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आय से अधिक संपत्ति मामले में IAS रामविलास यादव सस्पेंड, रिटायरमेंट से पहले लटकी गिरफ्तारी की तलवार - रामविलास यादव को धामी सरकार ने सस्पेंड कर दिया

आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे उत्तराखंड के आईएएस रामविलास यादव की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. बुधवार को विजिलेंस विभाग के अधिकारियों ने उनसे घंटों पूछताछ की. इसके बाद शासन ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. 30 जून को वो रिटायर होने वाले हैं मगर कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है.

IAS Ramvilas Yadav
रामविलास यादव सस्पेंड
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Published : Jun 22, 2022, 7:50 PM IST

Updated : Jun 22, 2022, 8:12 PM IST

देहरादून: आय से अधिक संपत्ति मामले में आईएएस रामविलास यादव को धामी सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. वहीं, रिटायरमेंट से पहले ही उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है. हाईकोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए यादव ने याचिका दायर की है, लेकिन विजिलेंस परत दर परत तहकीकात कर रही है, जिससे उनके काले कारनामों का बड़ा खुलासा हो सकता है.

विजिलेंस टीम ने 4 ठिकानों पर मारा था छापा: हाल ही के दिनों में विजिलेंस ने उनके ठिकानों पर छापा मारा था. देहरादून, लखनऊ के साथ कुल 4 स्थानों पर बड़ी छापेमारी की कार्रवाई की गई थी, जिसमें आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई दस्तावेज भी बरामद हुए थे. विजिलेंस सूत्रों का कहना है कि देहरादून में आय से अधिक संपत्ति मामले में कई अहम कागजात भी बरामद हुए हैं, जिसमें फ्लैट के कागज भी शामिल हैं. इसी तरह से गाजियाबाद के फ्लैट के कागजात भी बरामद हुए हैं. विजिलेंस की जांच में उसकी कीमत तकरीबन 15 करोड़ बताई जा रही है.
पढ़ें- आय से अधिक संपत्ति मामला: विजिलेंस के सामने पेश हुए IAS रामविलास यादव, कोर्ट से लगी थी फटकार

इसी क्रम में यादव आखिरकार कोर्ट के निर्देश पर आज (22 जून को) विजिलेंस के ऑफिस पूछताछ के लिए पहुंचे थे. IAS रामविलास यादव के अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने बताया कि, कोर्ट के आदेश अनुसार यादव विजिलेंस जांच में सहयोग के लिए पहुंचे हैं. उन्हें कई दस्तावेज लेकर यहां बुलाया गया था, जिसको जांच के सहयोग में लाया जाएगा. अधिवक्ता शर्मा ने कहा कि रामविलास पर लगाए गए आरोप किस आधार पर जांच के दायरे में आए ये बड़ा सवाल है. विजिलेंस को जिस भी दस्तावेजों में जांच चाहिए उसका पूरा सहयोग किया जाएगा और हर दस्तावेज और जांच का जवाब कोर्ट में उपलब्ध कराया जाएगा.

30 जून को हो रहे हैं रिटायर: आईएएस रामविलास यादव उत्तराखंड शासन में अपर सचिव समाज कल्याण के पद पर कार्यरत हैं और 30 जून को रिटायर होने वाले हैं. मगर रिटायरमेंट के पहले गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है. क्योंकि जिस तरह से विजिलेंस परत दर परत उनके काले कारनामों की तहकीकात कर रही है, ऐसे में आने वाले दिनों में उनकी आय से अधिक संपत्तियों के मामले का बड़ा खुलासा हो सकता है. बता दें कि इसी साल अप्रैल के महीने में विजिलेंस ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी. जिसके तहत जांच चल रही है. शासन ने उनके खिलाफ पहले ओपन जांच कराई थी. जिसमें आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था. जिसके आधार पर उनके खिलाफ विजिलेंस ने काम करना शुरू किया है.
पढ़ें- IAS रामविलास यादव के ठिकानों पर उत्तराखंड विजिलेंस की छापेमारी, आय से अधिक संपत्ति का है मामला

सपा सरकार के करीबी थे रामविलास: रामविलास लखनऊ विकास प्राधिकरण में लंबे समय तक तैनात रहे थे. उसके बाद एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं. रामविलास सपा सरकार के बेहद करीबी अधिकारी थे, लेकिन यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद साल 2019 में वो यूपी से उत्तराखंड चले आए थे.

