देहरादून: प्रदेश में दिनों-दिन कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातार कोरोना संक्रमण को देखते हुए एहतियाती कदम उठा रही हैं. इसके बावजूद भी तमाम ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण कोरोना के सही आंकड़ों का पता नहीं तल पा रहा है. अब इसकी पूरी जानकारी के लिए आईसीएमआर उत्तराखंड में भी सीरो सर्वे करने जा रहा है. सीरो सर्वे के बाद प्रदेश में कोरोना की सटीक रिपोर्ट अब उत्तराखंडवासियों के सामने होगी.
प्रदेश में 17,865 लोगों को अबतक कोरोना की पुष्टि हुई है. मगर, हकीकत में राज्य के कितने लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं इसका कोई सटीक आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. एक आकलन के अनुसार सूबे में कोविड-19 से प्रभावित लोगों की संख्या मौजूदा आंकड़ों से कहीं ज्यादा है.
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राज्य में कोरोना के सटीक आंकड़ों का अब जल्द ही पता चल जाएगा. दरअसल, आईसीएमआर ने उत्तराखंड को सीरो सर्वे के लिए चयनित कर लिया है. जिसके लिए जल्द ही भारत सरकार की टीम उत्तराखंड आकर इससे जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा करेगी. बता दें कि दिल्ली समेत देश के कई जिलों में सीरो सर्वे किया जा रहा है. जिसके जरिए कम्युनिटी स्प्रेड की जानकारी मिलने में मदद मिल सकेगी.
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क्या है सीरो सर्विलांस
- सीरो सर्विलांस एक तरह का ब्लड टेस्ट जैसी प्रक्रिया है. जिसमें ब्लड में मौजूद सीरम का टेस्ट किया जाता है.
- सीरोलॉजी टेस्ट में एंटीबॉडी विकसित हुए या नहीं इसका पता लगाया जाता है.
- कम्युनिटी स्प्रेड का पता लगाने में भी सीरो टेस्ट काफी महत्वपूर्ण होता है.
- सीरो सर्वे उन जगहों पर किया जाता है जहां कोरोना के काफी ज्यादा मामले मिले हों.
- संक्रमित मरीजों के क्लोज कॉन्टेक्ट में रहने वाले जैसे- चिकित्सक या कोरोना वॉरियर्स को सर्वे में रखा जाता है.
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सीरो सर्वे देश के ऐसे कई जिलों में चलाया गया है जहां कोरोना का प्रकोप ज्यादा है. उत्तराखंड में भी इन दिनों कोरोना के मामले दिनों-दिन बढ़ रहे हैं. जिसके कारण प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 18,000 के पार होने वाला है. ऐसे में पीक की तरफ बढ़ रहे मामलों के लिए सीरो सर्विलांस उपयोगी होगा. कोविड-19 का इलाज कर रहे डॉ. नारायणजीत सिंह बताते हैं कि सीरो सर्विलांस कितना महत्वपूर्ण है और इसका कैसे फायदा हो सकता है.
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सीरोलॉजी टेस्ट के क्या हैं फायदे
- सीरो टेस्ट के जरिए कम्युनिटी स्प्रेड का पता लगाया जा सकता है.
- सीरोलॉजी के जरिये कोरोना को हरा चुके लोगों में एंटी बॉडी का पता चलता है. जिससे एंटीबॉडी डोनर स्वास्थ्य विभाग को मिल सकते हैं.
- कम्युनिटी स्प्रेड के सही आंकड़े मिलने के बाद कोरोना पर आगे की रणनीति बनाई जा सकती है.
- कोरोना से सेफ रह गए क्षेत्रों को चिन्हित किया जा सकता है.
सीरोलॉजी को लेकर दून मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 इलाज कर रहे चिकित्सकों ने भी पत्र लिखकर चिकित्सकों का सीरो सर्विलांस करने की मांग की है. डॉ. निधि उनियाल के अनुसार उनकी तरफ से सीएमओ को पत्र लिखकर इसकी मांग की गई है. उन्होंने कहा इससे पॉजिटिव मरीजों के बीच रहने के दौरान कितने चिकित्सकों को कोरोना संक्रमण हुआ और कितनों में एंटीबॉडी विकसित हुई इसका पता लगाया जा सकता है. जिसके बाद चिकित्सक भी प्लाज्मा डोनेट कर सकेंगे.
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वहीं, सीरो सर्विलांस अबतक जिन जिलों में हुए हैं उनमें परिणाम काफी ज्यादा चौंकाने वाले आये हैं. सीरो सर्विलांस में कुल जनसंख्या के एक चौथाई लोगों के भी संक्रमित होने के आंकड़े भी सामने आए हैं. इसमें टेस्ट न होने के कारण जिन लोगों के कोरोना संक्रमण का पता नहीं चल पाता और वे अपनी शारीरिक ताकत से खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं, उन लोगों की भी जानकारी मिल जाती है. ऐसा शरीर में एंटीबॉडी विकसित होने से पता चलता है. यहां तक कि इसमें कितने समय पहले व्यक्ति को कोरोना हुआ था ये भी इससे पता चल सकता है.
सीरो सर्विलांस के लिए चिन्हित किये जाने के बाद उत्तराखंड में भी उम्मीद की जा रही है कि इससे आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम सामने आएंगे, जिससे प्रदेश में कोरोना की स्थिति साफ हो पाएगी.