देहरादून: उत्तराखंड में दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के संचालन के लिए शासन ने एसओपी जारी कर दी है. इसके तहत विद्यालय खोलने के दौरान स्कूल संचालकों को क्या कदम उठाने होंगे इसकी जानकारी दी गई है. आपको बता दें कि 2 नवंबर से सरकार ने 10वीं और 12वीं के लिए स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है.
उत्तराखंड में 2 नवंबर से 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए विद्यालयों खोलने पर निर्णय हो चुका है. विद्यालयों को खोलने के दौरान आवासीय स्कूलों को नियम निर्देशों का ध्यान रखना होगा. जारी की गई एसओपी में स्कूल संचालकों के लिए महत्वपूर्ण गाइडलाइन जारी हुई है.
जारी की गई एसओपी के अनुसार स्कूलों को 72 घंटे पहले छात्रों की कोविड-19 नेगेटिव जांच रिपोर्ट के साथ मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होगा. इसके अलावा विद्यालय को खोलने से पहले यहां के आवासीय क्षेत्र और क्लास को सेनिटाइज कराना होगा.
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यही नहीं विद्यालय और आवासीय क्षेत्र में छात्रों में उचित दूरी का भी संचालकों को विशेष ध्यान देना होगा. इसके अलावा छात्रों को कोविड-19 को लेकर समय-समय पर जागरूक करने के भी निर्देश दिए गए हैं. वहीं, विद्यालयों के स्टाफ में भी संक्रमण की उचित जांच का एसओपी में जिक्र किया गया है.
इन नियमों का पालन करने का सुझाव
- स्कूल खोले जाने से पहले उन्हें पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाए और यह प्रक्रिया हर दिन हर पाली के बाद नियमित रूप से सुनिश्चित की जाए.
- विद्यालयों में सैनिटाइजर, हैंडवॉश, थर्मल स्क्रीनिंग और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. यदि किसी छात्र और शिक्षक या दूसरे कर्मचारी को खांसी जुखाम, बुखार के लक्षण हो तो उन्हें प्राथमिक उपचार देते हुए घर वापस भेज दिया जाए.
- छात्रों को हैंड सैनिटाइज कराने के बाद ही प्रवेश विद्यालय में दिया जाए.
- स्कूल की छुट्टी के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुरक्षित करने के भी गाइडलाइन में बात कही गई है. साथ ही एक ही समय पर विद्यार्थियों की छुट्टी न करने के लिए भी कहा गया है.
- स्कूल खोलने के साथ ही ऑनलाइन क्लास को भी यथावत रखा जाए.
- छात्र संख्या ज्यादा होने पर दो पालियों में छात्रों को स्कूल बुलाया जाए. पहली पाली में दसवीं और दूसरी पाली में 12वीं के छात्रों को बुलाया जाए.
- छात्रों की संख्या ज्यादा होने की स्थिति में 50 प्रतिशत छात्रों को ही स्कूल में बुलाया जाए और बाकी 50% को अगले दिन बुलाया जाए.
- अभिभावकों की लिखित सहमति के बाद ही छात्रों को स्कूल बुलाया जाए और छात्रों को स्कूल आने के लिए बाध्य न किया जाए. इसके अलावा संक्रमण से बचाव के लिए विद्यार्थियों को जागरूक भी किया जाए.