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पर्यटन दिवस विशेष: उत्तराखंड को आखिर कब मिलेंगे 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन ? - मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

पहाड़ों की गोद में बसे उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां लोगों को अपने ओर आकर्षित करती है. राज्य की एक बड़ी आर्थिकी पर्यटन पर टिकी हुई है. क्योंकि हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने आते हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभालने के साथ ही 13 जिले में 13 डेस्टिनेशन विकसित करने की मंशा जताई थी.

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Published : Sep 26, 2019, 7:28 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 8:42 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य में कई खूबसूरत पर्यटक स्थल मौजूद हैं. पहाड़ों की गोद में बसे इस प्रदेश की खूबसूरत वादियां लोगों को अपने ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि देश-विदेश के सैलानी उत्तराखंड घूमने को लालायित रहते है. वहीं, राज्य को पर्यटन प्रदेश बनाने की जुगत में जुटी सरकार '13 जिले 13 डेस्टिनेशन' थीम को लेकर आगे बढ़ रही है, लेकिन अभी तक एक भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित नहीं हो पाया है.

बेहद खूबसूरत हैं उत्तराखंड की वादियां.

उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आर्थिकी पर्यटन पर टिकी हुई है. हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने पहुंचते हैं. जिससे राज्य सरकार की पर्यटन से काफी आय होती है. साथ ही स्थानीय लोगों का रोजगार और उनकी आय का जरिया भी होता है. यही वजह है कि राज्य सरकार पर्यटन की ओर ज्यादा ध्यान दे रही है.

ये भी पढ़ेंः सरकारी अस्पतालों में इलाज हुआ महंगा, पर दून मेडिकल कॉलेज में मिल रही राहत

मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद तय की गई थी '13 जिले 13 डेस्टिनेशन' थीम
13 जिले 13 डेस्टिनेशन थीम को मौजूदा राज्य सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के शपथ लेने के बाद ही तय की गई थी. इस थीम के तय होने के करीब दो साल बाद शासन ने हर जिले में नए डेस्टिनेशन विकसित करने के लिए 50-50 लाख रुपये टोकन मनी के रूप में जारी किया था, लेकिन धरातल पर 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के वास्तविक वजूद नहीं दिखाई दे रहा है. ना ही अभी तक जमीनी स्तर पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया है.

अधिकारिक स्तर पर बैठकों के बाद चिह्नित किए गए थे डेस्टिनेशन
साल 2017 में बीजेपी सरकार बनने के करीब 1 साल तक सभी जिलों की भौगोलिक परिस्थिति, वातावरण और मौसम आदि को देखते हुए 13 स्थानों पर थीम आधारित पर्यटन स्थलों का चयन किया गया था. हालांकि, इस थीम पर काम करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश सचिव गृह, सचिव वित्त, सचिव सहकारिता, सचिव पर्यटन और मुख्यमंत्री के अपर सचिव की कमेटी बनाई थी.

इतना ही नहीं आधिकारिक स्तर पर इस थीम को लेकर कई बार बैठकें भी की गई. हालांकि, बैठकों में डेस्टिनेशन को थीम आधार पर विकसित करने को लेकर उन्हें चिह्नित किया गया, लेकिन उसके आगे की कार्रवाई मात्र कागजों तक ही सीमटती नजर आ रही है.

ये भी पढ़ेंः डेंगू का कहर: हाई कोर्ट पहुंचा मामला, 30 सितंबर तक जवाब पेश करे राज्य सरकार

प्रदेश में नए पर्यटन स्थल विकसित करने की वजह
यूं तो देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन क्षेत्र के मामले में विश्वविख्यात है. यहां ब्रिटिश काल से ही नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, चकराता समेत तमाम पर्यटन स्थल विकसित किए गए थे. जहां अमूमन सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है. इसी वजह से कई बार पर्यटकों को असुविधाएं भी झेलनी पड़ती है.

जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभालने के बाद ही 13 जिले में 13 डेस्टिनेशन विकसित करने की मंशा जताई थी. जिससे आने वाले समय में पर्यटकों को प्रदेश के अन्य नए पर्यटक स्थलों से रूबरू कराया जा सके. साथ ही इस थीम से यहां के स्थानीय निवासियों को भी नए रोजगार के अवसर से जोड़ा जा सके.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में पंचायतों के पास नहीं है अधिकार, पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

