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उत्तराखंड में चारा विकास नीति लाने पर विचार, पशुपालकों को प्रोत्साहित करने की तैयारी - उत्तराखंड ताजा समाचार टुडे

उत्तराखंड में पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए पशुपालन विभाग चारा विकास नीति लाने की तैयारी कर रहा है. नई नीति के जरिए दूसरे राज्यों पर प्रदेश की चारे को लेकर निर्भरता को खत्म करने की कोशिश की जाएगी. जल्द की इसका मसौदा तैयार कर कैबिनेट में लाया जाएगा.

चारा विकास नीति
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Published : Jul 6, 2022, 8:03 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड जल्द ही चारा विकास नीति लाने की तैयारी में जुटा हुआ है. प्रदेश में यह नीति पशुपालकों को आसानी से चारा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत लाई जा रही है. हाल ही में प्रदेश में चारे की भारी कमी हुई थी, ऐसे में पशुपालकों को भविष्य में चारे से संबंधित किसी तरह की परेशानी न हो, इसी को ध्यान में रखते हुए चारा विकास नीति पर काम किया जा रहा है.

उत्तराखंड में पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए पशुपालन विभाग चारा नीति लाने की तैयारी कर रहा है. इस नीति में पशुओं और पशुपालकों के हितों से जुड़े विषयों को शामिल किया जाएगा. खास बात यह है कि चारे की उपलब्धता के लिए पशुपालकों को भी चारे से जुड़े वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालक चारा वृक्ष लगाकर प्रति पेड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन धनराशि भी ले सकेंगे. सब कुछ ठीक रहा है तो जल्द ही इस नीति को कैबिनेट में लाया जाएगा और मंजूरी पर विचार होगा.

उत्तराखंड में चारा विकास नीति लाने पर विचार.

दूसरे राज्यों पर खत्म होगी निर्भरता: नई नीति के जरिए दूसरे राज्यों पर प्रदेश की चारे को लेकर निर्भरता को खत्म करने की कोशिश की जाएगी. इस दौरान आम लोगों से भी सुझाव लिए जाएंगे. अभी पशुपालन विभाग ने इस पूरी योजना की रूपरेखा को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भी अपलोड किया है, जिसमें किसान अपनी फीडबैक भी दे सकते हैं.
पढ़ें- बागेश्वर के लाल ने बनाई 'जुगाड़ वाली जेसीबी', लोग बोले- 'ये है परफेक्ट इनोवेशन'

किसानों से राय लेगे मंत्री बहुगुणा: साथ ही मंत्री बहुगुणा ने कहा है कि वे किसानों से इसको लेकर संवाद भी करेंगे और उनकी राय जानेंगे. जिलों सीडीओ किसानों को इस नीति के बारे में बताने का काम करेंगे. वैसे तो राज्य चारे को लेकर दूसरे प्रदेशों पर निर्भर रहता है, लेकिन सरकार इस नीति के जरिए राज्य में चारा बैंक तैयार करने की भी कोशिश करेगी. इस नीति में चारा बैंक को लेकर विशेष रूप से जगह रहेगी.

चारा बैंकों की स्थापना: फिलहाल प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चारा बैंकों को भी स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा श्रीनगर, चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चंपावत में चारा वितरण बैंक बनाये जाने की भी योजना है. ताकि कॉम्पैक्ट फीड ब्लॉक और साइलेज को हेली सेवा के माध्यम से भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक बिना रुकावट के पहुंचाया जा सके.

परिवहन पर अनुदान दिया जाएगा: कॉम्पैक्ट फीड और साइलेज के परिवहन पर अनुदान दिया जाएगा. राज्य में दुग्ध उत्पादकों को चार रुपये प्रति किलोग्राम कैटल फीड क्रय पर अनुदान भी दिया जाएगा. चारा नीति के तहत से पशुपालन एवं चारा उत्पादक संगठनों को फसलों की प्रमाणित बीज निशुल्क भी उपलब्ध कराने होंगे. चारा उत्पादन पर 10 हजार रुपए प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि भी सरकार देगी. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को 75% और मैदानी क्षेत्रों को 25% अनुदान भी दिया जाएगा.
पढ़ें- देहरादून: स्टार्ट अप ग्रैंड चैलेंज के विजेताओं को CM ने किया सम्मानित

