देहरादून: ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए उत्तराखंड में भी इसे महामारी घोषित कर दिया गया है. प्रदेश में रोजाना ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए तीरथ सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. ऐसा करने वाला उत्तराखंड 11वां राज्य बन गया है.
उत्तराखंड में कोरोना के मामलों में पिछले कुछ दिनों से गिरावट दर्ज की जा रही है. हालांकि, कोरोना के कारण हो रही मौतें अभी भी चिंता का विषय है. उधर, कोरोना महामारी के दौरान ब्लैक फंगस ने चिंताएं और बढ़ा दी है. यही वजह है कि कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. राज्य सरकार ने इसको लेकर आदेश जारी किया है. प्रदेश में महामारी के प्रोटोकॉल के तहत ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज होगा.
प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. इसको देखते हुए एम्स ऋषिकेश ने अलग से वॉर्ड तैयार किया है, जिसमें मेडिकल विभागों के 15 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम तैनात है. जबकि वॉर्ड में उपचार के लिए सभी आवश्यक उपकरणों, दवाइयों की व्यवस्था भी की गई है.
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस की स्थिति
21 मई तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के कुल 61 मरीज सामने आ चुके हैं, जिसमें से पांच मरीजों की मौत हो चुकी है. शुक्रवार को ऋषिकेश एम्स में ब्लैक फंगस के 10 नए मरीजे मिले है, जिनकी उपचार किया जा रहा है. अभी एम्स में ब्लैक फंगस के 56 रोगी भर्ती हैं.
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उत्तराखंड में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन खत्म
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मरीजों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास इसके इंजेक्शन ही मौजूद नहीं हैं. चिंता की बात यह है कि एक तरफ शासन के अधिकारी प्रदेश में इंजेक्शन की आपूर्ति का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ धरातल पर लोगों को इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं मिल पा रही.
क्या है एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल इंजेक्शन
यह एक एंटी फंगल इंजेक्शन है. यह शरीर में फंगस की ग्रोथ को रोक देता है, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा खत्म हो जाता है. कोरोना संक्रमण के बाद कई मरीजों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल इंजेक्शन इसके इलाज में काफी कारगर है.
ये इंजेक्शन मरीज को रोजाना लगाने की जरूरत पड़ती है और 15-20 दिन तक इस इंजेक्शन की डोज देने पड़ती है. इस इंजेक्शन की भारतीय बाजार में कीमत 7-8 हजार रुपए हो सकती है. चूंकि आजकल इस इंजेक्शन की काफी मांग है, इसलिए इसकी भारतीय बाजार में कमी भी देखी जा रही है.