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उत्तराखंड में फेल हुआ प्रोजेक्ट राइनो, होमवर्क की कमी ने गैंडों की शिफ्टिंग पर लगाया पलीता

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Published : Jun 24, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Jun 24, 2022, 6:15 PM IST

उत्तराखंड में गैंडों का दिदार करने वाले वन्यजीव प्रेमियों को बड़ा झटका है. उत्तराखंड सरकार ने राइनो प्रोजेक्ट बंद कर दिया है. इस प्रोजेक्ट के तहत असम से 12 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क शिफ्ट किया जाना था. लेकिन वित्तीय समस्या और अन्य कारणों के चलते सरकार ने प्रोजेक्ट राइनो पर विराम लगा दिया है.

Project Rhino
प्रोजेक्ट राइनो

देहरादूनः उत्तराखंड में वन्यजीवों के कुनबे में नए सदस्यों को जोड़ने का प्रयास पूरी तरह फेल हो गया है. मामला प्रोजेक्ट राइनो का है, जिसमें कुल 12 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क शिफ्ट किया जाना था. लेकिन अब राज्य सरकार ने कुछ आपत्तियों के साथ इस प्रोजेक्ट का चैप्टर पूरी तरह से क्लोज करने का फैसला लिया है. जाहिर है कि राज्य में गैंडों का दीदार करने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह एक बड़ा झटका है.

ये है पूरा मामलाः उत्तराखंड की तत्कालीन त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान वन्यजीवों के कुनबे को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए. इसमें से एक प्रोजेक्ट गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में शिफ्ट करने का था. प्रोजेक्ट राइनो के तहत राज्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान राज्य वन्यजीव बोर्ड की तरफ से मंजूरी दी गई थी.

यही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री की तरफ से असम के मुख्यमंत्री से भी गैंडों को उत्तराखंड लाने के संबंध में बात की गई थी. इसके बाद असम सरकार की तरफ से भी इस पर हरी झंडी दे दी गई थी. दावा किया गया था कि 6 महीने के भीतर इनकी शिफ्टिंग कर दी जाएगी. लेकिन 2020 से अब तक 2 साल बीतने के बाद भी इस पर काम नहीं हो पाया.

हैरानी की बात यह है कि अब राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ही बंद करने की सहमति दे दी है. यानी अब उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में गैंडों को देखने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों को निराश होना होगा.
ये भी पढ़ेंः वन्यजीव प्रेमियों को गैंडा देखने के लिए करना होगा इंतजार, ठंडे बस्ते में 'राइनो प्रोजेक्ट'

12 गैंडों को करना था शिफ्टः असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से कुल 12 गैंडे लाए जाने थे. इनमें 4 नर और 8 मादा को लाया जाना था. उस दौरान कहा गया कि उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में पहले भी गैंडों की अच्छी-खासी संख्या थी. लेकिन बाद में किसी कारण से यह विलुप्त हो गई. इस प्रोजेक्ट में करीब 4 करोड़ रुपए की लागत अनुमानित की गई थी. अब बताया गया है कि इस मामले में एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की कुछ आपत्तियों और मानव वन्य जीव के संघर्ष की संभावना बढ़ने समेत इस प्रोजेक्ट पर लगने वाले खर्चे को देखते हुए राज्य सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पराग धकाते ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को तमाम वजहों से अब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. उसके पीछे वित्तीय कारणों के साथ ही तमाम दूसरी वजह भी शामिल हैं.

क्या है प्रोजेक्ट राइनो ? उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में देहरादून में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड (state wildlife board) की 14वीं बैठक में असम से 10 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के मुताबिक, कॉर्बेट नेशनल पार्क पहले भी गैंडे पाए जाते थे लेकिन अवैध शिकार से उनका सफाया हो गया था. ऐसे में उत्तराखंड में फिर से गैंडों को लाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है.

देहरादूनः उत्तराखंड में वन्यजीवों के कुनबे में नए सदस्यों को जोड़ने का प्रयास पूरी तरह फेल हो गया है. मामला प्रोजेक्ट राइनो का है, जिसमें कुल 12 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क शिफ्ट किया जाना था. लेकिन अब राज्य सरकार ने कुछ आपत्तियों के साथ इस प्रोजेक्ट का चैप्टर पूरी तरह से क्लोज करने का फैसला लिया है. जाहिर है कि राज्य में गैंडों का दीदार करने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह एक बड़ा झटका है.

ये है पूरा मामलाः उत्तराखंड की तत्कालीन त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान वन्यजीवों के कुनबे को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए. इसमें से एक प्रोजेक्ट गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में शिफ्ट करने का था. प्रोजेक्ट राइनो के तहत राज्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान राज्य वन्यजीव बोर्ड की तरफ से मंजूरी दी गई थी.

यही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री की तरफ से असम के मुख्यमंत्री से भी गैंडों को उत्तराखंड लाने के संबंध में बात की गई थी. इसके बाद असम सरकार की तरफ से भी इस पर हरी झंडी दे दी गई थी. दावा किया गया था कि 6 महीने के भीतर इनकी शिफ्टिंग कर दी जाएगी. लेकिन 2020 से अब तक 2 साल बीतने के बाद भी इस पर काम नहीं हो पाया.

हैरानी की बात यह है कि अब राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ही बंद करने की सहमति दे दी है. यानी अब उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में गैंडों को देखने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों को निराश होना होगा.
ये भी पढ़ेंः वन्यजीव प्रेमियों को गैंडा देखने के लिए करना होगा इंतजार, ठंडे बस्ते में 'राइनो प्रोजेक्ट'

12 गैंडों को करना था शिफ्टः असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से कुल 12 गैंडे लाए जाने थे. इनमें 4 नर और 8 मादा को लाया जाना था. उस दौरान कहा गया कि उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में पहले भी गैंडों की अच्छी-खासी संख्या थी. लेकिन बाद में किसी कारण से यह विलुप्त हो गई. इस प्रोजेक्ट में करीब 4 करोड़ रुपए की लागत अनुमानित की गई थी. अब बताया गया है कि इस मामले में एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की कुछ आपत्तियों और मानव वन्य जीव के संघर्ष की संभावना बढ़ने समेत इस प्रोजेक्ट पर लगने वाले खर्चे को देखते हुए राज्य सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पराग धकाते ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को तमाम वजहों से अब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. उसके पीछे वित्तीय कारणों के साथ ही तमाम दूसरी वजह भी शामिल हैं.

क्या है प्रोजेक्ट राइनो ? उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में देहरादून में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड (state wildlife board) की 14वीं बैठक में असम से 10 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के मुताबिक, कॉर्बेट नेशनल पार्क पहले भी गैंडे पाए जाते थे लेकिन अवैध शिकार से उनका सफाया हो गया था. ऐसे में उत्तराखंड में फिर से गैंडों को लाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है.

Last Updated : Jun 24, 2022, 6:15 PM IST
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