इस थीम के तहत विकसित किए जाने हैं 13 डेस्टिनेशन-

  • देहरादून जिले के लाखामंडल, चकराता को महाभारत सर्किट-हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी/चौकोड़ी को लेजर एवं इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • बागेश्वर जिले के गरुड़ वैली को हिल टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • अल्मोड़ा जिले के कसार देवी/कटारमल को मेडिटेशन के रूप में विकसित करना.
  • नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर को हिमालय दर्शन टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • चंपावत जिले के देवी धुरा, लोहाघाट को हिल स्टेशन के रूप में विकसित करना.
  • उधमसिंह नगर जिले के पराग फॉर्म को एम्यूज़मेंट पार्क के रूप में विकसित करना.
  • रुद्रप्रयाग जिले के चोपता को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • टिहरी जिले के टिहरी झील को वाटर स्पोर्ट्स के रूप में विकसित करना.
  • पौड़ी जिले के खिर्सू (कॉर्बेट नार्थ एंट्री) को हिल स्टेशन, वाइल्ड लाइफ के रूप में विकसित करना.
  • उत्तरकाशी जिले के मोरी, हरकीदून को मल्टीपरपज के रूप में विकसित करना.
  • चमोली जिले के गैरसैंण/औली-गौरसों को विंटर स्पोर्ट्स, नॉलेज टाउन के रूप में विकसित करना.
  • हरिद्वार जिले के पिरान कलियर/शक्तिपीठ को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करना.

सभी जिलों में हो गए हैं डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलपः पर्यटन सचिव
वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलपमेंट के लिए सभी जिलों को 50-50 लाख रुपये दिए गए थे. जिस पर जिला अधिकारियों ने अपने कॉन्सेप्ट को डेवलप कर जानकारी शासन को भेज दिया है. इसी क्रम में पिथौरागढ़ जिले से एक करोड़ रुपये का डीपीआर शासन को भेजा गया है. जल्द ही पिथौरागढ़ को एक करोड़ रुपये जारी कर दिए जायेंगे.

उन्होंने कहा कि अन्य जिलों के सभी जिलाधिकारियों को अपने कॉन्सेप्ट के अनुसार डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए है. हालांकि, पर्यटन विभाग के पास इस थीम के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है. जैसे ही अन्य जिलों से डीपीआर आ जाएंगे. उन्हें बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य में कई खूबसूरत पर्यटक स्थल मौजूद हैं. पहाड़ों की गोद में बसे इस प्रदेश की खूबसूरत वादियां लोगों को अपने ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि देश-विदेश के सैलानी उत्तराखंड घूमने को लालायित रहते है. वहीं, राज्य को पर्यटन प्रदेश बनाने की जुगत में जुटी सरकार '13 जिले 13 डेस्टिनेशन' थीम को लेकर आगे बढ़ रही है, लेकिन अभी तक एक भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित नहीं हो पाया है.

बेहद खूबसूरत हैं उत्तराखंड की वादियां.

उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आर्थिकी पर्यटन पर टिकी हुई है. हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने पहुंचते हैं. जिससे राज्य सरकार की पर्यटन से काफी आय होती है. साथ ही स्थानीय लोगों का रोजगार और उनकी आय का जरिया भी होता है. यही वजह है कि राज्य सरकार पर्यटन की ओर ज्यादा ध्यान दे रही है.

ये भी पढ़ेंः सरकारी अस्पतालों में इलाज हुआ महंगा, पर दून मेडिकल कॉलेज में मिल रही राहत

मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद तय की गई थी '13 जिले 13 डेस्टिनेशन' थीम
13 जिले 13 डेस्टिनेशन थीम को मौजूदा राज्य सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के शपथ लेने के बाद ही तय की गई थी. इस थीम के तय होने के करीब दो साल बाद शासन ने हर जिले में नए डेस्टिनेशन विकसित करने के लिए 50-50 लाख रुपये टोकन मनी के रूप में जारी किया था, लेकिन धरातल पर 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के वास्तविक वजूद नहीं दिखाई दे रहा है. ना ही अभी तक जमीनी स्तर पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया है.

अधिकारिक स्तर पर बैठकों के बाद चिह्नित किए गए थे डेस्टिनेशन
साल 2017 में बीजेपी सरकार बनने के करीब 1 साल तक सभी जिलों की भौगोलिक परिस्थिति, वातावरण और मौसम आदि को देखते हुए 13 स्थानों पर थीम आधारित पर्यटन स्थलों का चयन किया गया था. हालांकि, इस थीम पर काम करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश सचिव गृह, सचिव वित्त, सचिव सहकारिता, सचिव पर्यटन और मुख्यमंत्री के अपर सचिव की कमेटी बनाई थी.

इतना ही नहीं आधिकारिक स्तर पर इस थीम को लेकर कई बार बैठकें भी की गई. हालांकि, बैठकों में डेस्टिनेशन को थीम आधार पर विकसित करने को लेकर उन्हें चिह्नित किया गया, लेकिन उसके आगे की कार्रवाई मात्र कागजों तक ही सीमटती नजर आ रही है.

