देहरादून: जमीनों की फर्जी तरीके के खरीद-फरोख्त और भू-माफिया पर लगाम लगाने वाली एसआईटी (विशेष जांच दल) में जल्द फेरबदल किया जा सकता है. शासन स्तर पर गृह विभाग की हुई बैठक में इस मामले में चर्चा हुई थी. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक SIT का नेतृत्व डीआईजी गढ़वाल व कुमाऊं की जगह गढ़वाल व कुमाऊं के कमिश्नर को दिया जा सकता है. अब जमीन फर्जीवाड़े में जांच के लिए पुलिस शिकायतें प्राप्त कर कमिश्नर से पहले मंजूरी लेगी.
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बता दें कि उत्तराखंड में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए साल 2014 में एसआईटी गठित की गई थी. लेकिन अब इस एसआईटी में फेरबदल की तैयारी चल रही है. हाल ही में शासन के सामने जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले में राजस्व विभाग के पटवारी और लेखपालों की मिलीभगत की शिकायत सामने आईं थी. जिसके बाद शासन ने एसआईटी को ऐसे कर्मचारियों (पटवारी और लेखपालों) के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे, जो फर्जीवाड़े में शामिल थे. इस आदेश के बाद पटवारी और लेखपाल चार महीने पहले एसआईटी के खिलाफ अनिश्चितकाल हड़ताल पर चले गए थे.
ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पटवारी और लेखपालों के दबाव में आकर त्रिवेंद्र सरकार जमीनों के फर्जीवाड़े से जुड़ी एसआईटी विंग में फेरबदल करने की तैयारी कर रही है. अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे न सिर्फ आम लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी, साथ ही भू-माफिया के हौसले भी बढ़ जाएंगे.
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बता दें कि साल 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में लगातार सामने आ रहे जमीन के फर्जीवाड़े के मामलों को देखते हुए एसआईटी विंग का गठन किया गया था. गढ़वाल और कुमाऊं मडंल के डीआईजी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शुरुआत में इस एसआईटी में एक इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, 8 मुख्य आरक्षी और 8 आरक्षी शामिल किए गये. हालांकि बाद में जरूरत के मुताबिक टीम का विस्तार होता रहा.
पिछले 5 साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो-
- एसआईटी के पास प्रॉपर्टी से जुड़े 3700 से अधिक मामले आए.
- इसमें से एसआईटी ने 600 मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के सजा दिलाने के साथ ही पीड़ित को उसकी रकम भी वापस दिलाई.
- इसके अलावा एसआईटी ने 1100 से अधिक भू-माफिया पर नकले कस कर उन्हें जेल भिजवाया.
वहीं कई मामले अभी लंबित चल रहे हैं. आपको बता दें कि एसआईटी के पास हर साल 700 से अधिक प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जीवाडे़ के मामले दर्ज होते हैं.