देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा सेक्टर को लेकर बेहद ज्यादा संभावनाएं (Prospects of energy sector in Uttarakhand) हैं. लेकिन राज्य में विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में कुछ खास उपलब्धियां हासिल नहीं की जा सकती हैं. हालत यह है कि प्रदेश खुद की जरूरत भी पूरी नहीं कर पा रहा है. जिसके कारण करोड़ों रुपए की बिजली दूसरे राज्यों से खरीदनी पड़ रही है. इन्हीं हालातों को देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार सोलर ऊर्जा (Uttarakhand government considering solar energy) की तरफ उम्मीद लगाए बैठी है. इसलिए अब इस क्षेत्र को और विस्तृत करने के लिए नई सोलर नीति लाने की तैयारी(Preparations to bring new solar policy) की जा रही है.
राज्य में सोलर नीति यूं तो पिछले 10 सालों से लागू है, लेकिन इस क्षेत्र में सरकार की नजरअंदाजी के कारण राज्य कुछ कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है. उल्टा इस सेक्टर में काम करने वालों लोगों को बड़ी मात्रा में घाटा झेलना पड़ा है. अब सरकार ऊर्जा की जरूरतों को देखते हुए सोलर सेक्टर को पूरी तरह से खोलने और इसके नियमों को शिथिल करने की दिशा में काम कर रही है.
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सरकार ने इसके लिए नई सोलर नीति लाने का प्लान तैयार किया है. जिसे जल्द ही ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाएगा. इसमें तमाम सुझाव आने के बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसके बाद उत्तराखंड कैबिनेट में इस नीति को लाने की तैयारी है. जानकारी के अनुसार नई नीति को सबके लिए खोलने इसमें नियमों को और आसान करने के साथ ही और अधिक सब्सिडाइज करने की भी तैयारी चल रही है.
इससे पहले सोलर सेक्टर में काम करने के लिए जल विद्युत निगम को भी अधिकृत कर दिया गया है. साथ ही कुछ निजी बड़े सेक्टर्स को भी इसमें जोड़ा गया है. हालांकि इससे पहले भी सोलर नीति में समय-समय पर संशोधन हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यह सेक्टर काफी पीछे छूट गया है. इस मामले में अब ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम (Energy Secretary Meenakshi sundaram) कहते हैं कि नीति को सबके लिए सुविधाजनक और बेहतर करने की कोशिश की जा रही है. यही कारण है कि इसमें मौजूद तमाम तकनीकी खामियों को खत्म किया जाएगा.