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6 महीने बाद फिर छलके जाम, सरकार ने दी बार खोलने की इजाजत

उत्तराखंड सरकार ने 6 महीने बाद के बार-रेस्टोरेंट को खोलने की इजाजत देती है. आबकारी विभाग ने गाइडलाइन जारी कर बार खोलने की गाइडलाइन जारी कर दी है.

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Published : Sep 25, 2020, 5:48 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में 6 महीने की तालाबंदी के बाद आज से बार खोल दिए गए हैं. बार संचालक लंबे समय से सरकार से बार खोलने की मांग कर रहे थे. बार संचालकों का कहना था कि लॉकडाउन में उनका करोड़ों का घाटा हुआ है, जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब है. आबकारी विभाग ने गाइडलाइन जारी कर बार खोलने की इजाजत दे दी है.

आबकारी विभाग ने दी बार खोलने की इजाजत.

बार संचालकों का कहना है कि पिछले 6 माह से न सिर्फ उनको प्रतिमाह तीन से चार लाख का नुकसान हुआ, बल्कि लाइसेंस फीस का बोझ भी बढ़ता गया. ऐसे में बार कारोबार को पटरी पर लाने के लिए सरकार को प्रतिमाह लाइसेंस फीस में अगले 6 माह तक जमा होने वाली धनराशि में छूट देनी चाहिए.

बार बंद होने से कई बेरोजगार

बार कारोबार पिछले 6 माह से पूरी तरह से बंद होने के चलते कई बेरोजगार हो गए हैं. हालांकि, शुरुआती 3 महीने में संचालकों ने बार कर्मचारियों को आधी सैलरी दी, लेकिन उसके बाद अधिकांश कर्मचारियों को घर भेजना पड़ा.

पढ़ें- कोटद्वार में फूटा कोरोना बम! 42 लोग मिले संक्रमित

100 से अधिक बार संचालकों के सामने आर्थिक संकट

बार संचालक दीपक जल के मुताबिक देहरादून में लगभग 100 से अधिक बार रेस्टोरेंट है. सामान्यतः के एक बार से आबकारी विभाग को प्रतिवर्ष लाख रुपये शुल्क जाता है. ऐसे भले ही करोड़ों रुपए लाइसेंस शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जमा हो, लेकिन फीस जमा होने के बावजूद पिछले 6 महीन में बार कारोबारी पूरी तरह से आर्थिक रूप में टूट चुके हैं. ऐसे में बार व्यापारियों की मांग है कि सरकार को उनकी स्थिति को देखते हुए आगे कुछ माह तक लाइसेंस फीस में राहत देनी चाहिए.

देहरादून: कोरोना काल में 6 महीने की तालाबंदी के बाद आज से बार खोल दिए गए हैं. बार संचालक लंबे समय से सरकार से बार खोलने की मांग कर रहे थे. बार संचालकों का कहना था कि लॉकडाउन में उनका करोड़ों का घाटा हुआ है, जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब है. आबकारी विभाग ने गाइडलाइन जारी कर बार खोलने की इजाजत दे दी है.

आबकारी विभाग ने दी बार खोलने की इजाजत.

बार संचालकों का कहना है कि पिछले 6 माह से न सिर्फ उनको प्रतिमाह तीन से चार लाख का नुकसान हुआ, बल्कि लाइसेंस फीस का बोझ भी बढ़ता गया. ऐसे में बार कारोबार को पटरी पर लाने के लिए सरकार को प्रतिमाह लाइसेंस फीस में अगले 6 माह तक जमा होने वाली धनराशि में छूट देनी चाहिए.

बार बंद होने से कई बेरोजगार

बार कारोबार पिछले 6 माह से पूरी तरह से बंद होने के चलते कई बेरोजगार हो गए हैं. हालांकि, शुरुआती 3 महीने में संचालकों ने बार कर्मचारियों को आधी सैलरी दी, लेकिन उसके बाद अधिकांश कर्मचारियों को घर भेजना पड़ा.

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100 से अधिक बार संचालकों के सामने आर्थिक संकट

बार संचालक दीपक जल के मुताबिक देहरादून में लगभग 100 से अधिक बार रेस्टोरेंट है. सामान्यतः के एक बार से आबकारी विभाग को प्रतिवर्ष लाख रुपये शुल्क जाता है. ऐसे भले ही करोड़ों रुपए लाइसेंस शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जमा हो, लेकिन फीस जमा होने के बावजूद पिछले 6 महीन में बार कारोबारी पूरी तरह से आर्थिक रूप में टूट चुके हैं. ऐसे में बार व्यापारियों की मांग है कि सरकार को उनकी स्थिति को देखते हुए आगे कुछ माह तक लाइसेंस फीस में राहत देनी चाहिए.

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