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हरदा का हर सुझाव मान रही सरकार, ये दोस्ती है या राजनीतिक डर? - Uttarakhand BJP Congress News

राजनीतिक रूप से एक-दूसरे की धुर विरोधी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अक्सर विभिन्न मुद्दों को लेकर आमने-सामने दिखाई देती हैं. लेकिन इस बार चर्चा त्रिवेंद्र सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सुझाव और बयानों को गंभीरता से लेने की है. अब राजनीतिक रूप से त्रिवेंद्र सरकार के इस नए रूप को हरीश रावत का डर कहें या दोस्ती यह समझना मुश्किल है.

Uttarakhand Politics News
हरदा और सरकार की दोस्ती
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Published : Jan 9, 2021, 7:52 PM IST

Updated : Jan 10, 2021, 4:28 PM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जब भी कोई बयान देते हैं या ट्वीट करते हैं उस पर सरकार का रिएक्शन देना तो बनता ही है. लेकिन अब सरकार का नजरिया बदलता दिख रहा है. राज्य में अब हरीश रावत कोई ट्वीट करते हैं तो उसके बाद त्रिवेंद्र सरकार फौरन उस पर काम शुरू कर देती है. हालांकि विपक्ष पर उत्तराखंड में मित्र विपक्ष का आरोप लगता रहा है, लेकिन इस बार यह त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरीश रावत की मित्रता है या चुनाव से पहले त्रिवेंद्र सरकार का खांटी के राजनीतिज्ञ हरदा से डर, यह समझने की कोशिश में तमाम राजनीतिक विश्लेषक जुटे हुए हैं. हालांकि कांग्रेस हरीश रावत के बयानों पर त्रिवेंद्र सरकार के रोल बैक को हरदा का डर ही बता रही है.

हरदा का हर सुझाव मान रही सरकार.

अब उन मामलों को भी जानिए जिनके बाद हरीश रावत की प्रतिक्रिया पर सरकार ने फौरन एक्शन लिया.

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हरदा का हर सुझाव मान रही सरकार

नर्सिंग भर्ती के नियम बदले

हरीश रावत द्वारा नर्सिंग भर्ती को लेकर नियमों पर सवाल खड़े करने के बाद फौरन त्रिवेंद्र सरकार ने रोलबैक किया. नर्सिंग में नियमों को शिथिल करने का निर्णय लिया. खास बात यह है कि इसके बाद हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए बकायदा मुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया.

रोजगार के मुद्दे पर सवाल उठाया

दूसरा मामला हरीश रावत द्वारा त्रिवेंद्र सरकार पर रोजगार को लेकर लगाए गए आरोपों से जुड़ा है. हरीश रावत ने जिस तरह लगातार त्रिवेंद्र सरकार पर भर्तियों को लेकर झूठे बयान देने के आरोप लगाए इसके बाद फौरन सरकार ने शासन के अधिकारियों को रोजगार से संबंधित निर्देश दिए. अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में सभी आयोगों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया और भर्तियों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए.

ये भी पढ़िए: 2022 विधान सभा चुनाव: क्या बिना चेहरे के मैदान में उतरेंगी पार्टियां ? जानिए इसका मिथक

भगत की बयान पर सीएम ने मांगी माफी

बंशीधर भगत ने नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया तो फौरन हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस की नेत्री पर बंशीधर भगत के बयान को महिलाओं का अपमान बताया. इसकी जमकर आलोचना की. इसके बाद फौरन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से भी ट्वीट करते हुए माफी मांगी गई. जो कि उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह का पहला मामला है.

गैरसैंण में मनाया राज्य स्थापना दिवस

इससे पहले भी त्रिवेंद्र सरकार हरीश रावत को फॉलो करती हुई दिखाई दी है. हरीश रावत का गैरसैण को लेकर बयान देने के बाद मुख्यमंत्री का स्थापना दिवस गैरसैंण में मनाने का मामला हो या फिर किसानों का मुद्दा उठाने पर फौरन अधिकारियों को किसानों के बकाया भुगतान को पूरा करने का मामला तमाम जगहों पर हरीश रावत के बयान सरकार के लिए बड़े सुझाव बनते दिखाई दिए हैं. यही नहीं अधिकतर मामलों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद भी हरीश रावत के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते हुए ही नजर आए हैं.

ये भी पढ़िए: कुमाऊं दौरे पर कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, मिशन 2022 को लेकर भरी हुंकार

जिन मामलों को लेकर त्रिवेंद्र सरकार, हरीश रावत के दबाव में दिखाई दी है उन पर भाजपा सफाई देते हुए कहती है कि यदि भाजपा सरकार की तरफ से कुछ सही करने के लिए फैसले लिए गए हैं तो वह भाजपा का ही बड़प्पन है. इसे हरीश रावत का दबाव या डर बिल्कुल भी नहीं कहा जाना चाहिए.

