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दुविधा में शिक्षा विभाग, हाईकोर्ट जाने की तैयारी में राजकीय शिक्षक संघ, प्रभार न छोड़ने वाले शिक्षकों पर भी कार्रवाई - हाईकोर्ट जाने की तैयारी में राजकीय शिक्षक संघ

Uttarakhand Government Teachers Association उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजकीय शिक्षक संघ के आह्वान पर 90% विद्यालयों में शिक्षकों के प्रभारी प्रधानाचार्य का पद छोड़ दिया है. अब शिक्षा विभाग के अल्टीमेटम के बाद शिक्षक आंदोलनरत हैं. राजकीय शिक्षक संघ ने इसे लेकर हाईकोर्ट जाने की तैयारी भी तेज कर दी है.

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हाईकोर्ट जाने की तैयारी में राजकीय शिक्षक संघ
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 20, 2023, 4:57 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ अब विभाग के ही अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है. इसके लिए संघ ने बाकायदा पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंप दी है. उधर दूसरी तरफ शिक्षक संघ ने ऐसे शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई का मन बना लिया है, जिन्होंने संघ के निर्देशों के बाद भी अब तक प्रभारी प्रधानाचार्य के पद को नहीं छोड़ा है.

Uttarakhand Government Teachers Association
शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

दुविधा में फंसा शिक्षा विभाग: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग इन दिनों बड़ी दुविधा में फंसा हुआ है. दरअसल, राजकीय शिक्षक संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिसके बाद राज्य में शिक्षा व्यवस्था के साथ ही दूसरे तमाम कामों पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. बड़ी बात यह है कि शिक्षकों के इस आंदोलन को लेकर विभाग ने भी आक्रामक रुख दिखाया. शिक्षा विभाग के इस रुख से राजकीय शिक्षक संघ बैकफुट पर जाने की बजाय अब फ्रंटफुट पर आ गया है. अब शिक्षक संघ ने विभाग के अधिकारियों पर ही निशाना साधना शुरू कर दिया है.

पढे़ं- शिक्षा विभाग की चेतावनी के बीच शिक्षक संघ का अल्टीमेटम, 35 सूत्रीय मांगों को लेकर टीचर्स ने बोला हल्ला

राजकीय शिक्षक संघ ने शुरू की तैयारी: बड़ी बात यह है कि अब राजकीय शिक्षक संघ ने संघ के पदाधिकारियों की सूची जारी करते हुए उन्हें हाईकोर्ट में विभाग के निर्देशों के क्रम में न्यायिक लड़ाई लड़ने की भी जिम्मेदारी दे दी है. राजकीय शिक्षक संघ ने कुमाऊं मंडल के मंडलीय अध्यक्ष गोकुल मार्तोलिया, रवि शंकर गुसाईं और विधिक समिति प्रांतीय कार्यकारिणी को हाईकोर्ट में शिक्षकों के पक्ष में न्यायिक लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी दी है.

Uttarakhand Government Teachers Association
शिक्षक संघ का प्रदर्शन

शिक्षा विभाग को बड़े आंदोलन की चेतावनी: राजकीय शिक्षक संघ लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है. पिछले दिनों शिक्षा निदेशालय में भी राजकीय शिक्षक संघ ने तालाबंदी की थी. इसके बाद सभी शिक्षकों को प्रधानाचार्य के प्रभारी दायित्व को छोड़ने के भी निर्देश दिए गये थे. जिसके बाद करीब 90% विद्यालयों में शिक्षकों ने प्रभारी प्रधानाचार्य का पद छोड़ दिया. शिक्षकों के इसी काम से अब शिक्षा विभाग बौखलाया हुआ है. विभाग ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कह रहा है. उधर शिक्षक संघ के अनुसार शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नियमों के तहत नहीं कर सकता है. यदि विभाग द्वारा ऐसा किया जाता है तो विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ने की चेतावनी भी दी गई है. इसी क्रम में अब शिक्षक संघ ने इसके लिए पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी दे दी है.

