देहरादूनः उत्तराखंड में हरेला पर्व के दौरान वन विभाग प्रदेशभर में मुहिम चलाकर पौधारोपण करवाता है. लेकिन यह मुहिम और प्रयास इसलिए हमेशा सवालों में रहे हैं, क्योंकि किए गए पौधारोपण का सक्सेस रेट आज तक वन विभाग नहीं बता पाया है. इन्हीं, सवालों के बीच शासन की एक कार्रवाई ने प्रदेश में होने वाले पौधारोपण कार्यक्रम को शक की निगाह से देखने पर मजबूर कर दिया. शासन ने वन विभाग की एक अधिकारी को सस्पेंड किया है. अधिकारी पर प्लांटेशन मामले में अनियमितता के पूर्व में आरोप थे.
उत्तराखंड वन विभाग में तैनात सहायक वन संरक्षक तनुजा परिहार (Forest Conservator Tanuja Parihar Suspended) को शासन ने सस्पेंड कर दिया है. बताया जा रहा है कि इन्हें निलंबित करने की वजह पूर्व में प्लांटेशन को लेकर अनियमितता का एक मामला है. इसको लेकर काफी लंबे समय से जांच चल रही थी. बता दें कि उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) हर साल पौधारोपण की बड़ी मुहिम चलाता है और लाखों पौधे लगाने का दावा भी करता है. लेकिन महकमा आज तक यह नहीं बता पाया कि हर साल चलने वाली इस मुहिम में कितने प्रतिशत या कितने पौधे जीवित रहते हैं. वन विभाग कि इसी कार्यप्रणाली के कारण हमेशा से ही पौधारोपण को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.
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फिलहाल शासन ने तनुजा परिहार को निलंबित करते हुए देहरादून डीएफओ कार्यालय में संबद्ध कर दिया है. बताया गया है कि प्रमुख वन संरक्षक की तरफ से पूर्व में प्लांटेशन को लेकर चल रही जांच मामले में दोषी पाए जाने के बाद ही यह कार्रवाई की गई है. हालांकि, इसके अलावा इस अधिकारी पर क्या कार्रवाई होगी यह अभी तय नहीं हो पाया है. लेकिन जिस तरह यह मामला सामने आया है उसके बाद प्रदेश भर में दूसरी जगहों पर भी पौधारोपण को लेकर बड़े स्तर पर ऑडिट की जरूरत महसूस की जा रही है. शासन की तरफ से इस वन विभाग के अधिकारी के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद बाकी अधिकारियों को भी एक बड़ा संदेश दिया गया है.