ये भी पढ़ेंः डेंगू का कहर: हाई कोर्ट पहुंचा मामला, 30 सितंबर तक जवाब पेश करे राज्य सरकार

प्रदेश में नए पर्यटन स्थल विकसित करने की वजह
यूं तो देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन क्षेत्र के मामले में विश्वविख्यात है. यहां ब्रिटिश काल से ही नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, चकराता समेत तमाम पर्यटन स्थल विकसित किए गए थे. जहां अमूमन सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है. इसी वजह से कई बार पर्यटकों को असुविधाएं भी झेलनी पड़ती है.

जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभालने के बाद ही 13 जिले में 13 डेस्टिनेशन विकसित करने की मंशा जताई थी. जिससे आने वाले समय में पर्यटकों को प्रदेश के अन्य नए पर्यटक स्थलों से रूबरू कराया जा सके. साथ ही इस थीम से यहां के स्थानीय निवासियों को भी नए रोजगार के अवसर से जोड़ा जा सके.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में पंचायतों के पास नहीं है अधिकार, पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

इस थीम के तहत विकसित किए जाने हैं 13 डेस्टिनेशन-

  • देहरादून जिले के लाखामंडल, चकराता को महाभारत सर्किट-हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी/चौकोड़ी को लेजर एवं इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • बागेश्वर जिले के गरुड़ वैली को हिल टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • अल्मोड़ा जिले के कसार देवी/कटारमल को मेडिटेशन के रूप में विकसित करना.
  • नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर को हिमालय दर्शन टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • चंपावत जिले के देवी धुरा, लोहाघाट को हिल स्टेशन के रूप में विकसित करना.
  • उधमसिंह नगर जिले के पराग फॉर्म को एम्यूज़मेंट पार्क के रूप में विकसित करना.
  • रुद्रप्रयाग जिले के चोपता को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना.
  • टिहरी जिले के टिहरी झील को वाटर स्पोर्ट्स के रूप में विकसित करना.
  • पौड़ी जिले के खिर्सू (कॉर्बेट नार्थ एंट्री) को हिल स्टेशन, वाइल्ड लाइफ के रूप में विकसित करना.
  • उत्तरकाशी जिले के मोरी, हरकीदून को मल्टीपरपज के रूप में विकसित करना.
  • चमोली जिले के गैरसैंण/औली-गौरसों को विंटर स्पोर्ट्स, नॉलेज टाउन के रूप में विकसित करना.
  • हरिद्वार जिले के पिरान कलियर/शक्तिपीठ को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करना.

सभी जिलों में हो गए हैं डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलपः पर्यटन सचिव
वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलपमेंट के लिए सभी जिलों को 50-50 लाख रुपये दिए गए थे. जिस पर जिला अधिकारियों ने अपने कॉन्सेप्ट को डेवलप कर जानकारी शासन को भेज दिया है. इसी क्रम में पिथौरागढ़ जिले से एक करोड़ रुपये का डीपीआर शासन को भेजा गया है. जल्द ही पिथौरागढ़ को एक करोड़ रुपये जारी कर दिए जायेंगे.

उन्होंने कहा कि अन्य जिलों के सभी जिलाधिकारियों को अपने कॉन्सेप्ट के अनुसार डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए है. हालांकि, पर्यटन विभाग के पास इस थीम के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है. जैसे ही अन्य जिलों से डीपीआर आ जाएंगे. उन्हें बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा.

Intro:Note - कुछ विसुअल्स ftp से भेजी गई है......
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उत्तराखंड राज्य में कई पर्यटक स्थल है, यही नही पहाड़ो की गोद मे बसे इस प्रदेश की खूबसूरत वादिया लोगो को अपने ओर आकर्षित करती है। यही वजह है कि देश विदेश सैलानी, उत्तराखंड घूमने को लालायित रहते है। इसके साथ ही राज्य को पर्यटन प्रदेश बनाने की जुगत में जुटी सरकार "13 जिले 13 डेस्टिनेशन" थीम को विकसित करने में जुटी हुई है। आखिर क्या है राज्य सरकार की 13 जिले 13 डेस्टिनेशन की थीम, देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......



Body:उत्तराखंड राज्य अपनी भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से अपने सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है और जो सीमित संसाधन हैं, उसमें राज्य सरकार अपनी आर्थिक आय को बढ़ाने में जुटी हुई है. हालांकि उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आर्थिकी पर्यटन पर टिकी हुई है. क्योंकि हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने आते हैं. जिससे न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि स्थानीय निवासियों को अच्छा खासा फायदा होता है. यही वजह है कि राज्य सरकार पर्यटन की ओर ज्यादा ध्यान देती रही है।


मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद तय की गई थी थीम........

