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जानिए क्या है अयोध्या और पौड़ी के फलस्वाड़ी गांव का कनेक्शन, राम मंदिर के साथ ही सीता माता सर्किट बनाने की कवायद तेज

पौड़ी स्थित सीता मंदिर धाम को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा. जिसके लिए त्रिवेंद्र सरकार ने कवायद तेज कर दी है.

सीता मंदिर को भव्य रूप देगी त्रिवेंद्र सरकार.
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Published : Nov 17, 2019, 9:23 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 12:40 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार पौड़ी जिले में स्थित माता सीता के पौराणिक धाम का कायाकल्प करने की तैयारी में है. मंदिर को धार्मिक पर्यटन के तौर पर 'सीता माता सर्किट' के रूप में विकसित करने से क्षेत्र में पर्यटन को भी पंख लगेंगे. जिससे राष्ट्रीय स्तर पर जनपद को एक अलग पहचान मिलेगी. साथ ही प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अभियान भी चलाएगी.

राम मंदिर के साथ ही सीता माता सर्किट बनाने की कवायद तेज.

यू तो उत्तराखंड में चारधामों के रूप में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ विश्व विख्यात है. इसी तरह राज्य सरकार, सीता सर्किट को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है. आखिर क्या है पौड़ी जिले में स्थित माता सीता मंदिर का पौराणिक महत्त्व और किस स्वरुप में पौड़ी के फलस्वाड़ी गांव में सीता सर्किट को विकसित किया जायेगा? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

हिमालय की गोद में बसे और धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले उत्तराखंड को देवताओं की भूमि भी कहा जाता है. इस तपोभूमि के पग-पग पर देवी-देवता निवास करते हैं. इसी तरह पौड़ी जिले स्थित सीता माता मंदिर के इस धार्मिक स्थल की न सिर्फ स्थानीय लोगों में बड़ी मान्यता है, बल्कि इन स्थानों को राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार अलग से अभियान भी चलाएगी. इसके लिए इन स्थानों पर भव्य मंदिर की स्थापना करने के साथ ही पौराणिक मन्दिर का भी संरक्षण किया जायेगा.

भव्य बनाया जाएगा मंदिर

गौर हो कि बीते दिनों एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि जिले के कोट ब्लाक में फलस्वाड़ी गांव में स्थित सीता माता मंदिर को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है. जो जिले के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. वहीं बनने वाले सीता सर्किट में हर किसी के सहयोग से माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा.

पढ़ें-ऑनलाइन SHOPPING करते हैं तो हो जाएं सावधान, पुलिस कर रही ये अपील

विकसित करने से खुलेंगे नए आयाम

इसके लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीता सर्किट को विकसित करने के लिए श्रद्धालुओं से डेढ़ फुट लंबी व छह इंच चौड़ी शिला, अपने खेत की एक मुट्ठी मिट्टी और 11 रुपए दान में मांगे हैं, जिससे भव्य मंदिर बनाया जा सके. इसके साथ ही बाकी खर्च का पैसा जनसहयोग से लिया जाएगा. जो मंदिर की भव्यता व दिव्यता को अलौकिक रूप देने में अहम योगदान होगा.

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार सीता माता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी. सनातन समय से फलस्वाड़ी, कोटसाड़ा व देवल गांव के ग्रामीण फलस्वाड़ी में उनके भू-समाधि दिवस को मंसार मेले के रूप में मनाते हैं. माना जाता है कि पौड़ी जिले के फलस्वाड़ी गांव में इसी स्थान पर पहुंचकर माता सीता ने भू-समाधि ली थी. यही नहीं फल्सवाड़ी गांव में आज भी माता सीता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है. इसके साथ ही माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए लक्ष्मण के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर आज भी मौजूद है.

जहां दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. दीपावली के ठीक 12 दिन बाद भू-समाधि दिवस को मंसार मेले के रूप में मनाया जाता है. जिसमें सीता माता की पूजा, आराधना की जाती है. यही नहीं पौराणिक महत्व वाले पौड़ी जनपद के बाल्मीकि और सीता मंदिर को जल्द ही सीता सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा.

देहरादून: राज्य सरकार पौड़ी जिले में स्थित माता सीता के पौराणिक धाम का कायाकल्प करने की तैयारी में है. मंदिर को धार्मिक पर्यटन के तौर पर 'सीता माता सर्किट' के रूप में विकसित करने से क्षेत्र में पर्यटन को भी पंख लगेंगे. जिससे राष्ट्रीय स्तर पर जनपद को एक अलग पहचान मिलेगी. साथ ही प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अभियान भी चलाएगी.

