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नशा मुक्ति केंद्रों की अब नहीं चलेगी मनमानी, केंद्र के साथ मिलकर पुलिस तैयार कर रही खास प्रस्ताव

उत्तराखंड में कई नशा मुक्ति केंद्र अवैध रूप से चल रहे हैं, लेकिन कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण इन पर अंकुश लगाना मुश्किल है.

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Published : Mar 14, 2019, 10:33 PM IST

Updated : Mar 15, 2019, 12:00 AM IST

नशा मुक्ति केंद्र पर कार्रवाई.

देहरादून: प्रदेश में जगह-जगह अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. भारत सरकार द्वारा बनाए गए मेंटल हेल्थ एक्ट के तहत उत्तराखंड पुलिस इस संबंध में एक प्रस्ताव सरकार को सौंपेगी. जिसके आधार पर नियमावली तैयार की जाएगी और सभी तरह के नशा मुक्ति केंद्रों को सरकार अपनी निगरानी में रखेगी.

पढ़ें-वन विभाग की घोर लापरवाही, करोड़ों का खनिज बर्बादी की कगार पर

उत्तराखंड में कई नशा मुक्ति केंद्र अवैध रूप से चल रहे हैं, लेकिन कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण इन पर अंकुश लगाना मुश्किल है. कई राज्यों में मेंटल हेल्थ कानून के तहत नशामुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कसा गया है. 2 दिन पहले (12 मार्च 2019) दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा मादक पदार्थों के संबंध में नारकोटिक्स सेल की बैठक हुई थी. इस बैठक में सभी राज्यों के डीजी शामिल हुए थे.

बैठक में उत्तराखंड पुलिस द्वारा देहरादून सहित प्रदेश के अन्य जिलों में लगातार बढ़ रहे नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन में कई तरह की गड़बड़ियों का मामला उठाया गया था. इस दौरान नशा मुक्ति केंद्रों की मॉनिटरिंग को लेकर भी सवाल किए गए.

बैठक में केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया कि सभी राज्य भारत सरकार द्वारा बनाए गए मेंटल हेल्थ एक्ट के तहत अपने यहां नियमावली बनाकर अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम लगा सकते हैं. इस नियमावली के तहत उनकी मॉनिटरिंग भी की जा सकती है. केंद्र के इसी कानून को कई राज्य अपना चुके हैं.

अक्सर देखने में आया है कि देहरादून में स्थित नशा मुक्ति केंद्रों में रोगियों के साथ कई तरह की ज्यादती की जाती है. हाल ही में राजपुर रोड स्थित नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे 50 लोग संस्था का ताला तोड़कर फरार हो गए थे. पुलिस को समय-समय पर इन नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ शिकायत मिलती रहती है, लेकिन कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण इनकी मनमानी चलती है.

डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार ने कहा कि मुख्यालय स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नियमावली के तहत रूल्स रेगुलेशन का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा, ताकि नियम के तहत नशा मुक्ति केंद्रों की मॉनिटरिंग की जा सके.

देहरादून: प्रदेश में जगह-जगह अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. भारत सरकार द्वारा बनाए गए मेंटल हेल्थ एक्ट के तहत उत्तराखंड पुलिस इस संबंध में एक प्रस्ताव सरकार को सौंपेगी. जिसके आधार पर नियमावली तैयार की जाएगी और सभी तरह के नशा मुक्ति केंद्रों को सरकार अपनी निगरानी में रखेगी.

पढ़ें-वन विभाग की घोर लापरवाही, करोड़ों का खनिज बर्बादी की कगार पर

उत्तराखंड में कई नशा मुक्ति केंद्र अवैध रूप से चल रहे हैं, लेकिन कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण इन पर अंकुश लगाना मुश्किल है. कई राज्यों में मेंटल हेल्थ कानून के तहत नशामुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कसा गया है. 2 दिन पहले (12 मार्च 2019) दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा मादक पदार्थों के संबंध में नारकोटिक्स सेल की बैठक हुई थी. इस बैठक में सभी राज्यों के डीजी शामिल हुए थे.

बैठक में उत्तराखंड पुलिस द्वारा देहरादून सहित प्रदेश के अन्य जिलों में लगातार बढ़ रहे नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन में कई तरह की गड़बड़ियों का मामला उठाया गया था. इस दौरान नशा मुक्ति केंद्रों की मॉनिटरिंग को लेकर भी सवाल किए गए.

बैठक में केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया कि सभी राज्य भारत सरकार द्वारा बनाए गए मेंटल हेल्थ एक्ट के तहत अपने यहां नियमावली बनाकर अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम लगा सकते हैं. इस नियमावली के तहत उनकी मॉनिटरिंग भी की जा सकती है. केंद्र के इसी कानून को कई राज्य अपना चुके हैं.

अक्सर देखने में आया है कि देहरादून में स्थित नशा मुक्ति केंद्रों में रोगियों के साथ कई तरह की ज्यादती की जाती है. हाल ही में राजपुर रोड स्थित नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे 50 लोग संस्था का ताला तोड़कर फरार हो गए थे. पुलिस को समय-समय पर इन नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ शिकायत मिलती रहती है, लेकिन कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण इनकी मनमानी चलती है.

डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार ने कहा कि मुख्यालय स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नियमावली के तहत रूल्स रेगुलेशन का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा, ताकि नियम के तहत नशा मुक्ति केंद्रों की मॉनिटरिंग की जा सके.

