ETV Bharat / state

अब पुरानी आबकारी ई-टेंडरिंग नीति के तहत आवंटित होंगी शराब की दुकानें, लॉटरी प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

उत्तराखंड सरकार को नयी आबकारी नीति को बदलते हुए पुरानी लॉटरी नीति को अपनाना पड़ रहा है. सरकार अब 180 करोड़ का घाटा उठाने के बाद 35 फीसदी कम अधिभार में अब दुकानों को पुरानी प्रक्रिया के अनुसार आवंटित करेगी. ऐसे में अगर कहा जाए कि 2018 में बनाई गई आबकारी ई-टेंडरिंग नीति फेल साबित हो गई है तो गलत नहीं होगा.

आबकारी भवन.
author img

By

Published : Jun 21, 2019, 2:50 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी ई-टेंडरिंग नीति नाकाम होने के बाद अब पुरानी लॉटरी प्रक्रिया नीति के तहत सभी औपचारिकता पूरी की जा रही हैं. आगामी 1 जुलाई 2019 से पिछले तीन माह से आवंटित नहीं हुई 234 देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानें खोली जाएंगी. यह सभी दुकानें प्रदेश के जिलों में लॉटरी के जरिए 35 फीसदी कम अधिभार के तहत शराब कारोबारियों को आवंटित की जाएंगी.

परमजीत लांबा, संवाददाता देहरादून.

दरअसल, प्रदेश में 619 शराब की दुकानें हैं, जिनमें से 385 अंग्रेजी और देसी शराब दुकानें वर्तमान में संचालित हो रही हैं जबकि 234 देशी व अंग्रेजी दुकानों का आवंटन नहीं हुआ है. इसमें 103 अंग्रेजी और 131 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं. इन 234 दुकानों पर 784 करोड़ का अधिभार है, जबकि इस साल राजस्व वसूली का लक्ष्य 3110 करोड़ का है. वहीं, नए वित्त वर्ष में आवंटित हो चुकी 385 देशी व अंग्रेजी दुकानों का सालाना अधिभार (टैक्स) 2135 करोड़ तय है.

पढ़ें- चमकी बुखार को लेकर अलर्ट पर उत्तराखंड, एहतियातन सीएम त्रिवेंद्र ने जारी किए आदेश

234 दुकानों की बिक्री न होने के चलते लगातार हो रहे घाटे के दृष्टिगत अब आगे किस तरह से सालाना घाटे को पूरा किया जाएगा यह बड़ा सवाल है. उत्तराखंड आबकारी कमिश्नर दीपेंद्र चौधरी के मुताबिक कैबिनेट के फैसले के बाद लॉटरी प्रक्रिया के तहत आवंटन करने का शासनादेश जारी होगा. जिओ मिलने के बाद विभाग सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले 2 दिनों में प्रदेश में बची हुई 234 शराब की दुकानों के लिए लॉटरी नियम वाली विज्ञप्ति जारी कर देगा. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में बन्द पड़ी 234 देशी व अंग्रेजी की दुकानों को जिलाधिकारी व आबकारी अधिकारी टीम द्वारा लॉटरी के जरिये लाइसेंस देकर आगामी एक जुलाई से संचालित किया जाएगा.

बता दें कि उत्तराखंड आबकारी विभाग ने 2018-19 में बनायी नयी ई-टेंडरिंग नीति के तहत किसी भी शराब कारोबारी को मात्र दो लाइसेंस मिलने का नियम बनाया था. इस नीति के तहत प्रदेश में सक्रिय शराब माफियाओं पर रोक लगाने की कोशिश की गई थी. लेकिन, आबकारी विभाग की ये टेंडर पॉलिसी सफल साबित नहीं हुई.

अब लॉटरी प्रक्रिया के तहत कोई भी अलग-अलग नामों से कई दुकानों के लाइसेंस ले सकता है. ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि पहले की तरह शराब कारोबार में एक विशेष सिंडिकेट फिर से सक्रिय हो जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी ई-टेंडरिंग नीति नाकाम होने के बाद अब पुरानी लॉटरी प्रक्रिया नीति के तहत सभी औपचारिकता पूरी की जा रही हैं. आगामी 1 जुलाई 2019 से पिछले तीन माह से आवंटित नहीं हुई 234 देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानें खोली जाएंगी. यह सभी दुकानें प्रदेश के जिलों में लॉटरी के जरिए 35 फीसदी कम अधिभार के तहत शराब कारोबारियों को आवंटित की जाएंगी.