राम मंदिर के साथ ही सीता माता सर्किट बनाने की कवायद तेज.

यू तो उत्तराखंड में चारधामों के रूप में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ विश्व विख्यात है. इसी तरह राज्य सरकार, सीता सर्किट को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है. आखिर क्या है पौड़ी जिले में स्थित माता सीता मंदिर का पौराणिक महत्त्व और किस स्वरुप में पौड़ी के फलस्वाड़ी गांव में सीता सर्किट को विकसित किया जायेगा? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

हिमालय की गोद में बसे और धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले उत्तराखंड को देवताओं की भूमि भी कहा जाता है. इस तपोभूमि के पग-पग पर देवी-देवता निवास करते हैं. इसी तरह पौड़ी जिले स्थित सीता माता मंदिर के इस धार्मिक स्थल की न सिर्फ स्थानीय लोगों में बड़ी मान्यता है, बल्कि इन स्थानों को राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार अलग से अभियान भी चलाएगी. इसके लिए इन स्थानों पर भव्य मंदिर की स्थापना करने के साथ ही पौराणिक मन्दिर का भी संरक्षण किया जायेगा.

भव्य बनाया जाएगा मंदिर

गौर हो कि बीते दिनों एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि जिले के कोट ब्लाक में फलस्वाड़ी गांव में स्थित सीता माता मंदिर को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है. जो जिले के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. वहीं बनने वाले सीता सर्किट में हर किसी के सहयोग से माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा.

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विकसित करने से खुलेंगे नए आयाम

इसके लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीता सर्किट को विकसित करने के लिए श्रद्धालुओं से डेढ़ फुट लंबी व छह इंच चौड़ी शिला, अपने खेत की एक मुट्ठी मिट्टी और 11 रुपए दान में मांगे हैं, जिससे भव्य मंदिर बनाया जा सके. इसके साथ ही बाकी खर्च का पैसा जनसहयोग से लिया जाएगा. जो मंदिर की भव्यता व दिव्यता को अलौकिक रूप देने में अहम योगदान होगा.

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार सीता माता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी. सनातन समय से फलस्वाड़ी, कोटसाड़ा व देवल गांव के ग्रामीण फलस्वाड़ी में उनके भू-समाधि दिवस को मंसार मेले के रूप में मनाते हैं. माना जाता है कि पौड़ी जिले के फलस्वाड़ी गांव में इसी स्थान पर पहुंचकर माता सीता ने भू-समाधि ली थी. यही नहीं फल्सवाड़ी गांव में आज भी माता सीता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है. इसके साथ ही माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए लक्ष्मण के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर आज भी मौजूद है.

जहां दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. दीपावली के ठीक 12 दिन बाद भू-समाधि दिवस को मंसार मेले के रूप में मनाया जाता है. जिसमें सीता माता की पूजा, आराधना की जाती है. यही नहीं पौराणिक महत्व वाले पौड़ी जनपद के बाल्मीकि और सीता मंदिर को जल्द ही सीता सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा.

Intro:सनातन धर्म से जुडी अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर लम्बे समय से चल रहा विवाद आखिरकार थम गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या के रामजन्म भूमि पर भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा। तो वही उत्तराखंड राज्य सरकार ने पौड़ी जिले में स्तिथ माता सीता के पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी सीता माता मंदिर, लक्ष्मण मन्दिर और बाल्मीकि मन्दिर को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने जा रही है। यू तो उत्तराखंड में चारधामों के रूप में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ विश्व विख्यात है इसी तरह राज्य सरकार, सीता सर्किट को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में विकसित किया जायेगा। आखिर क्या है पौड़ी जिले में स्तिथ माता सीता मंदिर का पौराणिक महत्त्व? और किस स्वरुप में पौड़ी के फलस्वाड़ी गांव में सीता सर्किट को विकसित किया जायेगा? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.........




Body:हिमालय की गोद मे बसे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले देवभूमि उत्तराखंड देवताओं की भूमि है इस तपोभूमि के पग-पग पर देवी-देवता निवास करते है। इसी तरह पौड़ी जिले स्तिथ सीता माता मंदिर के इस धार्मिक स्थल की न सिर्फ स्थानीय लोगों में बड़ी मान्यता है, बल्कि इन स्थानों को राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार अलग से अभियान भी चलाएगी। इसके लिए इन स्थानों पर भव्य मंदिर की स्थापना करने के साथ ही पौराणिक मन्दिर का भी संरक्षण किया जायेगा।   


.........सीता मंदिर कि धार्मिक मान्यता.........

