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600 करोड़ के घाटे से उबरने के लिए आबकारी विभाग का नया प्लान

प्रदेशभर की 247 लाइसेंसी शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिल सका है. इतनी भारी संख्या में देशी-विदेशी शराब की दुकान बिक्री न होने के चलते आबकारी विभाग को अब तक इस वित्तीय वर्ष का 600 करोड़ का घाटा हो चुका है.

शराब की दुकानें न बिकने से सरकार को 600 करोड़ का घाटा
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Published : May 3, 2019, 7:17 AM IST

देहरादून: राज्य बनने के 18 साल बाद पहली मर्तबा ऐसा हुआ है कि जब वित्तीय वर्ष के महीना भर से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद अब तक प्रदेशभर की 247 लाइसेंसी शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिल सका है. इतनी भारी संख्या में देशी-विदेशी शराब की दुकान बिक्री न होने के चलते आबकारी विभाग को अब तक इस वित्तीय वर्ष का 600 करोड़ का घाटा हो चुका है. जो आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकता है.


समय बीतने के साथ लगातार घाटे की रकम बढ़ने से आबकारी विभाग की नींद उड़ी हुई है. ऐसे में अब अपने सालाना राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने के दबाव में पूर्व वर्षों की भांति शराब बिक्री के लिए अब सरकार एजेंसियों का सहारा लेने की योजना बनाई जा रही है. आबकारी विभाग को सरकारी मंडी समितियों द्वारा शराब बिक्री करने में अतिरिक्त मैन पॉवर की जरूरत नहीं पड़ेगी, तो वहीं घाटे का राजस्व पूरा करने के साथ इस कार्य में पारदर्शिता भी आएगी. हालांकि यह फैसला भी चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद लिया जा सकता है.

शराब की दुकानें न बिकने से सरकार को 600 करोड़ का घाटा


सरकारी मंडी समितियों में शराब बिक्री से आएगी पारदर्शिता
प्रदेशभर में 619 दुकानों में से 247 शराब की दुकाने सेल आउट न होने के चलते अब वित्तीय वर्ष के घाटे से उबरने के लिए आबकारी विभाग विगत वर्ष 2015-16 की तर्ज पर बहुत ही जल्दी सरकारी मंडी समितियों के सहारे जिसमें गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम सहित वन निगम जैसे राज्य समिति के भरोसे शराब बेचने की तैयारी कर रही है.


नए वित्तीय वर्ष में अब तक के 600 करोड़ घाटे को कम करने के लिए अगर आबकारी विभाग सरकारी मंडी समितियों के द्वारा आगे के दिनों में शराब बिक्री करता है तो इसमें सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता के रूप में सामने आएगा, जिसमें अवैध शराब बिक्री से लेकर ओवर प्राइसिंग जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषय है.


इसके अलावा सरकारी मंडी समितियों द्वारा अगर सरकार शराब बिक्री करती हैं, तो ऐसे में सेल कंपटीशन के चलते शराब सिंडिकेट पर भी लगाम लग सकेगी. बची दुकानों के सेल आउट होने की उम्मीद न के बराबर है. विभागीय जानकारों की माने तो नए वित्तीय वर्ष में 3100 करोड़ का राजस्व लक्ष्य तय किया गया हैं. वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा इस नए वर्ष में लाइसेंसी दुकानों में 20 फीसदी बढ़ाए गए अतिरिक्त अधिभार (टैक्स) के चलते ही राज्यभर में अब तक 247 दुकाने सेल आउट होने दूर की कौड़ी माना जा रहा हैं. हालांकि इस मामले में आबकारी विभाग का साफ तौर पर कहना है कि भले ही दुकानें बंद करनी पड़े, लेकिन बढ़ाया गया अधिभार रेट (टैक्स) नहीं कम किये जायेंगे.


आबकारी विभाग के प्रदेशभर में देशी व विदेशी 247 दुकानें अब तक सेल आउट ना होने के संबंध में आबकारी आयुक्त दीपेंद्र चौधरी का मानना है कि आगामी दिनों में 10 से 15 दुकानें जल्दी सेल हो जाएंगी. उसके बाद अगर बाकी की दुकानें नहीं बिकती है तो विभाग इनके संचालन के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है. लेकिन किसी भी कीमत में वित्त वर्ष में बढ़ाए गए अधिभार रेट को कम नहीं किया जाएगा.

