देहरादून: उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी ई-टेंडरिंग नीति नाकाम होने के बाद अब पुरानी लॉटरी प्रक्रिया नीति के तहत सभी औपचारिकता पूरी की जा रही हैं. आगामी 1 जुलाई 2019 से पिछले तीन माह से आवंटित नहीं हुई 234 देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानें खोली जाएंगी. यह सभी दुकानें प्रदेश के जिलों में लॉटरी के जरिए 35 फीसदी कम अधिभार के तहत शराब कारोबारियों को आवंटित की जाएंगी.
दरअसल, प्रदेश में 619 शराब की दुकानें हैं, जिनमें से 385 अंग्रेजी और देसी शराब दुकानें वर्तमान में संचालित हो रही हैं जबकि 234 देशी व अंग्रेजी दुकानों का आवंटन नहीं हुआ है. इसमें 103 अंग्रेजी और 131 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं. इन 234 दुकानों पर 784 करोड़ का अधिभार है, जबकि इस साल राजस्व वसूली का लक्ष्य 3110 करोड़ का है. वहीं, नए वित्त वर्ष में आवंटित हो चुकी 385 देशी व अंग्रेजी दुकानों का सालाना अधिभार (टैक्स) 2135 करोड़ तय है.
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234 दुकानों की बिक्री न होने के चलते लगातार हो रहे घाटे के दृष्टिगत अब आगे किस तरह से सालाना घाटे को पूरा किया जाएगा यह बड़ा सवाल है. उत्तराखंड आबकारी कमिश्नर दीपेंद्र चौधरी के मुताबिक कैबिनेट के फैसले के बाद लॉटरी प्रक्रिया के तहत आवंटन करने का शासनादेश जारी होगा. जिओ मिलने के बाद विभाग सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले 2 दिनों में प्रदेश में बची हुई 234 शराब की दुकानों के लिए लॉटरी नियम वाली विज्ञप्ति जारी कर देगा. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में बन्द पड़ी 234 देशी व अंग्रेजी की दुकानों को जिलाधिकारी व आबकारी अधिकारी टीम द्वारा लॉटरी के जरिये लाइसेंस देकर आगामी एक जुलाई से संचालित किया जाएगा.
बता दें कि उत्तराखंड आबकारी विभाग ने 2018-19 में बनायी नयी ई-टेंडरिंग नीति के तहत किसी भी शराब कारोबारी को मात्र दो लाइसेंस मिलने का नियम बनाया था. इस नीति के तहत प्रदेश में सक्रिय शराब माफियाओं पर रोक लगाने की कोशिश की गई थी. लेकिन, आबकारी विभाग की ये टेंडर पॉलिसी सफल साबित नहीं हुई.
अब लॉटरी प्रक्रिया के तहत कोई भी अलग-अलग नामों से कई दुकानों के लाइसेंस ले सकता है. ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि पहले की तरह शराब कारोबार में एक विशेष सिंडिकेट फिर से सक्रिय हो जाएगा.