देहरादून: कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से देश-दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है. लेकिन उत्तराखंड सरकार बिना साजो-सामान कोरोना वायरस से जंग के लिए मैदान में उतरी है. कोरोना वायरस को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग बैठकों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त है. स्वास्थ्य विभाग प्रदेशवासियों से सर्तक रहने की गुजारिश कर रहा है लेकिन हकीकत में स्वास्थ्य विभाग बिना तैयारी और हथियार के कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है.
WHO गाइडलाइन के मुताबिक, थ्री लेयर वाले मास्क की संख्या उत्तराखंड में बेहद कम है. जानकारी के अनुसार सवा करोड़ वाली जनसंख्या वाले उत्तराखंड में थ्री लेयर वाले मास्कों की संख्या करीब 9 हजार ही है. जबकि, हकीकत में सरकार 1 लेयर और 2 लेयर वाले मास्क से ही काम चला रही है.
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प्रदेश में एन-95 मास्क तो बेहद सीमित संख्या में हैं. साथ ही सरकारी अस्पतालों में सेनिटाइजर की भी कमी है. अधिकारियों की कोरोना वायरस से लड़ने की प्लानिंग कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आइसोलेडेट वॉर्ड को अस्पताल के बीचो-बीच बना दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि प्रदेश में करीब 100 से अधिक मेडिकल स्टाफ को कोरोना वायरस से लड़ने की ट्रेनिंग दी गई है. जबकि कोरोना से जंग के लिए कुमाऊं मंडल में सिर्फ 3 अधिकारियों को ट्रेनिंग की जिम्मेदारी गई है. जबकि पूरे उत्तराखंड में अब तक लगभग 100 डॉक्टरों को कोरोना वायरस से लड़ने की ट्रेनिंग दी गई है.
उत्तराखंड में अब तक करीब 4 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. प्रदेश के 3 जनपद चंपावत, उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ में बॉर्डर क्षेत्रों के लिए विशेष टीमें तैनात की गई. लेकिन हकीकत में स्वास्थ्य विभाग के पास अस्पतालों के लिए पर्याप्त मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर्स ही नहीं हैं.