पढे़ं- उत्तराखंड में छात्रों को फ्री मिलेगी द्विभाषीय किताबें, एक पेज हिंदी तो दूसरा पेज होगा अंग्रेजी

बैकफुट पर आ सकता है शिक्षा विभाग: एक तरफ राजकीय शिक्षक संघ, विभाग से सीधी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रहा है. दूसरी तरफ ऐसे शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी हो रही है, जिन्होंने राजकीय शिक्षक संघ के निर्देशों के बाद भी अब तक विद्यालय से प्रभारी प्रधानाचार्य के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को नहीं छोड़ा है. इसके लिए राजकीय शिक्षक संघ ने मंडलीय और जनपद स्तरीय अपने पदाधिकारियों को ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर शिक्षक संघ को भेजने के लिए कहा है. इन सभी स्थितियों पर शिक्षा विभाग भी नजर बनाए हुए है. हालांकि, जिस तरह का अड़ियल रवैया राजकीय शिक्षक संघ की तरफ से अपनाया गया है, उसके बाद शिक्षा विभाग को बैकफुट पर भी जाना पड़ सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ अब विभाग के ही अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है. इसके लिए संघ ने बाकायदा पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंप दी है. उधर दूसरी तरफ शिक्षक संघ ने ऐसे शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई का मन बना लिया है, जिन्होंने संघ के निर्देशों के बाद भी अब तक प्रभारी प्रधानाचार्य के पद को नहीं छोड़ा है.

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शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

दुविधा में फंसा शिक्षा विभाग: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग इन दिनों बड़ी दुविधा में फंसा हुआ है. दरअसल, राजकीय शिक्षक संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिसके बाद राज्य में शिक्षा व्यवस्था के साथ ही दूसरे तमाम कामों पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. बड़ी बात यह है कि शिक्षकों के इस आंदोलन को लेकर विभाग ने भी आक्रामक रुख दिखाया. शिक्षा विभाग के इस रुख से राजकीय शिक्षक संघ बैकफुट पर जाने की बजाय अब फ्रंटफुट पर आ गया है. अब शिक्षक संघ ने विभाग के अधिकारियों पर ही निशाना साधना शुरू कर दिया है.

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राजकीय शिक्षक संघ ने शुरू की तैयारी: बड़ी बात यह है कि अब राजकीय शिक्षक संघ ने संघ के पदाधिकारियों की सूची जारी करते हुए उन्हें हाईकोर्ट में विभाग के निर्देशों के क्रम में न्यायिक लड़ाई लड़ने की भी जिम्मेदारी दे दी है. राजकीय शिक्षक संघ ने कुमाऊं मंडल के मंडलीय अध्यक्ष गोकुल मार्तोलिया, रवि शंकर गुसाईं और विधिक समिति प्रांतीय कार्यकारिणी को हाईकोर्ट में शिक्षकों के पक्ष में न्यायिक लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी दी है.

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शिक्षक संघ का प्रदर्शन

शिक्षा विभाग को बड़े आंदोलन की चेतावनी: राजकीय शिक्षक संघ लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है. पिछले दिनों शिक्षा निदेशालय में भी राजकीय शिक्षक संघ ने तालाबंदी की थी. इसके बाद सभी शिक्षकों को प्रधानाचार्य के प्रभारी दायित्व को छोड़ने के भी निर्देश दिए गये थे. जिसके बाद करीब 90% विद्यालयों में शिक्षकों ने प्रभारी प्रधानाचार्य का पद छोड़ दिया. शिक्षकों के इसी काम से अब शिक्षा विभाग बौखलाया हुआ है. विभाग ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कह रहा है. उधर शिक्षक संघ के अनुसार शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नियमों के तहत नहीं कर सकता है. यदि विभाग द्वारा ऐसा किया जाता है तो विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ने की चेतावनी भी दी गई है. इसी क्रम में अब शिक्षक संघ ने इसके लिए पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी दे दी है.

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बैकफुट पर आ सकता है शिक्षा विभाग: एक तरफ राजकीय शिक्षक संघ, विभाग से सीधी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रहा है. दूसरी तरफ ऐसे शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी हो रही है, जिन्होंने राजकीय शिक्षक संघ के निर्देशों के बाद भी अब तक विद्यालय से प्रभारी प्रधानाचार्य के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को नहीं छोड़ा है. इसके लिए राजकीय शिक्षक संघ ने मंडलीय और जनपद स्तरीय अपने पदाधिकारियों को ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर शिक्षक संघ को भेजने के लिए कहा है. इन सभी स्थितियों पर शिक्षा विभाग भी नजर बनाए हुए है. हालांकि, जिस तरह का अड़ियल रवैया राजकीय शिक्षक संघ की तरफ से अपनाया गया है, उसके बाद शिक्षा विभाग को बैकफुट पर भी जाना पड़ सकता है.

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