रही वजह...

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Published : Sep 18, 2020, 11:06 AM IST

Updated : Sep 18, 2020, 9:37 PM IST

उत्तराखंड राज्य में पिछले एक साल में 7.93 फीसदी महंगाई दर बढ़ी है. केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में देश में सबसे ज्यादा मंहगाई को लेकर उत्तराखंड का पांचवां स्थान है.

देहरादून
एक साल में बढ़ी 7.93 फीसदी महंगाई दर

देहरादून: उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है. जहां एक ओर डीजल-पेट्रोल के दाम रोजाना बढ़ रहे हैं वहीं, सब्जियों से लेकर खाने-पीने की अन्य चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी इस बात की पुष्टि कर रहा है कि उत्तराखंड राज्य में महंगाई दर बहुत अधिक है. जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड महंगाई दर के हिसाब से देश में पांचवें स्थान पर है, जहां महंगाई दर बहुत अधिक है. हालांकि, लगातार बढ़ रही महंगाई के पीछे की वजह और मौजूदा समय में क्या वाकई महंगाई इस कदर बढ़नी चाहिए? देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

रोज-रोज बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम, फल-सब्जियों के बढ़ते दाम और आसमान छूती राशन की कीमतों ने उत्तराखंड की जनता को त्रस्त कर रखा है. यही, वजह है कि केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में उत्तराखंड मंहगाई को लेकर पांचवें स्थान पर है. बावजूद इसके किसान वर्ग और रोजमर्रा की वस्तुओं से जुड़े व्यापारी की स्थिति वैसी की वैसी बनी हुई है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर कब तक एक निम्न वर्ग लगातार बढ़ रही महंगाई को झेल पाएगा. पिछले साल अगस्त महीने से इस साल अगस्त महीने तक महंगाई दर में काफी उछाल देखा गया है. इस एक साल में महंगाई दर 7.93 फीसदी तक बढ़ गई है.

महंगे पांच राज्यों में शामिल हुआ उत्तराखंड.

बढ़ती मंहगाई चिंता का विषय

अर्थशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार उत्तराखंड राज्य में बढ़ी महंगाई दर एक बड़ी चिंता का विषय है. क्योंकि जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान बाजार में मांग कम हुई तो उस दौरान दरें कम होनी चाहिए, जो कि एक सामान्य अर्थशास्त्र का सिद्धांत है. लेकिन उत्तराखंड राज्य में इसका उलट देखा गया है. बाकी अन्य राज्यों में स्थितियां थोड़ी सामान्य है, जबकि वहां महंगाई दर अधिक होनी चाहिए थी. हालांकि उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश के भीतर ट्रांसपोर्टेशन खर्च अधिक पड़ता है. यही नहीं मॉनसून सीजन के दौरान यह खर्च और भी बढ़ जाता है. जिसकी वजह से मंहगाई दर बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें: गढ़वाल विवि परीक्षा: बाहरी छात्रों को दिखानी होगी कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट

मार्केट में पैसे का फ्लो कम

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते हर वर्ग और हर तबका आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसका सीधा असर बाजार पर देखने को मिला रहा है. क्योंकि इस दौरान लाखों लोगों की नौकरी चली गई, जिससे लोगों ने अपने खर्चो को सीमित कर लिया. यही नहीं राज्य सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते को अगले साल तक बढ़ाने पर रोक लगा दी है, जिससे भी मार्केट में पैसा आना बंद हुआ है. उत्तराखंड राज्य सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. हालांकि, हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने आते हैं. जिससे बाजारों में पैसे का फ्लो बना रहता है, लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान स्थिति बिल्कुल उसके उलट हो गई. जिसके चलते महंगाई दर बढ़ना भी लाजमी है.

कोरोना और मानसून ने बढ़ाई महंगाई: बीजेपी

बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी की गई है, उसमें उत्तराखंड राज्य देश के सबसे महंगे राज्यों में 5वें स्थान पर है. हालांकि, यह आंकड़ा अगस्त 2019 से अगस्त 2020 तक का है. कोरोना और मॉनसून के चलते राज्य के भीतर महंगाई दर बढ़ी है, लेकिन अभी फिलहाल सरकार के विशेषज्ञ इसका अध्ययन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री प्रदेश को सबसे महंगा राज्य बनाना चाहते हैं: कांग्रेस

वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत उत्तराखंड राज्य को सबसे महंगे राज्यों में नंबर एक पर बनाना चाहते हैं. इस राज्य के भीतर कुछ भी सुधार होने की संभावना नहीं है, बल्कि स्थितियां और खराब होती जा रही हैं. प्रदेश के भीतर रोजगार धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं, औद्योगिकीरण की रफ्तार प्रदेश के भीतर सुस्त हो रही है. यही नहीं किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है और ना ही उन्हें फसलों की सही कीमत मिल पा रही है. लिहाजा, अब जब बाजार, इंडस्ट्री और खेती तीनों की हालत खराब हो चुकी हैं तो ऐसे में अब स्थितियां सुधरने की संभावना नहीं है.