देहरादून: राज्य बनने के 18 साल बाद पहली मर्तबा ऐसा हुआ है कि जब वित्तीय वर्ष के महीना भर से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद अब तक प्रदेशभर की 247 लाइसेंसी शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिल सका है. इतनी भारी संख्या में देशी-विदेशी शराब की दुकान बिक्री न होने के चलते आबकारी विभाग को अब तक इस वित्तीय वर्ष का 600 करोड़ का घाटा हो चुका है. जो आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकता है.


समय बीतने के साथ लगातार घाटे की रकम बढ़ने से आबकारी विभाग की नींद उड़ी हुई है. ऐसे में अब अपने सालाना राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने के दबाव में पूर्व वर्षों की भांति शराब बिक्री के लिए अब सरकार एजेंसियों का सहारा लेने की योजना बनाई जा रही है. आबकारी विभाग को सरकारी मंडी समितियों द्वारा शराब बिक्री करने में अतिरिक्त मैन पॉवर की जरूरत नहीं पड़ेगी, तो वहीं घाटे का राजस्व पूरा करने के साथ इस कार्य में पारदर्शिता भी आएगी. हालांकि यह फैसला भी चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद लिया जा सकता है.

शराब की दुकानें न बिकने से सरकार को 600 करोड़ का घाटा


सरकारी मंडी समितियों में शराब बिक्री से आएगी पारदर्शिता
प्रदेशभर में 619 दुकानों में से 247 शराब की दुकाने सेल आउट न होने के चलते अब वित्तीय वर्ष के घाटे से उबरने के लिए आबकारी विभाग विगत वर्ष 2015-16 की तर्ज पर बहुत ही जल्दी सरकारी मंडी समितियों के सहारे जिसमें गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम सहित वन निगम जैसे राज्य समिति के भरोसे शराब बेचने की तैयारी कर रही है.


नए वित्तीय वर्ष में अब तक के 600 करोड़ घाटे को कम करने के लिए अगर आबकारी विभाग सरकारी मंडी समितियों के द्वारा आगे के दिनों में शराब बिक्री करता है तो इसमें सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता के रूप में सामने आएगा, जिसमें अवैध शराब बिक्री से लेकर ओवर प्राइसिंग जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषय है.


इसके अलावा सरकारी मंडी समितियों द्वारा अगर सरकार शराब बिक्री करती हैं, तो ऐसे में सेल कंपटीशन के चलते शराब सिंडिकेट पर भी लगाम लग सकेगी. बची दुकानों के सेल आउट होने की उम्मीद न के बराबर है. विभागीय जानकारों की माने तो नए वित्तीय वर्ष में 3100 करोड़ का राजस्व लक्ष्य तय किया गया हैं. वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा इस नए वर्ष में लाइसेंसी दुकानों में 20 फीसदी बढ़ाए गए अतिरिक्त अधिभार (टैक्स) के चलते ही राज्यभर में अब तक 247 दुकाने सेल आउट होने दूर की कौड़ी माना जा रहा हैं. हालांकि इस मामले में आबकारी विभाग का साफ तौर पर कहना है कि भले ही दुकानें बंद करनी पड़े, लेकिन बढ़ाया गया अधिभार रेट (टैक्स) नहीं कम किये जायेंगे.


आबकारी विभाग के प्रदेशभर में देशी व विदेशी 247 दुकानें अब तक सेल आउट ना होने के संबंध में आबकारी आयुक्त दीपेंद्र चौधरी का मानना है कि आगामी दिनों में 10 से 15 दुकानें जल्दी सेल हो जाएंगी. उसके बाद अगर बाकी की दुकानें नहीं बिकती है तो विभाग इनके संचालन के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है. लेकिन किसी भी कीमत में वित्त वर्ष में बढ़ाए गए अधिभार रेट को कम नहीं किया जाएगा.