हरीश रावत उत्तराखंड में सबसे अनुभवी चेहरों में शुमार हैं. राजनीतिक रूप से हरदा के बयान सरकार को परेशान भी करते रहे हैं. लेकिन जिस तरह सरकार ने अब हरीश रावत के बयानों को सुझाव के रूप में लेकर उन पर रोलबैक करना शुरू किया है, उससे साफ है कि या तो यह सत्ता और विपक्ष के बीच की मित्रता है. या फिर उस अनुभवी नेता का डर जो उत्तराखंड में उत्तरकाशी से नैनीताल तक राजनीतिक रूप से पग पग नाप चुका है.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जब भी कोई बयान देते हैं या ट्वीट करते हैं उस पर सरकार का रिएक्शन देना तो बनता ही है. लेकिन अब सरकार का नजरिया बदलता दिख रहा है. राज्य में अब हरीश रावत कोई ट्वीट करते हैं तो उसके बाद त्रिवेंद्र सरकार फौरन उस पर काम शुरू कर देती है. हालांकि विपक्ष पर उत्तराखंड में मित्र विपक्ष का आरोप लगता रहा है, लेकिन इस बार यह त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरीश रावत की मित्रता है या चुनाव से पहले त्रिवेंद्र सरकार का खांटी के राजनीतिज्ञ हरदा से डर, यह समझने की कोशिश में तमाम राजनीतिक विश्लेषक जुटे हुए हैं. हालांकि कांग्रेस हरीश रावत के बयानों पर त्रिवेंद्र सरकार के रोल बैक को हरदा का डर ही बता रही है.

हरदा का हर सुझाव मान रही सरकार.

अब उन मामलों को भी जानिए जिनके बाद हरीश रावत की प्रतिक्रिया पर सरकार ने फौरन एक्शन लिया.

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हरदा का हर सुझाव मान रही सरकार

नर्सिंग भर्ती के नियम बदले

हरीश रावत द्वारा नर्सिंग भर्ती को लेकर नियमों पर सवाल खड़े करने के बाद फौरन त्रिवेंद्र सरकार ने रोलबैक किया. नर्सिंग में नियमों को शिथिल करने का निर्णय लिया. खास बात यह है कि इसके बाद हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए बकायदा मुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया.

रोजगार के मुद्दे पर सवाल उठाया

दूसरा मामला हरीश रावत द्वारा त्रिवेंद्र सरकार पर रोजगार को लेकर लगाए गए आरोपों से जुड़ा है. हरीश रावत ने जिस तरह लगातार त्रिवेंद्र सरकार पर भर्तियों को लेकर झूठे बयान देने के आरोप लगाए इसके बाद फौरन सरकार ने शासन के अधिकारियों को रोजगार से संबंधित निर्देश दिए. अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में सभी आयोगों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया और भर्तियों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए.

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भगत की बयान पर सीएम ने मांगी माफी

बंशीधर भगत ने नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया तो फौरन हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस की नेत्री पर बंशीधर भगत के बयान को महिलाओं का अपमान बताया. इसकी जमकर आलोचना की. इसके बाद फौरन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से भी ट्वीट करते हुए माफी मांगी गई. जो कि उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह का पहला मामला है.

गैरसैंण में मनाया राज्य स्थापना दिवस

इससे पहले भी त्रिवेंद्र सरकार हरीश रावत को फॉलो करती हुई दिखाई दी है. हरीश रावत का गैरसैण को लेकर बयान देने के बाद मुख्यमंत्री का स्थापना दिवस गैरसैंण में मनाने का मामला हो या फिर किसानों का मुद्दा उठाने पर फौरन अधिकारियों को किसानों के बकाया भुगतान को पूरा करने का मामला तमाम जगहों पर हरीश रावत के बयान सरकार के लिए बड़े सुझाव बनते दिखाई दिए हैं. यही नहीं अधिकतर मामलों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद भी हरीश रावत के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते हुए ही नजर आए हैं.

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जिन मामलों को लेकर त्रिवेंद्र सरकार, हरीश रावत के दबाव में दिखाई दी है उन पर भाजपा सफाई देते हुए कहती है कि यदि भाजपा सरकार की तरफ से कुछ सही करने के लिए फैसले लिए गए हैं तो वह भाजपा का ही बड़प्पन है. इसे हरीश रावत का दबाव या डर बिल्कुल भी नहीं कहा जाना चाहिए.

हरीश रावत उत्तराखंड में सबसे अनुभवी चेहरों में शुमार हैं. राजनीतिक रूप से हरदा के बयान सरकार को परेशान भी करते रहे हैं. लेकिन जिस तरह सरकार ने अब हरीश रावत के बयानों को सुझाव के रूप में लेकर उन पर रोलबैक करना शुरू किया है, उससे साफ है कि या तो यह सत्ता और विपक्ष के बीच की मित्रता है. या फिर उस अनुभवी नेता का डर जो उत्तराखंड में उत्तरकाशी से नैनीताल तक राजनीतिक रूप से पग पग नाप चुका है.

Last Updated : Jan 10, 2021, 4:28 PM IST
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