ETV Bharat / state

जमीन फर्जीवाड़ा: त्रिवेंद्र सरकार पर बढ़ा पटवारी-लेखपालों का दबाव, कर सकती है SIT में फेरबदल

पटवारी और लेखपालों के दबाव में आकर त्रिवेंद्र सरकार जमीनों के फर्जीवाड़े से जुड़ी एसआईटी विंग में फेरबदल करने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर गृह विभाग की एक बैठक भी हो चुकी है. SIT का नेतृत्व गढ़वाल व कुमाऊं के कमिश्नर को दिया जा सकता है.

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय
author img

By

Published : Jun 26, 2019, 7:18 PM IST

Updated : Jun 26, 2019, 7:52 PM IST

देहरादून: जमीनों की फर्जी तरीके के खरीद-फरोख्त और भू-माफिया पर लगाम लगाने वाली एसआईटी (विशेष जांच दल) में जल्द फेरबदल किया जा सकता है. शासन स्तर पर गृह विभाग की हुई बैठक में इस मामले में चर्चा हुई थी. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक SIT का नेतृत्व डीआईजी गढ़वाल व कुमाऊं की जगह गढ़वाल व कुमाऊं के कमिश्नर को दिया जा सकता है. अब जमीन फर्जीवाड़े में जांच के लिए पुलिस शिकायतें प्राप्त कर कमिश्नर से पहले मंजूरी लेगी.

पढ़ें- शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बेटे की सड़क हादसे में मौत, शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे UP

बता दें कि उत्तराखंड में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए साल 2014 में एसआईटी गठित की गई थी. लेकिन अब इस एसआईटी में फेरबदल की तैयारी चल रही है. हाल ही में शासन के सामने जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले में राजस्व विभाग के पटवारी और लेखपालों की मिलीभगत की शिकायत सामने आईं थी. जिसके बाद शासन ने एसआईटी को ऐसे कर्मचारियों (पटवारी और लेखपालों) के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे, जो फर्जीवाड़े में शामिल थे. इस आदेश के बाद पटवारी और लेखपाल चार महीने पहले एसआईटी के खिलाफ अनिश्‍चितकाल हड़ताल पर चले गए थे.

ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पटवारी और लेखपालों के दबाव में आकर त्रिवेंद्र सरकार जमीनों के फर्जीवाड़े से जुड़ी एसआईटी विंग में फेरबदल करने की तैयारी कर रही है. अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे न सिर्फ आम लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी, साथ ही भू-माफिया के हौसले भी बढ़ जाएंगे.

पढ़ें- 'बंदया तू मुंह मोड़ के ना जा, बंदिया दहलीज लांघ के ना जा, छोड़ गया तू किस के सहारे'....आ अब लौटें

बता दें कि साल 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में लगातार सामने आ रहे जमीन के फर्जीवाड़े के मामलों को देखते हुए एसआईटी विंग का गठन किया गया था. गढ़वाल और कुमाऊं मडंल के डीआईजी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शुरुआत में इस एसआईटी में एक इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, 8 मुख्य आरक्षी और 8 आरक्षी शामिल किए गये. हालांकि बाद में जरूरत के मुताबिक टीम का विस्तार होता रहा.

पिछले 5 साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो-

  • एसआईटी के पास प्रॉपर्टी से जुड़े 3700 से अधिक मामले आए.
  • इसमें से एसआईटी ने 600 मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के सजा दिलाने के साथ ही पीड़ित को उसकी रकम भी वापस दिलाई.
  • इसके अलावा एसआईटी ने 1100 से अधिक भू-माफिया पर नकले कस कर उन्हें जेल भिजवाया.

वहीं कई मामले अभी लंबित चल रहे हैं. आपको बता दें कि एसआईटी के पास हर साल 700 से अधिक प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जीवाडे़ के मामले दर्ज होते हैं.