Intro:pls नोट-इस स्टोरी में PTC FTP से भेजी गई हैं फोल्डर-Aabkari PTC 247 दुकाने ना बिकने में से अब तक 600 करोड़ का घाटा देहरादून राज्य बनने के 18 साल बाद एक पहली मर्तबा हुआ है जब वित्तीय वर्ष के महीना भर से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद अब तक प्रदेशभर की 247 लाइसेंसी शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिल सका है। इतनी भारी संख्या में देशी-विदेशी शराब की दुकान बिक्री ना होने के चलते आपकारी विभाग को अब तक इस वित्तीय वर्ष का 600 करोड़ का घाटा हो चुका है। जो आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकता है। समय बीतने के साथ लगातार घाटे की रकम बढ़ने से आबकारी विभाग की नींद उड़ी हुई है,ऐसे में अब अपने सालाना राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने के दबाव में पूर्व वर्षों की भांति शराब बिक्री के लिए अब सरकारी एजेंसियों का सहारा लेने की योजना बनाई जा रही है। आपकारी विभाग को सरकारी मंडी समितियों द्वारा शराब बिक्री करने में किसी अतिरिक्त मैन पावर की जरूरत नहीं पड़ेगी,तो वहीं घाटे का राजस्व पूरा करने के साथ इस कार्य में पारदर्शिता भी आएगी। हालांकि यह फैसला भी चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद ही लिया जा सकता है।


Body:सरकारी मंडी समितियों में शराब बिक्री से आएगी -पारदर्शिता प्रदेशभर में 619 दुकानों में से 247 शराब की दुकाने सेल आउट ना होने के चलते अब वित्तीय वर्ष के घाटे से उबरने के लिए आबकारी विभाग विगत वर्ष 2015-26 की तर्ज पर बहुत ही जल्दी सरकारी मंडी समितियों के सहारे जिसमें गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम सहित वन निगम जैसे राज्य समिति के भरोसे शराब बेचने की तैयारी कर रही है। नए वित्तीय वर्ष में अब तक के 600 करोड़ घाटे को कम करने के लिए अगर आपकारी विभाग सरकारी मंडी समितियों के द्वारा आगे के दिनों मेवशराब बिक्री करता है तो इसमें सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता के रूप में सामने आएगा जिसमें अवैध शराब बिक्री से लेकर ओवर प्राइसिंग जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषय है। इसके अलावा सरकारी मंडी समितियों द्वारा अगर सरकार शराब बिक्री करती हैं तो, ऐसे में सेल कंपटीशन के चलते शराब सिंडिकेट पर भी लगाम लग सकेगी. बची दुकानों के सेल आउट होने की उम्मीद ना के बराबर विभागीय जानकारों की माने तो नए वित्तीय वर्ष में 3100 करोड़ का राजस्व लक्ष्य तय किया गया हैं वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा इस नए वर्ष में लाइसेंसी दुकानों में 20 फ़ीसदी बढ़ाए गए अतिरिक्त अधिभार (टैक्स) के चलते ही राज्यभर में अब तक 247 दुकाने सेल आउट होने दूर की कौड़ी माना जा रहा हैं, ऐसे में यह भी बताया जा रहा है कि बाज़ार के सक्रिय शराब सिंडिकेट इस बात का इंतजार कर रहा है कि घाटे को देखते हुए सरकार कब अपने अधिकार रेट कम करें ताकि वह दुकानों को ले सके। हालांकि इस मामले में आबकारी विभाग का साफ तौर पर कहना है कि भले ही दुकानें बंद करनी पड़े लेकिन बढ़ाया गया अधिभार रेट (टैक्स) नहीं कम किये जायेंगे।


Conclusion:राज्य बनने के 18 साल में पहली बार शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिला राज्य बनने के 18 साल बाद यह पहली दफा हुआ है जब राज्य में शराब की दुकानों को खरीदने के लिए जहां मारामारी होती थी वह बात इस नए वित्तीय वर्ष में देखने को नहीं मिल रही हैं। हालांकि इस ने वित्त वर्ष में ई टेंडरिंग व्यवस्था समय समाप्त होने के बाद पहले आओ पहले पाओ जैसी व्यवस्था लागू करने के बाद भी आबकारी विभाग भारी संख्या में दुकानों को सेल आउट नहीं कर पा रहा है ऐसे में इस बात की कम ही उम्मीद है कि बाकी बची 247 दुकाने सेल आउट हो पाएंगे या नहीं। दुकाने ना बिकने की दशा में अन्य विकल्प पर किया जा रहा है विचार: आबकारी विभाग उधर प्रदेशभर में देसी व विदेशी 247 दुकाने अब तक सेल आउट ना होने के संबंध में आबकारी आयुक्त दीपेंद्र चौधरी का मानना है कि आगामी दिनों में 10 से 15 दुकानें जल्दी सेल हो जाएंगे। उसके बाद अगर बाकी की दुकाने नहीं बिकती है तो विभाग इनके संचालन के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। लेकिन किसी भी कीमत में वित्त वर्ष में बढ़ाए गए अधिभार रेट को कम नहीं किया जाएगा। PTC
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