परमजीत लांबा, संवाददाता देहरादून.

दरअसल, प्रदेश में 619 शराब की दुकानें हैं, जिनमें से 385 अंग्रेजी और देसी शराब दुकानें वर्तमान में संचालित हो रही हैं जबकि 234 देशी व अंग्रेजी दुकानों का आवंटन नहीं हुआ है. इसमें 103 अंग्रेजी और 131 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं. इन 234 दुकानों पर 784 करोड़ का अधिभार है, जबकि इस साल राजस्व वसूली का लक्ष्य 3110 करोड़ का है. वहीं, नए वित्त वर्ष में आवंटित हो चुकी 385 देशी व अंग्रेजी दुकानों का सालाना अधिभार (टैक्स) 2135 करोड़ तय है.

पढ़ें- चमकी बुखार को लेकर अलर्ट पर उत्तराखंड, एहतियातन सीएम त्रिवेंद्र ने जारी किए आदेश

234 दुकानों की बिक्री न होने के चलते लगातार हो रहे घाटे के दृष्टिगत अब आगे किस तरह से सालाना घाटे को पूरा किया जाएगा यह बड़ा सवाल है. उत्तराखंड आबकारी कमिश्नर दीपेंद्र चौधरी के मुताबिक कैबिनेट के फैसले के बाद लॉटरी प्रक्रिया के तहत आवंटन करने का शासनादेश जारी होगा. जिओ मिलने के बाद विभाग सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले 2 दिनों में प्रदेश में बची हुई 234 शराब की दुकानों के लिए लॉटरी नियम वाली विज्ञप्ति जारी कर देगा. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में बन्द पड़ी 234 देशी व अंग्रेजी की दुकानों को जिलाधिकारी व आबकारी अधिकारी टीम द्वारा लॉटरी के जरिये लाइसेंस देकर आगामी एक जुलाई से संचालित किया जाएगा.

बता दें कि उत्तराखंड आबकारी विभाग ने 2018-19 में बनायी नयी ई-टेंडरिंग नीति के तहत किसी भी शराब कारोबारी को मात्र दो लाइसेंस मिलने का नियम बनाया था. इस नीति के तहत प्रदेश में सक्रिय शराब माफियाओं पर रोक लगाने की कोशिश की गई थी. लेकिन, आबकारी विभाग की ये टेंडर पॉलिसी सफल साबित नहीं हुई.

अब लॉटरी प्रक्रिया के तहत कोई भी अलग-अलग नामों से कई दुकानों के लाइसेंस ले सकता है. ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि पहले की तरह शराब कारोबार में एक विशेष सिंडिकेट फिर से सक्रिय हो जाएगा.

Intro:summary-उत्तराखंड सरकारी की 2019-20 आबकारी नीति हुई पूरी तरह धड़ाम, पिछले तीन महीने में नई "ई टेंडरिंग" नीति से विभाग नहीं बेच पाया 234 मदिरा की दुकानें, अब पुराने लॉटरी नीति प्रक्रिया के जरिये 1 जुलाई से खुलेंगी 234 दुकानें, दुकानों के ना बिक्री होने से अब तक 180 करोड़ से ज्यादा घाटा हो चुका हैं।


intro- उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी ईटेंडरिंग नीति पूरी तरह से नाकाम होने के बाद अब सरकार पुरानी लॉटरी प्रक्रिया नीति के तहत सभी औपचारिकता पूरी कर आगामी 1 जुलाई 2019 से प्रदेश में पिछले तीन माह से आवंटित ना हो सकी 234 देसी व अंग्रेजी मदिरा की दुकानें खोलने जा रही हैं। यह सभी दुकाने प्रदेश के जिलों में लॉटरी के जरिए 35 फीसदी कम अधिभार के तहत शराब कारोबारियों को आवंटित की जाएंगी.