देहरादून: जमीनों की फर्जी तरीके के खरीद-फरोख्त और भू-माफिया पर लगाम लगाने वाली एसआईटी (विशेष जांच दल) में जल्द फेरबदल किया जा सकता है. शासन स्तर पर गृह विभाग की हुई बैठक में इस मामले में चर्चा हुई थी. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक SIT का नेतृत्व डीआईजी गढ़वाल व कुमाऊं की जगह गढ़वाल व कुमाऊं के कमिश्नर को दिया जा सकता है. अब जमीन फर्जीवाड़े में जांच के लिए पुलिस शिकायतें प्राप्त कर कमिश्नर से पहले मंजूरी लेगी.

पढ़ें- शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बेटे की सड़क हादसे में मौत, शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे UP

बता दें कि उत्तराखंड में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए साल 2014 में एसआईटी गठित की गई थी. लेकिन अब इस एसआईटी में फेरबदल की तैयारी चल रही है. हाल ही में शासन के सामने जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले में राजस्व विभाग के पटवारी और लेखपालों की मिलीभगत की शिकायत सामने आईं थी. जिसके बाद शासन ने एसआईटी को ऐसे कर्मचारियों (पटवारी और लेखपालों) के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे, जो फर्जीवाड़े में शामिल थे. इस आदेश के बाद पटवारी और लेखपाल चार महीने पहले एसआईटी के खिलाफ अनिश्‍चितकाल हड़ताल पर चले गए थे.

ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पटवारी और लेखपालों के दबाव में आकर त्रिवेंद्र सरकार जमीनों के फर्जीवाड़े से जुड़ी एसआईटी विंग में फेरबदल करने की तैयारी कर रही है. अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे न सिर्फ आम लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी, साथ ही भू-माफिया के हौसले भी बढ़ जाएंगे.

पढ़ें- 'बंदया तू मुंह मोड़ के ना जा, बंदिया दहलीज लांघ के ना जा, छोड़ गया तू किस के सहारे'....आ अब लौटें

बता दें कि साल 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में लगातार सामने आ रहे जमीन के फर्जीवाड़े के मामलों को देखते हुए एसआईटी विंग का गठन किया गया था. गढ़वाल और कुमाऊं मडंल के डीआईजी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शुरुआत में इस एसआईटी में एक इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, 8 मुख्य आरक्षी और 8 आरक्षी शामिल किए गये. हालांकि बाद में जरूरत के मुताबिक टीम का विस्तार होता रहा.

पिछले 5 साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो-

  • एसआईटी के पास प्रॉपर्टी से जुड़े 3700 से अधिक मामले आए.
  • इसमें से एसआईटी ने 600 मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के सजा दिलाने के साथ ही पीड़ित को उसकी रकम भी वापस दिलाई.
  • इसके अलावा एसआईटी ने 1100 से अधिक भू-माफिया पर नकले कस कर उन्हें जेल भिजवाया.

वहीं कई मामले अभी लंबित चल रहे हैं. आपको बता दें कि एसआईटी के पास हर साल 700 से अधिक प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जीवाडे़ के मामले दर्ज होते हैं.