महंगाई दर के मामले में राज्यों की स्थिति

राज्यमहंगाई दर
असम9.52 फीसदी
पश्चिम बंगाल9.44 फीसदी
उड़ीसा8.17 फीसदी
तेलंगाना8.38 फीसदी
उत्तराखंड7.93 फीसदी
उत्तर प्रदेश 7.03 फीसदी
हिमाचल प्रदेश4.18 फीसदी
दिल्ली3.58 फीसदी

देहरादून: उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है. जहां एक ओर डीजल-पेट्रोल के दाम रोजाना बढ़ रहे हैं वहीं, सब्जियों से लेकर खाने-पीने की अन्य चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी इस बात की पुष्टि कर रहा है कि उत्तराखंड राज्य में महंगाई दर बहुत अधिक है. जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड महंगाई दर के हिसाब से देश में पांचवें स्थान पर है, जहां महंगाई दर बहुत अधिक है. हालांकि, लगातार बढ़ रही महंगाई के पीछे की वजह और मौजूदा समय में क्या वाकई महंगाई इस कदर बढ़नी चाहिए? देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

रोज-रोज बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम, फल-सब्जियों के बढ़ते दाम और आसमान छूती राशन की कीमतों ने उत्तराखंड की जनता को त्रस्त कर रखा है. यही, वजह है कि केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में उत्तराखंड मंहगाई को लेकर पांचवें स्थान पर है. बावजूद इसके किसान वर्ग और रोजमर्रा की वस्तुओं से जुड़े व्यापारी की स्थिति वैसी की वैसी बनी हुई है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर कब तक एक निम्न वर्ग लगातार बढ़ रही महंगाई को झेल पाएगा. पिछले साल अगस्त महीने से इस साल अगस्त महीने तक महंगाई दर में काफी उछाल देखा गया है. इस एक साल में महंगाई दर 7.93 फीसदी तक बढ़ गई है.

महंगे पांच राज्यों में शामिल हुआ उत्तराखंड.

बढ़ती मंहगाई चिंता का विषय

अर्थशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार उत्तराखंड राज्य में बढ़ी महंगाई दर एक बड़ी चिंता का विषय है. क्योंकि जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान बाजार में मांग कम हुई तो उस दौरान दरें कम होनी चाहिए, जो कि एक सामान्य अर्थशास्त्र का सिद्धांत है. लेकिन उत्तराखंड राज्य में इसका उलट देखा गया है. बाकी अन्य राज्यों में स्थितियां थोड़ी सामान्य है, जबकि वहां महंगाई दर अधिक होनी चाहिए थी. हालांकि उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश के भीतर ट्रांसपोर्टेशन खर्च अधिक पड़ता है. यही नहीं मॉनसून सीजन के दौरान यह खर्च और भी बढ़ जाता है. जिसकी वजह से मंहगाई दर बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें: गढ़वाल विवि परीक्षा: बाहरी छात्रों को दिखानी होगी कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट

मार्केट में पैसे का फ्लो कम

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते हर वर्ग और हर तबका आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसका सीधा असर बाजार पर देखने को मिला रहा है. क्योंकि इस दौरान लाखों लोगों की नौकरी चली गई, जिससे लोगों ने अपने खर्चो को सीमित कर लिया. यही नहीं राज्य सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते को अगले साल तक बढ़ाने पर रोक लगा दी है, जिससे भी मार्केट में पैसा आना बंद हुआ है. उत्तराखंड राज्य सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. हालांकि, हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने आते हैं. जिससे बाजारों में पैसे का फ्लो बना रहता है, लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान स्थिति बिल्कुल उसके उलट हो गई. जिसके चलते महंगाई दर बढ़ना भी लाजमी है.

कोरोना और मानसून ने बढ़ाई महंगाई: बीजेपी

बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी की गई है, उसमें उत्तराखंड राज्य देश के सबसे महंगे राज्यों में 5वें स्थान पर है. हालांकि, यह आंकड़ा अगस्त 2019 से अगस्त 2020 तक का है. कोरोना और मॉनसून के चलते राज्य के भीतर महंगाई दर बढ़ी है, लेकिन अभी फिलहाल सरकार के विशेषज्ञ इसका अध्ययन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री प्रदेश को सबसे महंगा राज्य बनाना चाहते हैं: कांग्रेस

वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत उत्तराखंड राज्य को सबसे महंगे राज्यों में नंबर एक पर बनाना चाहते हैं. इस राज्य के भीतर कुछ भी सुधार होने की संभावना नहीं है, बल्कि स्थितियां और खराब होती जा रही हैं. प्रदेश के भीतर रोजगार धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं, औद्योगिकीरण की रफ्तार प्रदेश के भीतर सुस्त हो रही है. यही नहीं किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है और ना ही उन्हें फसलों की सही कीमत मिल पा रही है. लिहाजा, अब जब बाजार, इंडस्ट्री और खेती तीनों की हालत खराब हो चुकी हैं तो ऐसे में अब स्थितियां सुधरने की संभावना नहीं है.

महंगाई दर के मामले में राज्यों की स्थिति

राज्यमहंगाई दर
असम9.52 फीसदी
पश्चिम बंगाल9.44 फीसदी
उड़ीसा8.17 फीसदी
तेलंगाना8.38 फीसदी
उत्तराखंड7.93 फीसदी
उत्तर प्रदेश 7.03 फीसदी
हिमाचल प्रदेश4.18 फीसदी
दिल्ली3.58 फीसदी
Last Updated : Sep 18, 2020, 9:37 PM IST
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