देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान साल भर में 3 गैस सिलेंडर की मुफ्त रिफिलिंग का मुद्दा काफी गर्म रहा. महिलाओं के वोट पाने के लिए इस घोषणा को काफी अहम माना गया. शायद यही वजह है कि राज्य में धामी सरकार के फिर एक बार सत्तासीन होने के फौरन बाद इस घोषणा को अमली जामा पहना दिया गया. वैसे आपको बता दें कि बीजेपी ने अपने दृष्टि पत्र में अंत्योदय परिवार की महिलाओं को साल भर में 3 निःशुल्क सिलेंडर रिफिल करने की घोषणा की थी, जिसपर भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही काम भी शुरू कर दिया, लेकिन कई महीने गुजरने के बावजूद भी इस योजना का विधिवत शुभारंभ नहीं किया गया है, जिसके कारण कई परिवार इससे अभी वंचित हैं.
वैसे तो राजनीति में किसी छोटे से मुद्दे को भी राजनीतिक दल भुलाने में देरी नहीं करते, लेकिन इस बार धामी सरकार इतने बड़े मामले में वादा पूरा करने के बाद भी इसका क्रेडिट नहीं ले पाई है. लेकिन यह बात राजनीतिक रूप से किसी मुद्दे को बनाने की नहीं बल्कि वादा पूरा होने के बाद योजना का लाभ शत प्रतिशत लोगों को देने से जुड़ी है. जानकारी के अनुसार प्रदेश में इस योजना के अंतर्गत करीब एक लाख 80 हजार अंत्योदय कार्ड धारक महिलाओं को योजना का लाभ मिलना चाहिए था, लेकिन फिलहाल रिकॉर्ड के अनुसार इसका लाभ एक लाख आठ हजार लाभार्थी ही ले पा रहे हैं.
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माना जा रहा है कि योजना का विधिवत शुभारंभ ना होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार को पूरी तरह से नहीं किया जा सका है और शायद इसीलिए मुफ्त किसी योजना का लाभ लेने भी शत प्रतिशत लाभार्थी नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस मामले में सरकार की कैबिनेट मंत्री रेखा के कहती हैं कि भाजपा सरकार अपना वादा पूरा कर चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का समय नहीं मिलने के कारण इस योजना का विधिवत शुभारंभ नहीं हो पा रहा है.
राज्य में यूं तो विभिन्न सरकारी घोषणा पत्र में शामिल अपने वायदों को पूरा करने से दूरी बनाती हुई दिखाई देती है लेकिन धामी सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक जिस घोषणा को पूरा किया. उस पर शुभारंभ न करके काम को कुछ अधूरा ही छोड़ दिया है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए कांग्रेसी भी योजना का विधिवत शुभारंभ ना होने पर भाजपा सरकार को कोसती हुई नजर आती है.
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राजेश चमोली कहते हैं कि सरकार बेवजह के मुद्दों और चर्चाओं में तो व्यस्त दिखाई देती है, लेकिन जो मामला आम जनता से सीधा जुड़ा हुआ है और जिसका लाभ गरीब परिवारों को मिलना है. उसके लिए प्रदेश के मुखिया के पास समय ही नहीं है. इस स्थिति से राज्य में सरकार की प्राथमिकता को आसानी से समझा जा सकता है.