Intro:summary- क्या उत्तराखंड में प्रॉपर्टी फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने वाली एसआईटी भंग होने जा रही हैं??ज़ीरो टॉलरेंस का राग अलापने वाली सरकार क्या भूमाफियाओं व भ्रष्टाचारियों के दबाव में आ रही हैं?? एसआईटी के भंग होने से जमीनों के खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़े के शिकार हुए लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय। एसआईटी भंग होने से जनता की बढ़ सकती हैं मुश्किलें देहरादून-उत्तराखंड में सरकारी व गैरसरकारी जमीनों के फर्जीवाड़े मामलों पर अंकुश लगाने के दृष्टिगत वर्ष 2014 में गठित की गई महत्वपूर्ण एसआईटी विंग को एकाएक भंग करने की चर्चाएं शासन -प्रशासन के गलियारों में जोर पकड़ रही हैं। ईटीवी भारत की मिली जानकारी के मुताबिक SIT के ख़िलाफ़ लामबंद होकर अनिश्चित काल हड़ताल पर चल रहे पटवारी और लेखपालों के हड़ताल वाले दबाव में आकर सरकार SIT विंग को खत्म करने का आदेश पारित कर सकती हैं, अगर ऐसा होता हैं तो लगातार प्रदेश में प्रोपर्टी को आतंक मचाने वाले भू माफियाओं के साथ साथ इस गोरखधंधे में भ्रष्टाचार की हदें पार करने वाले आरोपित राजस्व कर्मचारियों की मनमानी के चलते भी सातवें आसमान पर होगी। उधर प्रदेश में जमीनों के फर्जीवाड़े जांच से जुड़ी महत्वपूर्ण एसआईटी के भंग होने की सूरत में उत्तराखंड में जीरो टॉलरेंस राग अलापने वाली मौजूद सरकार की मंशा पर कई तरह के गंभीर सवाल उठ सकते हैं। एसआईटी के खिलाफ लामबंद होकर पटवारी लेखपाल हड़ताल पर है दरसल SIT विंग के पास जमीनों के फर्जीवाड़े से जुड़े कई मामलों में राजस्व विभाग के पटवारी व लेखपालों की मिलीभगत की शिकायतें सामने आने के बाद शासन द्वारा कुछ माह पहले आरोपित पटवारी व लेखपाल जैसे कर्मियों के खिलाफ SIT जांच के आदेश हुए थे। उधर अपने खिलाफ SIT जांच आदेश के मध्यनजर पिछले 4 महीनों से पटवारी व लेखपाल जनता के जुड़े सभी महत्वपूर्ण कार्य छोड़कर अनिश्चित काल हड़ताल पर चल रहे हैं, ऐसे में सरकार दबाव में आकर हड़ताल को समाप्त करने के लिए जमीनों से जुड़ी एसआईटी को भंग करने का निर्णय ले सकती है।


Body:एसआईटी भंग होने से भू माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की हौसले होंगे बुलंद जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े मामलों की सुनवाई के लिए वर्ष 2014 तत्कलीन कांग्रेस सरकार द्वारा गठित एसआईटी विंग को मौजूद भाजपा राज्य सरकार द्वारा भंग करने की चर्चाएं इसलिए भी जोर पकड़ रही हैं क्योंकि पटवारी व लेखपाल अपने ख़िलाफ़ एसआईटी जांच को वापस लेने के लिए पिछले 4 महीने से अधिक समय से अनिश्चितकाल हड़ताल पर चल रहे हैं। ऐसे हड़ताल को अगर एसआईटी की बलि देकर खत्म किया जाता हैं तो यह माना जायेगा कि पटवारी व लेखपाल अपने मनचाहे मकसद में कामयाब हो गए। ऐसे में एसआईटी को भंग करने का अगर निर्णय लिया जाता हैं तो जहां तरफ भू माफियाओं का आतंक फिर आए सर चढ़कर बोलेगा वही उनसे मिलीभगत कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले अधिकारी कर्मचारियों को भी बल मिलेगा। एसआईटी भंग होने की खबर से पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी नाराज़ जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा एसआईटी को भंग करने के दिशा में अगले दो से तीन दिनों में पुलिस के आला अधिकारीयों व अन्य संबंधित अफसरों के साथ बैठक कर इस मामले में ग्रह विभाग इसमे निर्णय ले सकती है। उधर जमीनों से जुड़ी जांच एसआईटी विंग को भंग होने की बैठक में पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी पूरी तरह नाराज नजर आर रहे। ऐसे में इस मामलें पर शासन की बैठक में मुख्यालय के आला अधिकारी पुरजोर तरीके से एसआईटी भंग करने का विरोध कर सकते हैं।


