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केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले प्रेमचंद अग्रवाल, 'GST क्षतिपूर्ति अवधि बढ़ाने की मांग, वर्ना होगा 5 हजार करोड़ का नुकसान'

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने चंडीगढ़ में बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात की और साथ ही मांग की कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को बढ़ाया जाए.

Uttarakhand Finance Minister Premchand Agarwal
Uttarakhand Finance Minister Premchand Agarwal
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Published : Jun 29, 2022, 7:36 PM IST

देहरादून: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक आयोजित की गई. जीएसटी काउंसिल की बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल शामिल हुए. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन देकर उत्तराखंड की आर्थिक समस्याओं से अवगत कराया.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने जीएसटी परिषद को जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी और जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया. केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात पर वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि राज्य के गठन के समय वर्ष 2000-2001 में प्राप्त संग्रह 233 करोड़ था, नया राज्य गठन होने के बावजूद उत्तराखंड लगातार इस ओर वृद्धि प्राप्त कर रहा था.

वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2016-17 में प्राप्त संग्रह राज्य गठन के समय से लगभग 31 गुना बढ़कर 7,143 करोड़ रुपए हो गया था. इस अवधि में राजस्व प्राप्ति के दृष्टिगत राज्य लगभग 19 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा था और वृद्धि दर के आधार पर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था. जबकि जीएसटी लागू होने के उपरान्त राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि दर्ज नहीं की जा सकी है. वित्त मंत्री ने इसके प्रमुख कारण भी गिनाए.
पढ़ें- उत्तराखंड में मॉनसून की दस्तक, सीएम ने की आपदा प्रबंधन की समीक्षा, 3 महीने तक छुट्टियां कैंसिल

उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन, न्यून उपभोग आधार, एसजीएसटी के रूप में भुगतान किए गए करों का आईजीएसटी के माध्यम से बहिर्गमन, वस्तुओं पर वैट की तुलना में कर की प्रभावी दर कम होना, राज्य में सेवा का अपर्याप्त आधार और जीएसटी के अन्तर्गत वस्तुओं व सेवाओं पर कर दर में निरन्तर कमी होना हैं.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि राज्य द्वारा प्राप्त वास्तविक राजस्व के कम रहने के कारण राज्य की जीएसटी प्रतिपूर्ति की आवश्यकता में निरंतर वृद्धि हुई है. यह सम्भावित है कि क्षतिपूर्ति अवधि की समाप्ति के उपरान्त वर्ष 2022-23 में ही राज्य को लगभग सीधे तौर पर 5000 करोड़ रुपए की हानि होने की संभावना है, जो उत्तराखंड के भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से सही नहीं है.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड राज्य की चीन और नेपाल के साथ एक लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जिसके कारण राज्य का अत्यधिक सामरिक महत्व है. सीमांत पर्वतीय राज्य होने के कारण सुविधाओं के अभाव में पलायन राज्य की एक मुख्य समस्या रहा है. सीमांत क्षेत्रों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त संवेदनशील है, इसीलिए राज्य में आधार संरचना का विकास किया जाना अत्यधिक आवश्यक है. इस प्रकार राज्य में आधार संरचना विकसित किये जाने और अन्य विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व संसाधनों की आवश्यकता है.
पढ़ें- उत्तराखंड में तैयार हो रहे 'अग्निवीर', सैनिक कल्याण बोर्ड दे रहा प्रशिक्षण

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति पर राज्य की अत्यधिक निर्भरता होने के कारण क्षतिपूर्ति व्यवस्था के अभाव में राज्य के विकास एवं जन कल्याणकारी कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे. वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि जून 2022 के पश्चात भी अग्रेत्तर वर्षों के लिये बढ़ाया जाना राज्य के हित में आवश्यक है.

देहरादून: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक आयोजित की गई. जीएसटी काउंसिल की बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल शामिल हुए. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन देकर उत्तराखंड की आर्थिक समस्याओं से अवगत कराया.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने जीएसटी परिषद को जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी और जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया. केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात पर वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि राज्य के गठन के समय वर्ष 2000-2001 में प्राप्त संग्रह 233 करोड़ था, नया राज्य गठन होने के बावजूद उत्तराखंड लगातार इस ओर वृद्धि प्राप्त कर रहा था.

वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2016-17 में प्राप्त संग्रह राज्य गठन के समय से लगभग 31 गुना बढ़कर 7,143 करोड़ रुपए हो गया था. इस अवधि में राजस्व प्राप्ति के दृष्टिगत राज्य लगभग 19 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा था और वृद्धि दर के आधार पर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था. जबकि जीएसटी लागू होने के उपरान्त राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि दर्ज नहीं की जा सकी है. वित्त मंत्री ने इसके प्रमुख कारण भी गिनाए.
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उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन, न्यून उपभोग आधार, एसजीएसटी के रूप में भुगतान किए गए करों का आईजीएसटी के माध्यम से बहिर्गमन, वस्तुओं पर वैट की तुलना में कर की प्रभावी दर कम होना, राज्य में सेवा का अपर्याप्त आधार और जीएसटी के अन्तर्गत वस्तुओं व सेवाओं पर कर दर में निरन्तर कमी होना हैं.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि राज्य द्वारा प्राप्त वास्तविक राजस्व के कम रहने के कारण राज्य की जीएसटी प्रतिपूर्ति की आवश्यकता में निरंतर वृद्धि हुई है. यह सम्भावित है कि क्षतिपूर्ति अवधि की समाप्ति के उपरान्त वर्ष 2022-23 में ही राज्य को लगभग सीधे तौर पर 5000 करोड़ रुपए की हानि होने की संभावना है, जो उत्तराखंड के भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से सही नहीं है.

वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड राज्य की चीन और नेपाल के साथ एक लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जिसके कारण राज्य का अत्यधिक सामरिक महत्व है. सीमांत पर्वतीय राज्य होने के कारण सुविधाओं के अभाव में पलायन राज्य की एक मुख्य समस्या रहा है. सीमांत क्षेत्रों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त संवेदनशील है, इसीलिए राज्य में आधार संरचना का विकास किया जाना अत्यधिक आवश्यक है. इस प्रकार राज्य में आधार संरचना विकसित किये जाने और अन्य विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व संसाधनों की आवश्यकता है.
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वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति पर राज्य की अत्यधिक निर्भरता होने के कारण क्षतिपूर्ति व्यवस्था के अभाव में राज्य के विकास एवं जन कल्याणकारी कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे. वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि जून 2022 के पश्चात भी अग्रेत्तर वर्षों के लिये बढ़ाया जाना राज्य के हित में आवश्यक है.

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