आईएएस राम विलास यादव पर यूपी में लखनऊ विकास प्राधिकरण का सचिव रहते हुए आय से 500 गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर उत्तराखंड शासन ने 9 जनवरी 2019 को उनके खिलाफ विजिलेंस में खुली जांच के आदेश दिए थे. यूपी की ओर से उत्तराखंड को सौंपे गए तमाम दस्तावेजों के आधार पर यादव के खिलाफ उत्तराखंड में भी विजिलेंस विभाग ने रिपोर्ट दर्ज की थी.

देहरादून: आय से अधिक संपत्ति मामले में आईएएस रामविलास यादव को धामी सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. वहीं, रिटायरमेंट से पहले ही उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है. हाईकोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए यादव ने याचिका दायर की है, लेकिन विजिलेंस परत दर परत तहकीकात कर रही है, जिससे उनके काले कारनामों का बड़ा खुलासा हो सकता है.

विजिलेंस टीम ने 4 ठिकानों पर मारा था छापा: हाल ही के दिनों में विजिलेंस ने उनके ठिकानों पर छापा मारा था. देहरादून, लखनऊ के साथ कुल 4 स्थानों पर बड़ी छापेमारी की कार्रवाई की गई थी, जिसमें आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई दस्तावेज भी बरामद हुए थे. विजिलेंस सूत्रों का कहना है कि देहरादून में आय से अधिक संपत्ति मामले में कई अहम कागजात भी बरामद हुए हैं, जिसमें फ्लैट के कागज भी शामिल हैं. इसी तरह से गाजियाबाद के फ्लैट के कागजात भी बरामद हुए हैं. विजिलेंस की जांच में उसकी कीमत तकरीबन 15 करोड़ बताई जा रही है.
पढ़ें- आय से अधिक संपत्ति मामला: विजिलेंस के सामने पेश हुए IAS रामविलास यादव, कोर्ट से लगी थी फटकार

इसी क्रम में यादव आखिरकार कोर्ट के निर्देश पर आज (22 जून को) विजिलेंस के ऑफिस पूछताछ के लिए पहुंचे थे. IAS रामविलास यादव के अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने बताया कि, कोर्ट के आदेश अनुसार यादव विजिलेंस जांच में सहयोग के लिए पहुंचे हैं. उन्हें कई दस्तावेज लेकर यहां बुलाया गया था, जिसको जांच के सहयोग में लाया जाएगा. अधिवक्ता शर्मा ने कहा कि रामविलास पर लगाए गए आरोप किस आधार पर जांच के दायरे में आए ये बड़ा सवाल है. विजिलेंस को जिस भी दस्तावेजों में जांच चाहिए उसका पूरा सहयोग किया जाएगा और हर दस्तावेज और जांच का जवाब कोर्ट में उपलब्ध कराया जाएगा.

30 जून को हो रहे हैं रिटायर: आईएएस रामविलास यादव उत्तराखंड शासन में अपर सचिव समाज कल्याण के पद पर कार्यरत हैं और 30 जून को रिटायर होने वाले हैं. मगर रिटायरमेंट के पहले गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है. क्योंकि जिस तरह से विजिलेंस परत दर परत उनके काले कारनामों की तहकीकात कर रही है, ऐसे में आने वाले दिनों में उनकी आय से अधिक संपत्तियों के मामले का बड़ा खुलासा हो सकता है. बता दें कि इसी साल अप्रैल के महीने में विजिलेंस ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी. जिसके तहत जांच चल रही है. शासन ने उनके खिलाफ पहले ओपन जांच कराई थी. जिसमें आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था. जिसके आधार पर उनके खिलाफ विजिलेंस ने काम करना शुरू किया है.
पढ़ें- IAS रामविलास यादव के ठिकानों पर उत्तराखंड विजिलेंस की छापेमारी, आय से अधिक संपत्ति का है मामला

सपा सरकार के करीबी थे रामविलास: रामविलास लखनऊ विकास प्राधिकरण में लंबे समय तक तैनात रहे थे. उसके बाद एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं. रामविलास सपा सरकार के बेहद करीबी अधिकारी थे, लेकिन यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद साल 2019 में वो यूपी से उत्तराखंड चले आए थे.

आईएएस राम विलास यादव पर यूपी में लखनऊ विकास प्राधिकरण का सचिव रहते हुए आय से 500 गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर उत्तराखंड शासन ने 9 जनवरी 2019 को उनके खिलाफ विजिलेंस में खुली जांच के आदेश दिए थे. यूपी की ओर से उत्तराखंड को सौंपे गए तमाम दस्तावेजों के आधार पर यादव के खिलाफ उत्तराखंड में भी विजिलेंस विभाग ने रिपोर्ट दर्ज की थी.

Last Updated : Jun 22, 2022, 8:12 PM IST
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