Conclusion:आपको बता दें कि वर्ष 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार प्रदेश में भू माफियाओं के फर्जीवाड़े की भारी शिकायतों के दृष्टिगत स्पेशल एसआईटी विंग का गठन किया गया था डीआईजी गढ़वाल के नेतृत्व में एसआईटी में जमीन प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जीवाड़े की शिकायतों में लगातार पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने को लेकर भारी संख्या में कार्रवाई को अंजाम दिया गया. पिछले 5 सालों में SIT द्वारा कार्रवाई का आधिकारिक ब्यौरा वर्ष 2014 से लेकर अब तक 5 सालों में एस आईटी विंग के पास 3700 अधिक जमीनी वाह प्रॉपर्टी में धोखाधड़ी फर्जीवाड़े के मामले शिकायत के रूप में सामने आए जिसमें से लगभग 600 से अधिक फर्जीवाड़े में पीड़ित को आरोपी से राहत दिलाते हुए रकम वापसी के साथ अन्य तरह की राहत देने का कार्य क्या गया। इतना ही नहीं जमीनों से जुड़े ठगी और फर्जीवाड़े मामले में एसआईटी पिछले 5 सालों में 550 से अधिक शिकायतों पर मुकदमे दर्ज कर प्रभावी कार्रवाई कर चुकी है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार एस आईटी विंग पिछले 5 सालों में जमीनों पर धोखाधड़ी मामलों में आरोपित 1100 भू माफियाओं के खिलाफ नकेल कसते हुए उन्हें जेल भेजने के साथ सजा दिलाने में कामयाब रही है। हालांकि कई मामलें अभी लंबित चल रहे हैं जिनमें जांच-विवेचना जारी हैं। SIT में प्रतिवर्ष 700 से अधिक जमीन और प्रॉपर्टी से धोखाधड़ी करने के मामले एसआईटी में दर्ज हो रहे हैं जिनमें भू माफियाओं के साथ-साथ राजस्व विभाग के कई पटवारी लेखपाल की मिलीभगत से भी कई शिकायतें भी सामने आ चुकी है। आइए एक नजर डालते हैं वर्ष 2014 में स्पेशल एसआईटी विंग गठन के शासनादेश और उसके कार्यक्षेत्र पर 2 जुलाई वर्ष 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बताशा अवैध तरीके से जमीनों की खरीद-फरोख्त व अन्य तरह की प्रॉपर्टी ओं में होने वाले धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के दृष्टिगत तत्कालीन उत्तराखंड राज्यपाल द्वारा एसआईटी गठन का शासनादेश जारी किया गया। इस विशेष एसआईटी गठन का मुख्य काम जमीनों और प्रॉपर्टी में धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े मामलों पर त्वरित प्रभावी कार्रवाई करने के आदेश है सरकार द्वारा गढ़वाल व कुमाऊं रेंज के डीआईजी के अधीन एक विशेष एस आईटी विंग का गठन किया गया शुरुआत में इस एस आईटी विंग में एक इंस्पेक्टर चार सब इंस्पेक्टर 8 मुख्य आरक्षी और 8 आरक्षित शामिल किए गए हालांकि लगातार बढ़ते मामलों में जरूरत के मुताबिक समय अनुसार टीम का विस्तार होता रहा। उत्तराखंड में जमीन व प्रॉपर्टी से जुड़े अवैध खरीद-फरोख्त सहित अन्य तरह के जमीनों के धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े मामले में एसआईटी को शिकायत आने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित थाना स्तर पर मुकदमा दर्ज कर एसआईटी टीम से जांच विवेचना करा प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश हैं। इस विशेष एसआईटी टीम की समीक्षा करने की जिम्मेदारी गढ़वाल व कुमाऊं रेंज के डीआईजी को दी गई है। नोट-आदेश की कॉपी PTC परमजीत सिंह pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628
Last Updated : Jun 26, 2019, 7:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.