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्तिथ सीता मंदिर कि धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी। यही नहीं ऐसी भी मान्यता है कि त्रेता युग में जब भगवान राम ने 14 साल का वनवास और रावण का वधकर, सीता को अपने साथ लेकर अयोध्या पहुंचे जिसके बाद माता सीता के पवित्रता पर एक धोबी के सवाल उठाने से भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता का त्याग कर दिया था। इसके कुछ सालो के बाद माता सीता ने अपने बच्चो लव और कुश को भगवान राम के शरण में छोड़कर चली गयी थी और उस दौरान लक्ष्मण खुद माता सीता को छोड़ने आए थे। और माना जाता है कि पौड़ी जिले के फलस्वाड़ी गांव में इसी स्थान पर पहुँचकर माता सीता ने भू-समाधि ले ली थी। यही नहीं फल्सवाड़ी गांव में आज भी सीता माता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है। इसके साथ ही माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए लक्ष्मण जी के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर भी मौजूद है।


.........ग्रामीणों के योगदान से बनेगा भव्य मंदिर.........

पौड़ी जिले के फलस्वाड़ी में बनने वाले सीता सर्किट में हर किसी के सहयोग से माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीता सर्किट को विकसित करने के लिए हर गांव के लोगो से एक शिला, एक मुट्ठी मिट्टी और 11 रुपये के योगदान माना है। इसके साथ ही बाकी खर्च का पैसा जनसहयोग से लिया जाएगा। जो मंदिर की भव्यता व दिव्यता को अलौकिक रुप देने में अहम योगदान होगा, और नए धाम के रूप में विकसित होगा। 

बाइट - प्रदीप भट्ट, स्थानीय निवासी (1) 


.........हर साल आयोजित किया जाता है मंसार मेला.........

सनातन समय से फलस्वाड़ी, कोटसाड़ा व देवल गांव के ग्रामीण, फलस्वाड़ी गांव स्तिथ सीता माता मंदिर में हर साल दीपावली के ठीक 12 दिन बाद भू-समाधि दिवस को मंसार मेले के रुप में मनाया जाता है। जिसमें सीता माता की पूजा, आराधना की जाती है। यही नहीं पौराणिक महत्व वाले पौड़ी जनपद के बाल्मीकि और सीता मंदिर को जल्द ही सीता सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने कवायद तेज कर दी हैं। हालांकि हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर आते है। इसी तरह चारधाम आने वाले श्रद्धालुओ को इस धार्मिक स्थान के महत्व के बारे में बताया जा सके, इसके लिए राज्य सरकार ने विशेष कार्ययोजना तैयार कर ली है। 

बाइट - प्रदीप भट्ट, स्थानीय निवासी (2)


वही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि एक स्थान जन्म का होता है और एक स्थान मृत्यु का होता है। शास्त्रों में मान्यता है कि माता सीता भूमि से उत्पन्न हुई थी और भूमि में ही समाधि ली थी। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के फलस्वाड़ी गांव की मान्यता है कि माता सीता ने वहाँ भूमि समाधि ली थी। यह नहीं फलस्वाड़ी गांव में बने सीता मंदिर में स्थानीय लोग हर साल से अनंत काल से पूजा करते हैं। यही नहीं उस गांव में प्राचीन अवशेष हैं और बाल्मीकि मंदिर भी है। साथ ही बताया कि अगर पूरे उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र बाल्मीकि मंदिर पौड़ी जिले के फलस्वाड़ गांव में है। यही नहीं इस गांव में अन्य प्राचीन मंदिर भी हैं। और इन सभी मंदिरों का भारत जैसे देश में आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि सीता माता का पूजा जगन माता के रूप में भी होती है। यह नहीं उस गांव की आराध्य देवी ही सीता माता है। 

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री 




Conclusion:पौड़ी मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सीता माता, बाल्मीकि और लक्ष्मण जी से जुड़ी इन पौराणिक धरोहर को संजोने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और पौड़ी के इस धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र के विकास को और गति मिलेगी। 
Last Updated : Nov 17, 2019, 12:40 PM IST
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