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हरकी पैड़ी पर बहेगी गंगा की अविरल धारा, शासनादेश से हटेगा 'स्कैप चैनल' शब्द

त्रिवेंद्र सरकार पूर्व की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के फैसले को बदलने की तैयारी में जुटी हुई है. सरकार जल्द ही शासनादेश जारी कर स्कैप चैनल शब्द को हटा देगी. त्रिवेंद्र सरकार के फैसले से उत्तराखंड के संतों ने खुशी जताई है.

Ganga will get river status
हरकी पैड़ी पर गंगा को मिलेगा 'नदी' का दर्जा
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Published : Jul 24, 2020, 6:31 PM IST

Updated : Jul 24, 2020, 7:24 PM IST

देहरादून: हरिद्वार में गंगा स्कैप चैनल के मामले में त्रिवेंद्र सरकार पूर्व की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के फैसले को बदलने की तैयारी में जुटी हुई है. शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उत्तराखंड विधानसभा में सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी और आवास विकास के अधिकारियों के साथ मीटिंग की. साथ ही गंगा के नाम से जुड़ा स्कैप चैनल हटाने को लेकर चर्चा की. बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने फैसला लिया है कि हरकी पैड़ी पर बहने वाली पतित पावनी मां गंगा की धारा अविरल है और शासनदेश से गंगा के नाम के आगे से जुड़ा स्कैप चैनल शब्द हटाया जाएगा.

हरकी पैड़ी पर गंगा को मिलेगा 'नदी' का दर्जा.

मदन कौशिक ने कहा कि स्कैप चैनल से जुड़े शासनादेश को तीन अलग-अलग चरणों में बदला जाएगा. पहले चरण में यह साबित किया गया है कि हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा पौराणिक काल से महत्व रखती हैं और इसके तमाम दस्तावेज भी संकलित किए गए हैं.

दूसरे चरण में पूर्व के शासनादेश को निरस्त करने और न्यायालय के साथ-साथ एनजीटी के मानकों को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा. इस दौरान हरकी पैड़ी और आसपास के इलाकों में किसी तरह की कोई तकनीकी समस्या के चलते शासनादेश को बदलने में कोई परेशानी आती है तो सरकार कानून बदलने पर भी विचार करेगी.

ये भी पढ़ें: कुंभ, कोरोना और 'हिफाजत', उत्तराखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती

दूसरी तरफ त्रिवेंद्र सरकार के फैसले का संतों ने स्वागत किया है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि सरकार द्वारा गंगा गंगत्व को लेकर किए गए इस फैसले से संत समाज काफी उत्साह है. जैसे ही पुराने शासनादेश को निरस्त करते हुए नया शासनादेश जारी किया जाता है. संत समाज हरकी पैड़ी पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन करेगा.

क्या है स्कैप चैनल विवाद

एनजीटी ने गंगा से 200 मीटर की दूरी पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है. जिसके बाद तत्कालीन हरीश सरकार ने 2015 में शासनादेश जारी करते हुए हरकी पैड़ी पर गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने निर्माणाधीन होटल, धर्मशाला और दूसरे प्रोजेक्ट को पूरे करवाने के लिए ही यह शासनादेश जारी किया था. हरीश सरकार के इस फैसले का हर जगह विरोध हुआ था.

देहरादून: हरिद्वार में गंगा स्कैप चैनल के मामले में त्रिवेंद्र सरकार पूर्व की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के फैसले को बदलने की तैयारी में जुटी हुई है. शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उत्तराखंड विधानसभा में सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी और आवास विकास के अधिकारियों के साथ मीटिंग की. साथ ही गंगा के नाम से जुड़ा स्कैप चैनल हटाने को लेकर चर्चा की. बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने फैसला लिया है कि हरकी पैड़ी पर बहने वाली पतित पावनी मां गंगा की धारा अविरल है और शासनदेश से गंगा के नाम के आगे से जुड़ा स्कैप चैनल शब्द हटाया जाएगा.

हरकी पैड़ी पर गंगा को मिलेगा 'नदी' का दर्जा.

मदन कौशिक ने कहा कि स्कैप चैनल से जुड़े शासनादेश को तीन अलग-अलग चरणों में बदला जाएगा. पहले चरण में यह साबित किया गया है कि हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा पौराणिक काल से महत्व रखती हैं और इसके तमाम दस्तावेज भी संकलित किए गए हैं.

दूसरे चरण में पूर्व के शासनादेश को निरस्त करने और न्यायालय के साथ-साथ एनजीटी के मानकों को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा. इस दौरान हरकी पैड़ी और आसपास के इलाकों में किसी तरह की कोई तकनीकी समस्या के चलते शासनादेश को बदलने में कोई परेशानी आती है तो सरकार कानून बदलने पर भी विचार करेगी.

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दूसरी तरफ त्रिवेंद्र सरकार के फैसले का संतों ने स्वागत किया है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि सरकार द्वारा गंगा गंगत्व को लेकर किए गए इस फैसले से संत समाज काफी उत्साह है. जैसे ही पुराने शासनादेश को निरस्त करते हुए नया शासनादेश जारी किया जाता है. संत समाज हरकी पैड़ी पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन करेगा.

क्या है स्कैप चैनल विवाद

एनजीटी ने गंगा से 200 मीटर की दूरी पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है. जिसके बाद तत्कालीन हरीश सरकार ने 2015 में शासनादेश जारी करते हुए हरकी पैड़ी पर गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने निर्माणाधीन होटल, धर्मशाला और दूसरे प्रोजेक्ट को पूरे करवाने के लिए ही यह शासनादेश जारी किया था. हरीश सरकार के इस फैसले का हर जगह विरोध हुआ था.

Last Updated : Jul 24, 2020, 7:24 PM IST
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