नए ईटेंडरिंग के तहत नए वित्तीय वर्ष 2019 के तीन महा गुजर जाने के बाद 234 दुकाने नहीं बिक सकी जिसमें से 103 अंग्रेजी की दुकानें हैं जबकि 131 देसी शराब दुकान है। नए वित्त वर्ष में आवंटित हो चुकी 385 देशी व अंग्रेजी दुकानों का सालाना वसूलने अधिभार (टैक्स) 2135 करोड का तय है। जबकि अब तक आवंटित ना हो सकी बची हुई 234 दुकानों का अधिभार 784 करोड का हैं। इस वर्ष का राजस्व वसूली का लक्ष्य 3110 करोड़ का हैं। 234 दुकानों की बिक्री ना होने के चलते लगातार हो रहे घाटे के दृष्टिगत अब आगे किस तरह से सालाना घाटे को पूरा किया जाएगा यह बड़ा सवाल है।
प्रदेश में 619 शराब की दुकानें हैं जिनमें से 385 अंग्रेजी और देसी मदिरा की दुकानें वर्तमान में संचालित हो रही हैं जबकि 234 देशी व अंग्रेजी दुकानों का आवंटन नहीं हो सका हैं।




Body:आपकारी विभाग का सिंडिकेट को तोड़ने का दावा भी हुआ फेल

उत्तराखंड आबकारी विभाग द्वारा 2018-19 में बनायी गई नई ईटेंडरिंग नीति के तहत किसी भी शराब कारोबारी को शराब की मात्र दो लाइसेंस मिलने का नियम बनाया गया था इस नीति के तहत प्रदेश में सक्रिय शराब सिंडिकेट को तोड़ने के लिए यह नियम बनाया गया था, जिसमें माफियाओं का एकछत्र राज को खत्म करना भी विभाग का मकसद था। लेकिन आबकारी विभाग द्वारा बनाई गई ई टेंडरिंग पॉलिसी 2018 के बाद वर्ष 2019 में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई,जिसके चलते नए वित्तीय वर्ष 2019 में प्रदेश में 234 देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानों को खरीदार नहीं मिल सका। पिछले 3 महीने में आबकारी विभाग 234 दुकानों को नए नीति के तहत आवंटित करने को लेकर पसीने छूट गए, ऐसे अब थक हार कर केबिनेट के फैसले के बाद पुरानी लॉटरी नीति के मुताबिक शेष दुकानों को 35 फीसदी कम अधिभार में देने की कवायद जारी हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि लॉटरी प्रक्रिया के तहत कोई भी अलग-अलग नामों से कई दुकानों के लाइसेंस ले सकता है, ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि पहले की तरह शराब कारोबार में एक विशेष सिंडिकेट फिर से सक्रिय हो सकेगा। जिसके चलते आबकारी विभाग की सिंडिकेट को तोड़ने की नीति भी फेल होती दिख रही हैं।


Conclusion:1 साल के उपरांत उत्तराखंड सरकार को न सिर्फ आपकारी नीति को बदलना पड़ा बल्कि पुरानी लॉटरी नीति को अपनाने के साथ साथ 180 करोड़ का घाटा उठाने के बाद 35 फ़ीसदी कम अधिभार में अब दुकानों को पुरानी प्रक्रिया के अनुसार आवंटित करना पड़ रहा है ऐसे में 2018 में बनाई गई आपकारी ई टेंडरिंग नीति पूरी तरह से धड़ाम हो चुकी है। ऐसे में आखिरकार लगातार हो रहे करो रुपए के राजस्व घोटाले के चलते सरकार ने आपकारी नीति को बदल कर पुराने लॉटरी प्रक्रिया को अपनाया है।


उत्तराखंड आपकारी कमिश्नर दीपेंद्र चौधरी के मुताबिक बीते रोज कैबिनेट के फैसले के बाद आज गुरुवार देर शाम तक लॉटरी प्रक्रिया के तहत आवंटित करने का शासनादेश जारी हो जाएगा।जिओ प्राप्त होने के उपरांत विभाग सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले 2 दिनों में प्रदेश में बची हुई 234 शराब की दुकानों के लिए लॉटरी नियम वाली विज्ञप्ति जारी कर विभाग की ऑफिशल साइट व समाचार पत्रों सहित अन्य माध्यमों से प्रचार-प्रसार करेगा। जिसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में बन्द पड़ी 234 देशी व अंग्रेजी की दुकानों को जिलाधिकारी व आबकारी अधिकारी टीम द्वारा लॉटरी के जरिये लाइसेंस देकर आगामी एक जुलाई से सभी दुकानों को संचालित किया जाएगा।


pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628



ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.