Intro: देहरादून- उत्तराखंड राज्य में भारी संख्या में संचालित होने वाले नशा मुक्ति केंद्रों द्वारा आये दिन फर्जीवाड़े और इनके संचालन में लगातार आ रही गंभीर शिकायतों के मद्देनजर अब सरकार द्वारा नियमावली तैयार कर सभी तरह के नशा मुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कस मॉनिटरिंग की व्यवस्था बनाई जाएगी। भारत सरकार द्वारा बनाए गए "मेंटल हेल्थ एक्ट" के तहत उत्तराखंड पुलिस इस सम्बंध में प्रस्ताव बनाकर सरकार को सौपेंगी, जिसके बाद नियमावली तैयार कर हर तरह के नशा मुक्ति केंद्र को सरकार अपनी निगरानी में रखेगी। दरसल सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्रों पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था ना होने के चलते यह गड़बड़ झाले से भरा गोरखधंधा बनता जा रहा है। जिसके चलते इन पर देशभर के कई राज्यों में अंकुश लगना अनिवार्य होता जा रहा हैं।


Body: कई राज्य मेंटल हैल्थ कानून के तहत नशामुक्ति केंद्रों पा कस चुके हैं शिकंजा- 2 दिन पहले यानी 12 मार्च 2019 को दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित मादक पदार्थों के संबंध में नारकोटिक्स सेल की हुई अहम बैठक के बाद नशा मुक्ति केंद्र पर संचालन में भारी गड़बड़ी व गंभीर शिकायतों के मद्देनजर शिकंजा कसने का फैसला लिया गया है। देशभर में मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के मद्देनजर नारकोटिक्स सेल से जुड़े सभी राज्यों के पुलिस डीजी दिल्ली पहुंचे थे, जहाँ उत्तराखंड पुलिस विभाग द्वारा देहरादून सहित प्रदेश के अन्य जिलों में लगातार बढ़ रहे नशामुक्ति केंद्रों के संचालन में कई तरह के गड़बड़ी वाले गंभीर मामलें को लेकर इन पर मॉनिटरिंग का सवाल उठाया गया। उधर इस बारे में केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों द्वारा कहा गया कि, भारत सरकार द्वारा पहले से बनाये जा चुके "मेंटल हेल्थ एक्ट" के तहत सभी राज्य अपने यहां नियमावली के तहत नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम कस मॉनिटरिंग की व्यवस्था बना सकते हैं। संबंधित अधिकारियों द्वारा यह भी बताया गया कि केंद्र के इसी कानून के तहत कई राज्य अपने यहाँ ऐसा कर चुके हैं। बाईट-अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध व कानून व्यवस्था,उत्तराखंड PTC


Conclusion:नशा मुक्ति संस्थानों के ज्यादतियों से आये दिन फरार हो जाते नशा ग्रस्त लोग देहरादून सहित राज्य के अन्य जिलों में भारी संख्या में आए दिन खुल रहे नशा मुक्ति केंद्रों में मोटी फ़ीस लेकर यहाँ इलाज़ के नाम पर नशा पीड़ितों के साथ कई तरह की ज्यादतियां की जानकारी समय समय पर आती रही हैं। ऐसा प्राय देखा गया कि नशा मुक्ति केंद्र द्वारा कई तरह के प्रताड़ना जैसे गंभीर मामलों के चलते केंद्रों में भर्ती नशा पीड़ित लोग हताश आये दिन फरार होते रहे हैं। पिछले दिनों देहरादून के राजपुर क्षेत्र स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र से तंग आकर 50 से ज्यादा मानसिक रूप से नशा ग्रस्त पीड़ित लोग संस्था का ताला तोड़कर फरार हो गए थे। लगातार नशा मुक्ति केंद्रों के ख़िलाफ़ गंभीर के मद्देनजर नियमावली तय होना जरूरी:डीजी,एलो मानसिक रूप से नशा ग्रस्त लोगों को उनके परिजनों द्वारा मोटी फीस भरकर नशा मुक्ति केंद्रों में उपचार के लिए भर्ती कराया जाता है, लेकिन अधिकांश मामलों में समय-समय पर नशा मुक्ति केंद्र के क्रियाकलापों के संबंध में गंभीर शिकायतें पुलिस व प्रशासन को लगातार मिलती रहती हैं। ऐसे में सरकार द्वारा इन संस्थाओं के लिए किसी तरह की नियमावली ना होने के चलते प्रशासनिक रूप से कोई मॉनिटरिंग नहीं कि जा रही हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार के "मेंटल हेल्थ कानून" के तहत नियमावली तैयार कर नशा मुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। इस मामले में दिल्ली में आयोजित नारकोटिक्स सेल बैठक में सम्मिलित हुए उत्तराखंड पुलिस विभाग के महानिदेशक अशोक कुमार के अनुसार बहुत जल्द ही मुख्यालय स्तर से नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नियमावली के तहत रूल्स रेगुलेशन का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा जिसके बाद सरकार द्वारा इस विषय में नियमावली जारी होने के बाद नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन मैं नियम कायदे तय कर मॉनिटरिंग की जाएगी। बाईट-अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध व कानून व्यवस्था,उत्तराखंड PTC
Last Updated : Mar 15, 2019, 12:00 AM IST
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