244 करोड़ का निवेश: पूरी योजना के तहत उत्तराखंड सरकार सभी पशुपालकों के विकास हेतु 244 करोड़ के निवेश को राज्य पशुधन मिशन के तहत करने जा रही है. यह योजना अगले 5 वर्षों में उत्तराखंड राज्य के पशुधन में लगभग 4,08,500 पालतू मवेशियों सहित 9,768 उद्यमियों को रोजगार भी देगी. इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चारा आपूर्ति हेतु श्रीनगर गढ़वाल, चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चंपावत में चार चारा वितरण बैंकों की स्थापना भी की जाएगी. साथ ही सितारगंज और कोटद्वार में 1000 मीटर टन क्षमता वाले कॉपैक्ट फीट ब्लॉक निर्माण की स्थापना भी की जाएगी. पूरी नीति बनने के बाद जल्द ही इस योजना को आगामी कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड जल्द ही चारा विकास नीति लाने की तैयारी में जुटा हुआ है. प्रदेश में यह नीति पशुपालकों को आसानी से चारा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत लाई जा रही है. हाल ही में प्रदेश में चारे की भारी कमी हुई थी, ऐसे में पशुपालकों को भविष्य में चारे से संबंधित किसी तरह की परेशानी न हो, इसी को ध्यान में रखते हुए चारा विकास नीति पर काम किया जा रहा है.

उत्तराखंड में पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए पशुपालन विभाग चारा नीति लाने की तैयारी कर रहा है. इस नीति में पशुओं और पशुपालकों के हितों से जुड़े विषयों को शामिल किया जाएगा. खास बात यह है कि चारे की उपलब्धता के लिए पशुपालकों को भी चारे से जुड़े वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालक चारा वृक्ष लगाकर प्रति पेड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन धनराशि भी ले सकेंगे. सब कुछ ठीक रहा है तो जल्द ही इस नीति को कैबिनेट में लाया जाएगा और मंजूरी पर विचार होगा.

उत्तराखंड में चारा विकास नीति लाने पर विचार.

दूसरे राज्यों पर खत्म होगी निर्भरता: नई नीति के जरिए दूसरे राज्यों पर प्रदेश की चारे को लेकर निर्भरता को खत्म करने की कोशिश की जाएगी. इस दौरान आम लोगों से भी सुझाव लिए जाएंगे. अभी पशुपालन विभाग ने इस पूरी योजना की रूपरेखा को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भी अपलोड किया है, जिसमें किसान अपनी फीडबैक भी दे सकते हैं.
पढ़ें- बागेश्वर के लाल ने बनाई 'जुगाड़ वाली जेसीबी', लोग बोले- 'ये है परफेक्ट इनोवेशन'

किसानों से राय लेगे मंत्री बहुगुणा: साथ ही मंत्री बहुगुणा ने कहा है कि वे किसानों से इसको लेकर संवाद भी करेंगे और उनकी राय जानेंगे. जिलों सीडीओ किसानों को इस नीति के बारे में बताने का काम करेंगे. वैसे तो राज्य चारे को लेकर दूसरे प्रदेशों पर निर्भर रहता है, लेकिन सरकार इस नीति के जरिए राज्य में चारा बैंक तैयार करने की भी कोशिश करेगी. इस नीति में चारा बैंक को लेकर विशेष रूप से जगह रहेगी.

चारा बैंकों की स्थापना: फिलहाल प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चारा बैंकों को भी स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा श्रीनगर, चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चंपावत में चारा वितरण बैंक बनाये जाने की भी योजना है. ताकि कॉम्पैक्ट फीड ब्लॉक और साइलेज को हेली सेवा के माध्यम से भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक बिना रुकावट के पहुंचाया जा सके.

परिवहन पर अनुदान दिया जाएगा: कॉम्पैक्ट फीड और साइलेज के परिवहन पर अनुदान दिया जाएगा. राज्य में दुग्ध उत्पादकों को चार रुपये प्रति किलोग्राम कैटल फीड क्रय पर अनुदान भी दिया जाएगा. चारा नीति के तहत से पशुपालन एवं चारा उत्पादक संगठनों को फसलों की प्रमाणित बीज निशुल्क भी उपलब्ध कराने होंगे. चारा उत्पादन पर 10 हजार रुपए प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि भी सरकार देगी. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को 75% और मैदानी क्षेत्रों को 25% अनुदान भी दिया जाएगा.
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244 करोड़ का निवेश: पूरी योजना के तहत उत्तराखंड सरकार सभी पशुपालकों के विकास हेतु 244 करोड़ के निवेश को राज्य पशुधन मिशन के तहत करने जा रही है. यह योजना अगले 5 वर्षों में उत्तराखंड राज्य के पशुधन में लगभग 4,08,500 पालतू मवेशियों सहित 9,768 उद्यमियों को रोजगार भी देगी. इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चारा आपूर्ति हेतु श्रीनगर गढ़वाल, चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चंपावत में चार चारा वितरण बैंकों की स्थापना भी की जाएगी. साथ ही सितारगंज और कोटद्वार में 1000 मीटर टन क्षमता वाले कॉपैक्ट फीट ब्लॉक निर्माण की स्थापना भी की जाएगी. पूरी नीति बनने के बाद जल्द ही इस योजना को आगामी कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा.

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