13 जिले 13 डेस्टिनेशन थीम को मौजूदा राज्य सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के शपथ लेने के बाद ही तय हो गई थी। और इस थीम को तय करने के करीब दो साल बाद शासन ने हर जिले में नए डेस्टिनेशन को विकसित करने के लिए 50-50 लाख रुपये टोकन मनी के रूप में जारी किया था। लेकिन धरातल पर 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के वास्तविक वजूद नही दिखाई दे रहा है। और ना ही अभी तक जमीनी स्तर पर कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है। 


आधिकारिक स्तर पर बैठके कर चिन्हित किये गए थे डेस्टिनेशन.......

साल 2017 में भाजपा की सरकार बनने के करीब 1 साल तक सभी जिलों की भौगोलिक परिस्थिति, वातावरण और मौसम आदि को देखते हुए 13 स्थानों पर थीम आधारित पर्यटन स्थलों का चयन किया गया था। हालांकि इस थीम पर काम करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश सचिव गृह, सचिव वित्त, सचिव सहकारिता, सचिव पर्यटन और मुख्यमंत्री के अपर सचिव की कमेटी बनाई गई थी और अधिकारिक स्तर पर इस थीम को लेकर कई बार बैठके भी की गई। हालांकि बैठकों में तो किस डेस्टिनेशन को इस थीम के तहत विकसित करना है ये तो चिन्हित कर लिए गया। लेकिन उसके आगे की कार्यवाही मात्र कागजो तक ही सीमित नज़र आ रही है।


प्रदेश में नए पर्यटन स्थल विकसित करने की वजह........

यू तो देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन क्षेत्र के मामले में विश्वविख्यात है. यहां ब्रिटिश काल से ही नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, चकराता समेत तमाम पर्यटन स्थल विकसित किये गए थे. जहां अमूमन सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है और इन्हीं वजह से कई बार पर्यटकों को असुविधाएं भी झेलनी पड़ती है, जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभालने के साथ ही 13 जिले में 13 डेस्टिनेशन विकसित करने की मंशा जताई थी। ताकि आने वाले समय मे पर्यटकों को प्रदेश में और नए पर्यटक स्थलों से रूबरू कराया जा सके। इसके साथ ही इस थीम से यहां के स्थानीय निवासियों को भी नए रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। 

सभी जिलों में हो गए है डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलप.......

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के कॉन्सेप्ट डेवलपमेंट के लिए सभी जिलों को 50-50 लाख रुपये दिए गए थे। जिस पर जिला अधिकारियों ने अपने कॉन्सेप्ट को डेवलपकर, जानकारी शासन को भेज दिया है। इसी क्रम में जिला पिथौरागढ़ से एक करोड़ रुपये का डीपीआर, शासन को भेजा गया है। और जल्द ही पिथौरागढ़ को एक करोड़ रुपये जारी कर दिए जायेंगे। इसके साथ ही अन्य सभी जिलाधिकारियों को अपने कॉन्सेप्ट के अनुसार डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए है। हालांकि पर्यटन विभाग के पास इस थीम के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है। और जैसे ही जिलो से डीपीआर आ जाएंगे उन्हें बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा।


थीम के तहत विकसित किये जाने है 13 डेस्टिनेशन........

1 - देहरादून जिले के लाखामंडल, चकराता को महाभारत सर्किट- हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित करना।

2 - पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी/ चौकोड़ी को लेजर एवं इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना।

3 - बागेश्वर जिले के गरुड़ वैली को हिल टूरिज्म के रूप में विकसित करना।

4 - अल्मोड़ा जिले के कसार देवी/ काटरमल को मेडिटेशन के रूप में विकसित करना।

5 - नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर को हिमलय दर्शन टूरिज्म के रूप में विकसित करना।

6 - चंपावत जिले के देवी धुरा, लोहाघाट को हिल स्टेशन के रूप में विकसित करना।

7 - उधमसिंह नगर जिले के पराग फॉर्म को एम्यूज़मेंट पार्क के रूप में विकसित करना।

8 - रुद्रप्रयाग जिले के चैपता को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना।

9 - टिहरी जिले के टिहरी झील को वाटर स्पोर्ट्स के रूप में विकसित करना।

10 - पौड़ी जिले के खिरसू ( कॉर्बेट नार्थ एंट्री) को हिल स्टेशन, वाइल्डलाइफ के रूप में विकसित करना।

11 - उत्तरकाशी जिले के मोरी, हरकीदून को मल्टीपरपज के रूप में विकसित करना।

12 - चमोली जिले के गैरसैंण/ औली-गौरसो को विंटर स्पोर्ट्स, नॉलेज टाउन के रूप में विकसित करना।

13 - हरिद्वार जिले के पिरान कलियर/ शक्तिपीठ को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करना।






Conclusion:
Last Updated : Sep 26, 2019, 8:42 PM IST
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