देहरादून: उत्तराखंड होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के प्रवक्ता डॉक्टर संजय कुमार मुंडेपी ने ETV BHARAT से खास बातचीत में कहा कि होम्योपैथी के जरिए कोरोना वायरस के मरीज का इलाज संभव है. डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक होम्योपैथ दो तरह से काम करता है. पहला प्रीवेंटिंग और दूसरा क्यूरेटिक.
अगर किसी भी व्यक्ति में करोना वायरस के लक्षण पाए जाते हैं तो उस व्यक्ति को होम्योपैथी में उसके सिम्टम्स के आधार पर दवाई दी जाती है. इसके साथ ही प्रीवेंटिंग मेथड के तहत करीब 100 मरीजों के लक्षण को देखा जाता है और फिर कॉमन लक्षण के आधार पर होम्योपैथिक दवाई दी जाती है. जिसका सीधा असर होता है. यहीं नहीं किसी भी व्यक्ति पर सभी तरह के वायरस का और मेडिसिन का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है.
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उत्तराखंड होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के प्रवक्ता डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक अगर किसी भी व्यक्ति को कोई अन्य बीमारी है. उस व्यक्ति पर कोई वायरस अटैक करता है तो उस व्यक्ति में स्वस्थ्य व्यक्ति की अपेक्षा अलग-अलग लक्षण दिखेंगे. इसी तरह होम्योपैथी में लक्षण के आधार पर ही बीमारी को महत्व दिया जाता है और इसी लक्षण के आधार पर ही होम्योपैथी में दवाई दी जाती है. वर्तमान समय में भी कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीजों में भी अलग-अलग लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
डॉ. मुंडेपी ने बताया कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रिसर्च करने की जरूरत है. इसके लिए होम्योपैथिक की सीसीआर सेंटर है. उसमें रिसर्च किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए अन्य चिकित्सकों की भी जरूरत है. क्योंकि कम से कम 100 कोरोना वायरस के मरीजों के लक्षण पर रिसर्च करना होगा. फिर उसके आधार पर होम्योपैथी दवाई चिन्हित की जाएगी. होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर तमाम तरह की औषधि उपलब्ध है, लिहाजा इसके लिए एक कदम उठाने मात्र की जरूरत है.
डॉ. संजय मुंडेपी ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह होम्योपैथिक डॉक्टरों से इस संबंध में राय ले सकती है. जिस तरह से कोरोना वायरस सूक्ष्म रूप से लगातार मरीजों की संख्या को बढ़ा रहा है. उसी तरह ही होम्योपैथी में भी तमाम तरह की दवाइयां हैं, जिन्हें मल्टिप्लाई कर नई दवाइयां बनाई जा सकती हैं.